ZEE5 पर रिलीज हुई ‘तेहरान’:जॉन अब्राहम बने DSP राजीव, फिल्म देखने से पहले पढ़ें रिव्यू

18 hours ago

1 मिनट पहलेलेखक: आशीष तिवारी

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तेहरान सिर्फ एक जासूसी थ्रिलर नहीं, बल्कि इंसानियत, जिम्मेदारी और निजी संवेदना की परतों में उतरने वाली कहानी है। स्वतंत्रता दिवस के आस-पास रिलीज हुई और मैडॉक फिल्म्स व बेक माय केक फिल्म्स द्वारा निर्मित यह फिल्म एक्शन के शोर से ज्यादा राजनीति के सन्नाटे और कूटनीतिक उलझनों पर टिकती है। अब यह आज से ZEE5 पर स्ट्रीमिंग के लिए उपलब्ध है।

फिल्म की कहानी

दिल्ली में हुए एक बम धमाके में एक मासूम बच्ची की मौत होती है। डीसीपी राजीव कुमार (जॉन अब्राहम) के लिए यह केस महज ड्यूटी नहीं, बल्कि निजी दर्द से जुड़ा एक मिशन है। सुराग उन्हें तेहरान तक ले जाते हैं, जहां दोस्त और दुश्मन के बीच की लकीर धुंधली हो जाती है। कहानी में पॉलिटिकल टेंशन और इमोशनल कनेक्ट दोनों हैं, लेकिन कुछ जगहों पर घटनाओं का ट्रांजिशन इतना तेज है कि दर्शक को जोड़ने वाली परत अधूरी रह जाती है।

फिल्म में एक्टिंग

जॉन अब्राहम अपनी आंखों और हावभाव से गहरा असर छोड़ते हैं। डायलॉग कम, भावनाएं ज्यादा। यह उनका शांत और भावनात्मक प्रदर्शन है। कुछ दर्शकों को यह अंदाज पहले जैसा लग सकता है।

मानुषी छिल्लर का स्क्रीन टाइम कम है, लेकिन उनकी मौजूदगी कहानी में मानवीय संवेदनाओं को दिखाती है। नीरू बाजवा की समझदारी और हादी खानजनपुर का एक्टिंग कहानी के तनाव को और असली बनाता है।

फिल्म का निर्देशन व तकनीकी पक्ष

निर्देशक अरुण गोपालन ने फिल्म को फालतू दिखावे से दूर रखा है और इसे संतुलित अंदाज में पेश किया है। पटकथा बिना भारी-भरकम बोलचाल के राजनीति दिखाती है।

कैमरा वर्क दिल्ली की हलचल और अबू धाबी की सन्नाटा महसूस कराता है। बैकग्राउंड स्कोर कहानी के तनाव को बढ़ाता है और एडिटिंग ज्यादातर टाइट है।

कहानी का ब्लूप्रिंट कई जगह पहले देखे गए जासूसी ड्रामों जैसा लगता है। कुछ सीन का प्रवाह अचानक बदलता है। थ्रिलर होते हुए भी फिल्म अपने पीक टेंशन तक पूरी तरह नहीं पहुंच पाती।

क्यों देखें फिल्म? अगर आप तेज -तर्रार, मसालेदार एक्शन के शौकीन हैं, तो तेहरान आपको धीमी लगेगी, लेकिन अगर आप गंभीर, सोचने पर मजबूर करने वाली थ्रिलर पसंद करते हैं, तो यह फिल्म एक संतुलित और असरदार अनुभव दे सकती है। और हां अब यह आज से ZEE5 पर स्ट्रीम हो रही है, तो आप इसे घर बैठे देख सकते हैं।

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