असम का पिरामिड.. शाही परिवारों का कब्रगाह 'चराईदेव मोईदम' यूनेस्को की लिस्ट मे

1 month ago
असम के बोकोपुखुरी हबी में स्थित है चराईदेव मोईदमअसम के बोकोपुखुरी हबी में स्थित है चराईदेव मोईदम

असम में शाही परिवारों का कब्रगाह यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल किया गया है. केंद्र ने कहा कि यह भारत के लिए बड़ी उपलब्धि है. विश्व धरोहर समिति ने शुक्रवार को मोइदम को भारत के 43वें विश्व धरोहर स्थल के रूप में शामिल करने की घोषणा की है. केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि ये भारत के लिए सौभाग्य का दिन है. पहली बार भारत में वर्ल्ड हेरिटेज की बैठक आयोजित की जा रही है और भारत उसकी अध्यक्षता कर रहा है.

शेखावत ने कहा कि इसका आयोजन चुनौतीपूर्ण था लेकिन भारत में G20 के सफल आयोजन से देश का इंफ्रास्ट्रक्चर काफी मजबूत हुआ है जिससे कांफिडेंस बढ़ा और अब ये विश्वास है कि विश्व स्तरीय बड़े आयोजन भारत में कराए जा सकते हैं. गजेंद्र शेखावत ने कहा कि 21 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत मंडपम में इसका उद्घाटन किया था जिसमें 165 देशों के प्रतिनिधि हिस्सेदारी ले रहे हैं जबकि कुल मिलाकर 3000 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं.

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असम का पिरामिड भी कहा जाता है इन्हें

उन्होंने कहा कि इसका आयोजन आसान नहीं था लेकिन देश का इंफ्रास्ट्रक्चर इतना बढ़ गया है कि केंद्र सरकार ने इसे आसान बना दिया है. शेखावत के मुताबिक तीन साल पहले असम के अहोम राजाओं के बरियल मोइदम को नॉमिनेशन के लिए भेजा गया था जिसके बाद इसे लिस्ट में शामिल करने की घोषणा हुई. शेखावत ने कहा कि 43 में से 13 साइट पिछले 10 साल में रजिस्टर हुई है जो देश के लिए बड़ी उपलब्धि है.

क्या है चराईदेव मोईदाम?

चराईदेव मोईदम को अहोम समुदाय द्वारा पवित्र माना जाता है. हर मोईदाम एक अहोम शासक या गणमान्य व्यक्ति के विश्राम स्थल माना जाता है. यहां उनके अवशेषों के साथ-साथ मूल्यवान कलाकृतियां और खजाने संरक्षित हैं. चराईदेव मोईदम मृतक के अवशेषों को एक भूमिगत कक्ष में दफन किया जाता है. उसके ऊपर का एक टीला या स्मारक का निर्माण किया जाता था. मोईदम असमिया पहचान और विरासत की समृद्ध परंपरा को दर्शाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर से 52 स्थलों में से अहोम समुदाय के मोईदम को विरासत स्थल के रूप में नॉमिनेट करने के लिए चुना था.

असम का पिरामिड भी कहा जाता है इसे

चराईदेव मोईदम को असम का पिरामिड भी कहा जाता है. यहां 90 से अधिक टीलों का घर है. ये टीले सिर्फ दफन स्थल ही नहीं हैं बल्कि ये विशेष सांस्कृतिक और एतिहासिक विरासत की धरोहर भी हैं.

Tags: Assam news, United nations

FIRST PUBLISHED :

July 26, 2024, 14:00 IST

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