Last Updated:May 12, 2025, 15:20 IST
Chithirai Festival: मदुरै का चिथिरई महोत्सव भक्ति और परंपरा का अद्भुत संगम है. भगवान कल्लझगर के वैगई नदी में अवतरण के दौरान हज़ारों भक्तों की भीड़ उमड़ी, "गोविंदा-गोविंदा" के जयकारों से गूंजा पूरा मदुरै, माहौल ...और पढ़ें

मदुरै चिथिरई महोत्सव
तमिलनाडु के मदुरै शहर में हर साल धूमधाम से मनाया जाने वाला चिथिरई महोत्सव एक बार फिर अपने पूरे जोश में नजर आया. यह त्योहार न सिर्फ धार्मिक महत्व रखता है बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी बेहद खास है. अन्य किसी शहर में ऐसा अनूठा आयोजन देखने को नहीं मिलता. इस साल चिथिरई उत्सव की शुरुआत 8 मई को शुभ कल्लझगर मंदिर से हुई थी.
कल्लझगर का वैगई नदी में अवतरण
महोत्सव का सबसे बड़ा आकर्षण भगवान कल्लझगर का वैगई नदी में उतरना होता है. आज सुबह यह खास आयोजन बहुत ही भव्य रूप से किया गया. जैसे ही भगवान नदी में उतरे, चारों तरफ “गोविंदा-गोविंदा” के जयकारे गूंज उठे. भक्तों की आस्था और उत्साह से पूरा माहौल भक्तिमय हो गया.
भक्तों ने किया भगवान का स्वागत
भगवान कल्लझगर के मंदिर से निकलने के बाद, मदुरै जिले के तल्लाकुलम इलाके में हजारों भक्तों ने उनका जोरदार स्वागत किया. रात को प्रसन्ना वेंकटजलापति मंदिर में भगवान का तिरुमंजनम (पवित्र स्नान) हुआ, जिसे देखने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी थी.
अंडाल चुडिक की माला और सोने के रथ की शोभा
आज सुबह भगवान कल्लझगर ने श्रीविल्लीपुथुर अंडाल चुडिक द्वारा अर्पित फूलों की माला को पहना. इसके बाद उन्हें पारंपरिक रूप से जड़ों को काटकर और एक हजार सोने के सप्पारम (लकड़ी की गाड़ी) पर लिटाया गया. वहां से वे सुनहरे रथ पर सवार होकर तल्लाकुलम के करुप्पना स्वामी मंदिर तक पहुंचे.
वीरराघव पेरुमल की भव्य अगवानी
भगवान कल्लझगर के स्वागत के लिए वीरराघव पेरुमल हरे रेशमी वस्त्रों में सजे हुए, सुनहरे घोड़े पर सवार होकर वैगई नदी में उतरे. इस दौरान हजारों की संख्या में भक्त नदी किनारे मौजूद थे, जो भगवान के दर्शन करने के लिए रात से ही जुटे थे. हर कोई “गोविंदा-गोविंदा” के जयकारे लगाते हुए भाव-विभोर नजर आया.
कड़ी सुरक्षा के बीच हुआ आयोजन
इतनी बड़ी संख्या में लोगों की मौजूदगी को देखते हुए प्रशासन की ओर से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी. वैगई नदी के दोनों किनारों पर पुलिस बल तैनात रहा, जिससे उत्सव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो सका.
सालों से चली आ रही परंपरा
यह आयोजन सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि एक जीवंत परंपरा है, जो मदुरै की पहचान बन चुका है. हर साल लाखों श्रद्धालु इस भव्य आयोजन का हिस्सा बनने आते हैं. चिथिरई महोत्सव भगवान और भक्त के बीच गहरा जुड़ाव दिखाता है, जिसमें आस्था, प्रेम और उत्सव की भावना एक साथ मिलती है.
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