ईरान से भारतीयों को निकालने का IAF प्लान रेडी, बस इंतेजार है हरी झंडी की

9 hours ago

Last Updated:June 17, 2025, 18:07 IST

IAF EVACUATION PLAN: भारत ने अब तक दर्जनों इवैक्यूएशन ऑपरेशन को अंजाम दिया है. और सभी सफल रहे. एयरफोर्स ने जितने भी विदेशों या देश में रेस्क्यू ऑपरेशन किए हैं उसमें C-17 ग्लोबमास्टर और C-130 J सुपर हर्क्यूलिस क...और पढ़ें

ईरान से भारतीयों को निकालने का IAF प्लान रेडी, बस इंतेजार है हरी झंडी की

भारतीय वायुसेना का प्लान है तैयार

हाइलाइट्स

भारतीय वायुसेना ईरान से भारतीयों को निकालने के लिए तैयार.विदेश मंत्रालय ने अर्मेनिया बॉर्डर से निकालने की योजना बनाई.IAF ने कई सफल इवैक्यूएशन ऑपरेशन किए हैं.

IAF EVACUATION PLAN: ईरान और इजरायल की जारी जंग में भारतीय नागरिक भी फंसे हुए हैं. ईरान से भारतीयों को निकालने के लिए विदेश मंत्रालय ने अपने ऑपरेशन को शुरू कर दिया है. इस तरह के इवैक्यूएशन में अगर सिविल एयरक्राफ्ट के ऑपरेशन सामान्य है तो लोगों को उसे के जरिए निकाला जाता है. अगर नहीं तो बुलाया जाता है भारतीय वायुसेना को. भारतीय वायुसेना भी अपने इवैक्यूएशन प्लान के साथ तैयार है. सूत्रों के मुताबिक, जब भी इस तरह के हालात होते हैं तो एयरफोर्स उसे मॉनिटर करती रहती है. और अगर सरकार की तरफ से इवैक्यूएशन के लिए कहा जाता है, तो तुरंत उस पर अमल किया जाता है. समय खराब ना हो इसके लिए एयरफोर्स पहले से ही इवैक्यूएशन का फुल प्रूफ प्लान तैयार कर लेती. विदेश मंत्रालय ने सभी फंसे भारतीयों को फिलहाल अर्मेनिया बॉर्डर से निकालने की योजना बनाई है. पहले सड़क के जरिए अर्मेनिया और फिर फ्लाइट से भारत. ईरान में तकरीबन 10,000 भारतीयों में 1,500 के करीब छात्र भी मौजूद हैं

कई सफल इवैक्यूएशन ऑपरेशन को दिया अंजाम
भारतीय वायुसेना की खासियत है कि वह कॉन्फ्लिक्ट जोन से सुरक्षित अपने नागरिकों को बाहर निकाल सकती है. पिछले कुछ बड़े इवैक्यूएशन ऑपरेशन की बात करें तो साल 2006 में इजरायल-लेबनान जंग के दौरान ऑपरेशन सूकून चलाया गया था, जिसमें 2,280 भारतीयों को सुरक्षित वतन वापस लाया गया था. साल 2015 में यमन में जंग के दौरान सना एयरपोर्ट से भारतीयों को जिबूती लाया गया और फिर C-17 के जरिए भारत. साल 2021 में तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के दौरान सरकार ने ऑपरेशन देवी शक्ति चलाया था, जिसमें 800 भारतीयों की वतन वापसी कराई गई थी. 2022 में यूक्रेन युद्ध के दौरान ऑपरेशन गंगा लॉन्च किया गया था, जिसमें 18,000 के करीब भारतीयों को यूक्रेन और पड़ोसी देशों से रेस्क्यू किया गया था. साल 2023 में सूडान में संघर्ष के दौरान सरकार ने ऑपरेशन कावेरी लॉन्च किया था, जिसमें भारतीय वायुसेना ने 3,900 भारतीयों को सुरक्षित घर वापस लाया गया था. इसके अलावा दर्जनों ऑपरेशन राहत बचाव के लिए सरकार की तरफ से चलाए गए हैं. इसमें भारतीय वायुसेना की अहम भूमिका रही है.

कॉन्फ्लिक्ट जोन में ऑपरेट करने में माहिर
सिविल एयरक्राफ्ट के अलावा सरकार भारतीय वायुसेना का भी खूब इस्तेमाल करती है. इसके पीछे की वजह है कि पायलटों को वॉर जोन में उड़ान भरने में एक्सपर्ट होते हैं. जरा सी भी विंडो मिलती है तो उस बीच उड़ान को शुरू किया जाता है. यमन में किए गए इवैक्यूएशन में भारतीय वायुसेना के अलावा भारतीय नौसेना ने भी बड़ी भूमिका निभाई थी. मिलिट्री एयरक्राफ्ट सना एयरपोर्ट पर नहीं जा सकते थे, लिहाजा एयर इंडिया के विमानों के जरिए इवैक्यूएशन के लिए दिए गए कुछ घंटों की विंडो में भी यह काम करना होता था. ऑपरेशन बेस जिबूती एयरबेस को बनाया गया था. सिविल एयरक्राफ्ट के विमानों से भारतीय नागरिकों को लाया जाता था और फिर C-17 ग्लोबमास्टर के जरिए उन्हें भारत तक लाया जाता था. हालांकि C-17 के अलावा बड़ा IL-76 मालवाहक विमान भी मौजूद है, लेकिन C-17 नया है और ज्यादा मैनूवरेबल है. नाइट विजन गॉगल्स के जरिए नाइट लैंडिंग करना बेहद आसान है।

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