कैश की जली हुई बोरियां... क्या जजों के लिए संपत्ति घोषित करना अनिवार्य नहीं?

2 days ago

Last Updated:March 23, 2025, 22:25 IST

Justice Yashwant Varma News: भारत में कार्यरत जजों के लिए अपनी संपत्ति घोषित करना अनिवार्य नहीं? क्या जज स्वेच्छा से ऐसा करते हैं? जस्टिस यशवंत वर्मा ने कथित तौर पर अपनी संपत्ति घोषित की थी?

कैश की जली हुई बोरियां... क्या जजों के लिए संपत्ति घोषित करना अनिवार्य नहीं?

जस्टिस यशवंत वर्मा ने क्या संपत्ति घोषित की थी?

हाइलाइट्स

जस्टिस वर्मा के घर से करोड़ों की नकदी बरामद हुई.सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए समिति गठित की.भारत में जजों के लिए संपत्ति घोषित करना अनिवार्य नहीं.

नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर कैश रिकवरी का मामला अब राजनीतिक रंग लेने लगा है. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भी जज यशवंत वर्मा के आवास पर कैश रिकवरी पर बड़ा बयान दिया है. अखिलेश यादव ने कहा, ‘वह पैसा शायद उन्होंने (यशवंत वर्मा) उधार लिया होगा. यह तो कुछ ही पैसा पकड़ा गया है. हमने उत्तराखंड में कई सौ करोड़ पैसे पकड़ाते देखे, लेकिन आज तक पता नहीं चला कि वह पैसा किसका है.’ इस मुद्दे पर पूरे देश के वकील मुखर हैं. लेकिन, कुछ वकीलों का कहना है कि कैश रिकवरी पर जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के रिटायर्ड जजों को बोलना चाहिए, एक-दो जजों को छोड़कर कोई कुछ नहीं बोल रहा है? क्या जजों को संपत्ति घोषित करना अनिवार्य है?

हालांकि, दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा ने कैश कांड के आरोपों को पूरी तरह से निराधार बताया है. लेकिन, दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की रिपोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना का वर्मा पर लगे आरोपों की जांच के लिए 3 जजों की कमिटी का गठन करना, बता रहा है कि सुप्रीम कोर्ट फिलहाल इस मामले पर काफी सख्ती बरत रही है. बता दें कि 14 मार्च 2025 को होली की रात जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित बंगले में आग लगने के बाद जले हुए काफी नोट बरामद हुए थे. आग बुझाने पहुंचे दमकल कर्मियों ने कमरे में बड़ी मात्रा में नकदी देखी, जिसके बाद यह मामला सुर्खियों में आ गया. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो यह राशि करोड़ों में हो सकती है.

न्यायपालिका पर क्यों उठ रहे हैं सवाल?
इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरित कर दिया. भारत के सीजेआई संजीव खन्ना ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है, जिसमें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जीएस संधावालिया, और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं. जांच पूरी होने तक जस्टिस वर्मा को कोई न्यायिक कार्य नहीं सौंपने का निर्देश भी दिया गया है.

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील रविशंकर कुमार कहते हैं, ‘भारत में जजों की संपत्ति की जांच का कोई सामान्य या अनिवार्य प्रावधान पद पर रहते हुए छोड़ दीजिए, रिटायरमेंट के बाद भी लागू नहीं होता. जब तक कि जजों के खिलाफ कोई ठोस शिकायत या आरोप न हो. हालांकि, कुछ परिस्थितियों में यह संभव है. भारत में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों के खिलाफ कदाचार के आरोपों की जांच इन-हाउस प्रक्रिया के तहत हो सकती है. यह प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1999 में स्थापित दिशानिर्देशों पर आधारित है. अगर रिटायरमेंट के बाद भी विश्वसनीय सबूत या शिकायत मिलती है तो जांच शुरू की जा सकती है, लेकिन यह असामान्य है और आम तौर पर सेवा के दौरान ही कार्रवाई होती है. इस मामले पर कितने बड़े जज बोल रहे हैं?’

जजों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने पर क्या होता है?

महाभियोग की प्रक्रिया
संविधान के अनुच्छेद 124(4) और 217(1)(b) के तहत, किसी जज को “सिद्ध कदाचार” या “अक्षमता” के आधार पर महाभियोग द्वारा हटाया जा सकता है. यह प्रक्रिया केवल कार्यरत जजों पर लागू होती है, न कि रिटायर्ड जजों पर. हालांकि, रिटायरमेंट के बाद संपत्ति से जुड़े गंभीर आरोप सामने आने पर अन्य कानूनी जांच (जैसे भ्रष्टाचार निरोधक कानूनों के तहत) शुरू हो सकती है.

भ्रष्टाचार निरोधक कानून
रिटायर्ड जज भी आम नागरिक की तरह भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988 के दायरे में आ सकते हैं. अगर उनकी संपत्ति असामान्य रूप से बढ़ी हुई पाई जाती है और यह उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से मेल नहीं खाती तो आयकर विभाग या प्रवर्तन निदेशालय (ED) जैसे निकाय जांच कर सकते हैं. उदाहरण के लिए, आयकर अधिनियम की धारा 69A के तहत अस्पष्टीकृत संपत्ति पर कार्रवाई हो सकती है.

संपत्ति घोषणा का अभाव
भारत में कार्यरत जजों के लिए अपनी संपत्ति घोषित करना अनिवार्य नहीं है, हालांकि कुछ जज स्वेच्छा से ऐसा करते हैं. जस्टिस वर्मा ने कथित तौर पर अपनी संपत्ति घोषित की थी, लेकिन वह जानकारी अब उपलब्ध नहीं है. रिटायरमेंट के बाद कोई औपचारिक तंत्र संपत्ति की नियमित जांच के लिए नहीं है, जब तक कि विशिष्ट शिकायत न हो.

Location :

Delhi,Delhi,Delhi

First Published :

March 23, 2025, 22:25 IST

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