Last Updated:November 24, 2025, 18:19 IST
Court Hearing in Madvi Hidma Encounter India Gate Protest: दिल्ली के इंडिया गेट पर हिडमा एनकाउंटर के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार छठे आरोपी को न तो जेल भेजा गया और न ही बाल सुधार गृह. अदालत ने उसे ‘सेफ हाउस’ में रखने का आदेश दिया है. सेफ हाउस एक सुरक्षित सरकारी आश्रय होता है, जहां सुरक्षा कारणों से संवेदनशील आरोपियों या गवाहों को रखा जाता है. अदालत ने उसकी उम्र और सुरक्षा को आधार बनाया.
दिल्ली पुलिस मामले की जांच कर रही है. नई दिल्ली. नक्सली कमांडर माडवी हिडमा के समर्थन में इंडिया गेट पर नारेबाजी और पुलिस पर हमले के आरोप में गिरफ्तार प्रदर्शनकारियों को आज पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया. कर्तव्य पथ थाने से जुड़े मामले में सभी को जज अरिदमन सिंह चीमा की कोर्ट में ले जाया गया. पांच आरोपियों को दो दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया. हालांकि छठे आरोपी को सेफ हाउस भेजा गया. आमतौर पर किसी आरोपी को या तो जेल या फिर नाबालिग होने पर बाल सुधार ग्रह में हिरासम में रखा जाता है. पर यहां सवाल उठता है कि आखिर यह सेफ हाउस क्या है? चलिए हम आपको इसके बारे में विस्तार में बताते हैं.
जज ने दिया सेफ हाउस भेजने का आदेश
पुलिस ने कोर्ट को बताया कि छठे आरोपी ने खुद के नाबालिग होने का दावा किया है. यही वजह है कि कानून का पालन करते हुए कोर्ट ने नाबालिग बताए जा रहे इस आरोपी को जेल या पुलिस हिरासत में भेजने के बजाय एक ‘सेफ हाउस’ में भेजने का आदेश दिया है. किसी भी आपराधिक मामले में नाबालिगों को वयस्क आरोपियों से अलग रखने और उन्हें विशेष कानूनी संरक्षण प्रदान करने के लिए ‘सेफ हाउस’ या पर्यवेक्षण गृह की व्यवस्था की गई है. यह व्यवस्था किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के तहत दी गई है.
क्या होता है सेफ हाउस?
1. सामान्य जेल से अलग: ‘सेफ हाउस’ सामान्य जेल या पुलिस हवालात नहीं है. इसका मुख्य उद्देश्य सजा देना नहीं बल्कि ऐसे किशोरों की देखभाल, सुरक्षा और पुनर्वास सुनिश्चित करना होता है. एक बच्चे को न्यायिक हिरासत में भेजते समय यह सुनिश्चित किया जाता है कि वह आपराधिक माहौल और वयस्क कैदियों के संपर्क से पूरी तरह दूर रहे.
2. कानूनी अनिवार्यता: जैसे ही किसी आरोपी के नाबालिग होने का दावा सामने आता है, न्यायालय तुरंत उसे जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (JJB) के क्षेत्राधिकार में भेज देता है. कोर्ट यह सुनिश्चित करता है कि नाबालिग को तब तक किसी भी नियमित जेल या लॉकअप में न रखा जाए जब तक कि JJB उसकी उम्र की पुष्टि न कर दे.
3. सुरक्षा और जांच: ‘सेफ हाउस’ में रहते हुए ही पुलिस और बाल कल्याण अधिकारी नाबालिग के आयु प्रमाण पत्रों की जांच करते हैं. यदि जांच में यह सिद्ध हो जाता है कि आरोपी वास्तव में नाबालिग है तो उसका मामला आगे की कार्यवाही के लिए किशोर न्याय बोर्ड को सौंप दिया जाता है. यदि वह वयस्क निकलता है तो उसे न्यायिक रिमांड पर वापस भेजा जाता है.
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...
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First Published :
November 24, 2025, 18:08 IST

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