Jamal Khashoggi: जमाल खशोगी, एक सऊदी पत्रकार और आलोचक थे, जनकी हत्या अक्टूबर 2018 में इस्तांबुल में सऊदी वाणिज्य दूतावास में हुई थी. लेकिन उनकी कहानी फिर से तेजी से सुर्खियों में लौटी, जब सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) अमेरिका पहुंचे. इसका कारण सिर्फ पुरानी घटनाओं की याद नहीं, बल्कि गहरे राजनयिक और नीतिगत इशारे हैं, जो इस विजिट के बैकग्राउंड में छिपे हुए हैं.
जवाबदेही का मामला
जमाल खशोगी की हत्या का मामला जुड़ा है जवाबदेही से. अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने खुलासा किया था कि मोहम्मद बिन सलमान ने खशोगी की हत्या को मंजूरी दी थी. इस इंटेलिजेंस रिपोर्ट की डिजिटल रूप से फिर से पब्लिक हुई है और इसलिए हर बार जब प्रिंस की अमेरिका यात्रा होती है, ये विवाद अगली सुबह की बड़ी खबर बन जाता है.
बिजनेस आगे, ह्यूमन राइट्स साइड में
जब भी दोनों देशों के टॉप लीडर मिलते हैं, तो सोशल मीडिया पर पुराने मामले उभरकर सामने आने लगते हैं. अमेरिका और सऊदी अरब की रणनीतिक साझेदारी तेल, सिक्योरिटी, और रीजनल पॉलिटिक्स पर टिकी है. लेकिन जब वो एक्सट्रीम रेपुटेशन वाले नेता अमेरिका आकर बड़ा आयोजन करते है, तो ये सिर्फ एक राजनयिक दौरा नहीं रहा, ये सिंबॉलिक रिकंस्ट्रक्शन भी लगता है. MBS का ये दौरा दिखाता है कि दोनों देश अभी भी आपसी फायदे के लिए गंभीर हैं, भले ही मानवाधिकारों पर सवाल उठें.
हत्या को लेकर पब्लिक ओपीनियन
एमबीएस की विजिट को मानवाधिकार और सार्वजनिक राय के नजरिये से भी देखा जाता है. खशोगी की मंगेतर, हैटीजे सेंजिज, हर बार ऐसी बैठकों और दौरों पर निराशा जताती हैं और कहती हैं कि ये एक भूलने वाली बात नहीं हो सकती. समाज और मीडिया में उनके समर्थन में आवाजें फिर उठती हैं, खासकर जब प्रिंस को पूरी दुनिया की निगाहों के बीच अमेरिका में सम्मान के साथ स्वागत किया जाता है.
हमेशा याद रहेंगे खशोगी
खशोगी का नाम उस दौर की एक आवाज था, और MBS की अमेरिका यात्रा उनके केस को सिर्फ यादगार नहीं बनाती, बल्कि ये सवाल उठाती है कि शक्ति, जवाबदेही, और नैतिकता के बीच संतुलन कैसे बनता है. उनकी हत्या अब भी सऊदी-अमेरिकी रिश्तों की नैतिक जटिलताओं का प्रतीक बन चुकी है, और हर बड़ा राजनीतिक कदम उसे फिर से फोकस में ला देता है.

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