Crypto scams: भारत में पिछले कुछ सालों में ऑनलाइन ठगी इतनी तेज़ी से बढ़ी है कि कई लोग समझ ही नहीं पाते कि उनका पैसा कैसे और कहां गायब हो गया. जनवरी 2024 से सितंबर 2025 तक हुए मामलों की जांच में एक चौंकाने वाली बात सामने आई. कम से कम 27 क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों को अपराधियों ने मनी लॉन्ड्रिंग के लिए इस्तेमाल किया. गृह मंत्रालय (MHA) की रिपोर्ट के अनुसार, इन एक्सचेंजों को एक ही तरह के तरीके से इस्तेमाल किया गया, जहां साइबर ठगों ने 2,872 लोगों से कुल 623.63 करोड़ रुपये ठगकर उन्हें डिजिटल वॉलेट्स और एक्सचेंजों के चक्कर में फंसा दिया. यह सब हुआ सिर्फ 21 महीनों में, जो अपने आप में बहुत बड़ी बात है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के अनुसार, जांच में सामने आया कि इस दौरान 12 विदेशी क्रिप्टो एक्सचेंजों के जरिए भी 25.3 करोड़ रुपये ट्रांसफर हुए, पर वह भारतीय प्लेटफ़ॉर्म्स की तुलना में काफी कम था. ये आंकड़े बताते हैं कि डिजिटल दुनिया में अपराध का तरीका कितना स्मार्ट हो गया है. यह पूरा डेटा नेशनल साइबरक्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) और इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) ने मिलकर तैयार किया है, और इसे अब तक का सबसे जटिल साइबर मनी-लॉन्ड्रिंग नेटवर्क माना जा रहा है.
पीड़ितों को नहीं था अंदाजा- कहां जा रहा पैसा?
अधिकतर पीड़ितों को यह पता तक नहीं था कि वे किसी जाल में फंस चुके हैं. लोग किसी ऐप को देखकर उसमें पैसा लगा देते थे, ये समझकर कि वे ट्रेडिंग या इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं और उनका पैसा बढ़ेगा. लेकिन असल में उनका पैसा चुपचाप क्रिप्टो में बदल दिया जाता था. इसके बाद अपराधी उस क्रिप्टो को कई वॉलेट्स में घुमा-फिराकर ट्रैक करना मुश्किल बना देते थे. एक अधिकारी ने बताया कि इन पीड़ितों को बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि उनकी मेहनत की कमाई कहां जा रही है. इसी वजह से I4C ने 27 वर्चुअल (डिजिटल) एसेट सर्विस प्रोवाइडर (VASPs) प्लेटफ़ॉर्म्स की एक इंटरनल लिस्ट बनाकर इसे सभी जांच एजेंसियों और फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (FIU) के साथ साझा किया है.
I4C की रिपोर्ट बताती है कि सितंबर 2025 तक मिले 1,608 शिकायतों में कुल 200 करोड़ रुपये भारत के ही VASP प्लेटफ़ॉर्म्स में गए, और 1,264 शिकायतों में 423.91 करोड़ रुपये पिछले वर्ष इन प्लेटफ़ॉर्म्स के जरिए बाहर गया था. कुल मिलाकर लगभग 623.63 करोड़ रुपये की रकम ट्रैक हो पाई, लेकिन अधिकारियों की मानें तो यह सिर्फ ‘आइसबर्ग का सिरा’ है, यानी असल रकम इससे कहीं ज्यादा हो सकती है.
कौन-कौन सी एक्सचेंज? क्या-क्या कहा
MHA ने जिन भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंजों को चिन्हित किया है, उनमें CoinDCX, WazirX, Giottus, ZebPay, Mudrex, और CoinSwitch जैसे बड़े नाम शामिल हैं. इन एक्सचेंजों का बाजार में बड़ा हिस्सा है, इसलिए अपराधियों ने इन्हें निशाना बनाया.
जब इस बारे में इन प्लेटफ़ॉर्म्स से कमेंट मांगा गया तो CoinSwitch ने साफ कहा कि ‘ऐसे कोई ट्रांसफर हमारी प्लेटफ़ॉर्म से नहीं हुए हैं. हमारा सिस्टम पूरी तरह सुरक्षित और नियमों का पालन करने वाला है, इसलिए किसी तरह के गलत इस्तेमाल की गुंजाइश नहीं है.’
CoinDCX की टीम ने कहा कि वे गोपनीयता नियमों के कारण किसी खास केस की जानकारी शेयर नहीं कर सकते, लेकिन उन्होंने यह जरूर बताया कि उनके पास मल्टी-सिग्नेचर और मल्टी-पार्टी कम्प्यूटेशन (MPC) वॉलेट जैसी हाइब्रिड सुरक्षा तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है.
कुछ एक्सचेंजों ने यह भी कहा कि वे सिर्फ लेन-देन की सुविधा देते हैं, असल जिम्मेदारी उस व्यक्ति की है जो पैसा भेज या प्राप्त कर रहा है. Mudrex के इंडिया हेड प्रांजल अग्रवाल ने बताया कि 2023 से FIU में रजिस्टर्ड सभी प्लेटफ़ॉर्म ने KYC और AML (एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग) संबंधित नियमों को ठीक कर लिया है. उन्होंने कहा- “रिपोर्टिंग संस्थाओं के रूप में, हम नियमित रूप से संदिग्ध लेन-देन रिपोर्ट (STRs) दाखिल करते हैं… हम हर निकासी पर कड़े नियम लागू करते हैं, ताकि कोई गलत एक्टिविटी न हो.”
Giottus के CEO विक्रम सुब्बुराज ने इसे समझाने के लिए एक उदाहरण दिया. उन्होंने कहा, “अगर कोई अपराधी Swiggy से खाना मंगाए या Ola से कैब ले, तो क्या Swiggy या Ola उस अपराध में शामिल हो जाते हैं? बिल्कुल नहीं. यही नियम क्रिप्टो एक्सचेंजों पर भी लागू होता है.” उनका कहना है कि बैंकिंग सिस्टम में भी क्राइम का पैसा आता-जाता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि बैंक अपराध में साथी हैं.
CoinDCX ने स्वीकार किया कि क्रिप्टो जगत जैसे-जैसे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे बुरे लोग नई तरकीबें निकाल रहे हैं. उनकी टीम के अनुसार, “हमारा फोकस इन खतरों से आगे रहना है. हम KYC, AML, और सिक्योरिटी सिस्टम में लगातार सुधार कर रहे हैं, ताकि किसी भी तरह का दुरुपयोग रोका जा सके.”
क्यों कमजोर हो रहा क्रिप्टो मार्केट का भरोसा?
वहीं दूसरी तरफ, क्रिप्टो मार्केट में कई ऐसे मुद्दे भी हैं, जिन्होंने आम लोगों का भरोसा कमजोर किया है. जैसे KYC में गड़बड़ी, शिकायतों का समाधान न होना, पैसे निकलने में देरी, या अचानक अकाउंट से कटौती हो जाना. कुछ बड़े भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंजों में हुए साइबर हमले भी लोगों की चिंता बढ़ा चुके हैं.
जुलाई 2024 में WazirX पर एक बड़ा हैक हुआ, जिसमें करीब 235 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ. इसके को-फाउंडर निश्चल शेट्टी ने कहा, “हमारे सर्वर नहीं, बल्कि थर्ड-पार्टी कस्टडी सर्वर हैक हुआ था.” उन्होंने यह भी बताया कि वे अपनी 85 फीसदी जिम्मेदारियां पूरा कर चुके हैं और BitGo के साथ साझेदारी कर ली है, जिसमें 250 मिलियन डॉलर का बीमा कवरेज है.
ZebPay ने भी कहा कि वे अपने प्लेटफ़ॉर्म की सुरक्षा और पारदर्शिता को सबसे ऊपर रखते हैं. उनके अनुसार, “हम सख्त KYC, AML और साइबरसिक्योरिटी नियमों का पालन करते हैं, ताकि किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधि जल्दी पकड़ी जा सके.”
जब बैन लगा, तब क्रिप्टो एक्सचेंजों के पास नहीं थे बैंक अकाउंट
भारत में कई बड़े क्रिप्टो प्लेटफ़ॉर्म विदेशी कंपनियों द्वारा संचालित होते हैं. कुछ ने कहा कि ऐसा करना आसान फंडिंग और कारोबार चलाने हेतु सामान्य तरीका है, लेकिन कुछ का कहना है कि इसके पीछे टैक्स और नियमों से जुड़ी परेशानी भी है. एक CTO ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “जब 2018 में क्रिप्टो पर बैन लगा था, तब भारतीय एक्सचेंजों के पास बैंक अकाउंट तक नहीं थे. ऐसे समय में विदेशी होल्डिंग कंपनी बनाना मजबूरी थी.”
GST विभाग (DGGI) ने 2022 में कई क्रिप्टो प्लेटफ़ॉर्म्स में सर्च किया था. वित्त मंत्रालय के मुताबिक, 17 क्रिप्टो एक्सचेंजों ने 824.14 करोड़ रुपये का GST नहीं चुकाया था. बाद में जांच के दौरान 122.29 करोड़ रुपये की वसूली की गई. जुलाई 2024 से विदेशी प्लेटफ़ॉर्म्स को भी GST दायरे में ला दिया गया है.
अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) और FIU यह जांच कर रहे हैं कि कहीं भारतीय मध्यस्थ “क्रिप्टो म्यूल” का काम तो नहीं कर रहे. यानी अपराधियों के पैसे को टोकन में बदलकर कमीशन लेना. साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि कहीं प्लेटफ़ॉर्म्स की लापरवाही के कारण बिना KYC वाले अकाउंट्स ने सिस्टम को चकमा तो नहीं दिया.
सबसे बड़ा फ्रॉड ट्रांफसर 10.09 करोड़ का
NCRP डेटा में सबसे बड़ा फ्रॉड ट्रांसफर 10.09 करोड़ रुपये का पाया गया, जो UK/US आधारित Onlychain Vilnius के ज़रिए गया था. दूसरा सबसे बड़ा ट्रांसफर 8.13 करोड़ रुपये Mauritius आधारित Ezipay Ebene के ज़रिए हुआ.
Onlychain Vilnius ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया, जबकि Ezipay ने कहा, “हम कोई क्रिप्टो सेवा नहीं देते. हमारे सभी ट्रांजैक्शन कार्ड-बेस्ड और सुरक्षा नियमों के तहत होते हैं.” उन्होंने कहा कि वे भारतीय एजेंसियों के साथ जरूरत पड़ने पर सहयोग करते हैं.
इन सभी बातों के बाद साफ होता है कि भारत का क्रिप्टो मार्केट अभी सीखने, सुधारने और मजबूत होने की प्रक्रिया में है. लोग अभी भी इसके बारे में पूरी तरह जागरूक नहीं हैं, और अपराधी इस कमी का फायदा उठाते हैं. सरकार और एक्सचेंज दोनों अपनी तरफ से नियमों और तकनीक को बेहतर बनाने में लगे हैं, लेकिन आम लोगों को भी सावधान रहना होगा, क्योंकि डिजिटल दुनिया में एक छोटी-सी गलती बहुत बड़ा नुकसान कर सकती है.
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1 hour ago
