ग्रीन एनर्जी से AI तक भारत का गेम-चेंजर प्लान, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा ने मिलाया हाथ

1 hour ago

ACITI: मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दुनिया मौजूदा समय में सप्लाई रुकावट, पर्यावरण की जरूरतों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से होने वाले बड़े बदलावों की वजह से जूझ रही है. ऐसे वक्त पर तीनों देशों के बीच एसीआईटीआई समझौते ग्रीन एनर्जी इनोवेशन, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और जरूरी रिसोर्स सिक्योरिटी के लिए मिलकर काम करने वाले एक मॉडल के तौर पर सामने आया है. इस पार्टनरशिप से तीनों देश एक-दूसरे को ताकत देंगे. क्योंकि ऑस्ट्रेलिया और कनाडा बैटरी, इलेक्ट्रिक गाड़ियों के अलावा ग्रीन इकॉनमी को सहारा देने वाले डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए जरूरी बहुत सारे महत्वपूर्ण मिनरल्स के संरक्षक हैं. जबकि भारत अपना बड़ा घरेलू मार्केट होने की वजह से मैन्युफैक्चरिंग पावरहाउस है. साथ ही एआई और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर भी भारत की विशेषज्ञता लगातार बढ़ रही है.

सप्लाई चेन में बदलाव
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत और दोनों देशों साथ मिलकर क्लीन एनर्जी टेक्नोलॉजी को तेज कर सकते हैं. इतना ही नहीं इसके साथ-साथ सप्लाई चेन में विविधता लाने और दुनिया भर में भरोसेमंद स्टैंडर्ड के लिए एक सिनर्जिस्टिक इकोसिस्टम बना रहे हैं. भारत, आस्ट्रेलिया और कनाडा के बीच पार्टनरशिप मुख्य उद्देश्य सप्लाई चेन में बदलाव लाना है, जिसमें कोविड-19 के बाद से रुकावट आईं हैं.  तो वहीं इंडो-पैसिफिक और उससे आगे बढ़ते वैश्विक राजनीतिक तनाव के बाद यह तो साफ है कि मिनरल्स या तकनीक के इनपुट के लिए एक जगह मौजूद सोर्स पर निर्भर रहने से रिस्क पैदा होते हैं. 

मजबूत वैल्यू चेन
रिपोर्ट्स में एसीआईटीआई का फोकस लिथियम, कोबाल्ट, रेयर अर्थ और दूसरे जरूरी तत्वों पर बताया गया है, ताकि मजबूत वैल्यू चेन बनाई जा सके. इसके चलते जिम्मेदार सोर्सिंग और सस्टेनेबिलिटी लक्ष्यों के साथ जुड़ी सर्कुलर इकॉनमी प्रैक्टिस को बढ़ावा मिलता है. ग्रीन एनर्जी इनोवेशन भी तीनों देशों के बीच हुई इस एसीआईटीआई पार्टनरशिप का अहम हिस्सा है. इसके लिए तीनों देश रिन्यूएबल एनर्जी टेक्नोलॉजी के रिसर्च, डेवलपमेंट और डिप्लॉयमेंट पर साथ मिलकर काम करेंगे. इसमें हाइड्रोजन, एनर्जी स्टोरेज और एडवांस्ड क्लीन-टेक सिस्टम भी शामिल हैं.जिस तरीके से ऑस्ट्रेलिया और कनाडा बड़े नेट-जीरो टारगेट को आगे बढ़ा रहे हैं तो इसी तरह भारत की बहुत ज्यादा एनर्जी डिमांड और मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी बड़े पैमाने पर असर डालने के मौके देती है. जिसके चलते यह तीन-तरफा सहयोग एनर्जी ट्रांजिशन को तेज करने के लिए नया मानक भी बना सकता है. 

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इनपुट-आईएएनएस

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