चीन के खिलाफ का बड़ा एक्शन, भारत ने इन 5 प्रोडक्ट्स पर लगाई एंटी डंपिंग ड्यूटी

2 days ago

India Action on China: भारत ने चीन के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया है और चार चीनी प्रोडक्ट्स पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाने का फैसला लिया है. सरकार ने यह कदम घरेलू कंपनियों को सस्ते आयात से बचाने के लिए उठाया है. क्योंकि ये चार सामाना, जिनमें  वैक्यूम फ्लास्क, एल्युमीनियम फॉइल , ट्राइक्लोरो आइसोसिनोरिक एसिड और सॉफ्ट फेराइट कोर्स शामिल हैं उन्हें सामान्य से कम कीमत पर चीन से भारत को एक्सपोर्ट किए गए थे. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड, राजस्व विभाग ने अलग-अलग अधिसूचनाओं में इसकी जानकारी देते हुए बताया कि ये शुल्क पांच सालों के लिए लगाया गया है.

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड की अधिसूचना के मुताबिक, सॉफ्ट फेराइट कोर, वैक्यूम इंसुलेटेड फ्लास्क और ट्राइक्लोरो आइसोसायन्यूरिक एसिड के एक्सपोर्ट पर पांच साल के लिए शुल्क लागू होगा. रिपोर्ट के मुताबिक, एल्युमीनियम फॉयल के आयात पर छह महीने की अवधि के लिए 873 अमेरिकी डॉलर प्रति टन तक का प्रोविजनल एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाया गया है.

सरकार ने चीन और जापान दोनों से इंपोर्टेड वाटर ट्रीटमेंट के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रसायन ट्राइक्लोरो आइसोसायन्यूरिक एसिड पर 276 डॉलर प्रति टन से लेकर 986 डॉलर प्रति टन तक शुल्क लगाया है. वहीं, इलेक्ट्रिक गाड़ियों, चार्जर और दूरसंचार उपकरणों जैसे उपकरणों में इस्तेमाल होने वाले सॉफ्ट फेराइट कोर के लिए सीआईएफ (लागत, बीमा, माल ढुलाई) मूल्य का 35 फीसदी तक शुल्क लगाया जाएगा.

वैक्यूम इंसुलेटेड फ्लास्क के मामले में 1,732 अमेरिकी डॉलर प्रति टन का एंटी-डंपिंग शुल्क लगाया गया है, जबकि पॉली विनाइल क्लोराइड पेस्ट रेजिन के आयात पर शुल्क 89 अमेरिकी डॉलर प्रति टन से लेकर 707 अमेरिकी डॉलर प्रति टन तक है. ये शुल्क चीन, कोरिया, मलेशिया, नॉर्वे, ताइवान और थाईलैंड से आयात पर लागू होते हैं और पांच साल तक प्रभावी रहेंगे.

क्यों लगाया जाता है एंटी डंपिग ड्यूटी?
ये उपाय वाणिज्य मंत्रालय की जांच शाखा, व्यापार उपचार महानिदेशालय (DGTR) द्वारा की गई सिफारिशों के बाद किए गए हैं. विश्व व्यापार संगठन (WTO) द्वारा निर्धारित नियमों के मुताबिक, देशों द्वारा घरेलू उद्योगों को अनुचित रूप से कम कीमतों पर एक्सपोर्ट में इजाफा से बचाने के लिए एंटी-डंपिंग शुल्क लगाया जाता है.

भारत ने पहले भी लगाए हैं ऐसे शुल्क
भारत ने पहले भी चीन जैसे देशों से सस्ते आयात का मुकाबला करने के लिए अलग-अलग उत्पादों पर इसी तरह के शुल्क लगाए हैं. चूंकि भारत और चीन दोनों ही विश्व व्यापार संगठन के मेंबर हैं, इसलिए यह कदम भारत की अपने पड़ोसी देश के साथ बढ़ते व्यापार घाटे के बारे में चल रही चिंताओं को दर्शाता है, जो 2023-24 में 85 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच गया है.

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