Last Updated:April 08, 2025, 15:45 IST
Kerala: कासरगोड के मणिमूला में जल जीवन मिशन के तहत खुदाई के दौरान प्राचीन पाषाण युग के मिट्टी के बर्तन, हड्डियों के टुकड़े और लोहे के अवशेष मिले है.

खुदाई में मिले अवशेष
केरल के कासरगोड जिले के मणिमूला, बांदादुक्का इलाके में एक चौंकाने वाली ऐतिहासिक खोज हुई है. जल जीवन मिशन योजना के अंतर्गत जब यहां घरों तक पेयजल पहुंचाने के लिए जमीन की खुदाई हो रही थी, तब मिट्टी के नीचे से सदियों पुराने मिट्टी के बर्तन और इंसानी हड्डियों के टुकड़े मिले. खुदाई के दौरान एक विशाल कटोरा मिला जिसमें हड्डियों के छोटे-छोटे टुकड़े थे.
इतिहास की खामोश गवाही दे रहे हैं बर्तन और हड्डियाँ
इस खोज में जो चीजें सामने आई हैं, उनमें सबसे अहम है उत्तरी काले रंग का पॉलिश किया हुआ एक प्राचीन बर्तन. इस तरह के बर्तन का इस्तेमाल आमतौर पर 5वीं से पहली शताब्दी ईसा पूर्व के बीच होता था. इसके साथ ही, चार पैरों वाले पाँच बर्तन, एक बड़ा ढक्कन जिसे ‘नन्ननगाडी’ का हिस्सा माना जा रहा है, और कुछ लोहे की वस्तुएं भी पाई गईं.
डॉ. नंदकुमार ने बताया अनोखा मामला
इतिहासकार और पुरातत्व विशेषज्ञ डॉ. नंदकुमार कोरोथ ने बताया कि लाल बलुआ पत्थर में हड्डियों के टुकड़े मिलना आम बात है, लेकिन मिट्टी के बर्तनों के साथ इतनी हड्डियाँ मिलना बहुत ही असामान्य है. उन्होंने यह भी कहा कि आम तौर पर मिट्टी के पास पाई जाने वाली हड्डियाँ समय के साथ सड़ जाती हैं, लेकिन यहां जो हड्डियाँ मिली हैं, वे संभवतः एक बड़े बर्तन में सील की गई थीं, जिससे वे आज तक सुरक्षित रह पाईं.
दबी हो सकती है और भी धरोहरें
विशेषज्ञों का मानना है कि जिस बड़े बर्तन के हिस्से अभी मिले हैं, उसके बाकी टुकड़े अब भी मिट्टी के नीचे दबे हो सकते हैं. इतना ही नहीं, पास में ही एक लाल पत्थर का मकबरा भी है, जो मेगालिथिक काल (महान पाषाण युग) से जुड़ा हुआ है. यह मकबरा इस बात की ओर इशारा करता है कि यह पूरा इलाका एक जमाने में किसी सभ्यता का हिस्सा रहा होगा.
इतिहास को समझने का सुनहरा मौका
अगर इस खोज का वैज्ञानिक ढंग से अध्ययन किया जाए, तो इससे हमें उस दौर की संस्कृति, जीवनशैली और परंपराओं के बारे में बहुत सी नई जानकारियाँ मिल सकती हैं. फिलहाल, जो भी वस्तुएं यहां से मिली हैं, उन्हें पय्यानूर के गांधी स्मारक संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है.
भविष्य में मिल सकते हैं और भी संकेत
डॉ. नंदकुमार और उनकी टीम को उम्मीद है कि यह सिर्फ शुरुआत है. जैसे-जैसे खुदाई आगे बढ़ेगी, वैसे-वैसे और भी अवशेष सामने आ सकते हैं. यह खोज हमारे इतिहास के एक ऐसे पन्ने को खोलने जा रही है, जो अब तक अनदेखा और अनसुना था.
First Published :
April 08, 2025, 15:45 IST