Last Updated:November 12, 2025, 15:54 IST
फिल्मों में हमने देखा है कि जल्लाद के जरिए हत्या जैसे संगीन अपराधों के दोषियों को सजा-ए-मौत दी जाती है. आने वाले वक्त में यह नियम बदलने जा रहा है. जल्लादों की नौकरी जाने वाली है. ऐसा इसलिए क्योंकि केंद्र सरकार अपराधी को फांसी पर लटकाने की जगह अन्य तरीकों से मौत की सजा देने पर विचार कर रही है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस बात की जानकारी दी.
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी. नई दिल्ली. भारत में फांसी की सजा को लेकर एक ऐतिहासिक बदलाव की आहट सुनाई दे रही है. हमने अबतक जल्लादों के माध्यम से जघन्य अपराध में शामिल दोषी को मौत की सजा पाते देखा है. आने वाले वक्त में फांसी देकर सजा-ए-मौत देना इतिहास होने वाला है. जल्लादों के दिन लदने वाले हैं. ऐसा हम नहीं कर रहे हैं बल्कि खुद केंद्र सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में यह जानकारी दी गई है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि वह मौत की सजा को लागू करने के मौजूदा तरीके यानी फांसी की जगह कोई कम दर्दनाक और मानवीय विकल्प लाने पर विचार कर रही है. हालांकि अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है, लेकिन इस दिशा में विमर्श जारी है.
अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की बेंच को बताया कि इस मुद्दे पर विचार-विमर्श चल रहा है और सरकार को ठोस स्थिति पेश करने के लिए कुछ और समय चाहिए. “मैं इस मुद्दे से अवगत हूं. कुछ बैठकों में चर्चा हुई है, लेकिन अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है.” अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी 2026 के लिए तय की है. यह याचिका वरिष्ठ वकील ऋषि मल्होत्रा ने दायर की है, जिन्होंने फांसी के तरीके को असंवैधानिक बताया है. उनका तर्क है कि फांसी एक पुरानी और क्रूर प्रक्रिया है, जो दोषियों को लंबा शारीरिक कष्ट देती है और यह अनुच्छेद 21 के तहत ‘गरिमा के साथ जीवन के अधिकार’ का उल्लंघन करती है. उन्होंने बताया कि 40 से अधिक देशों ने अब लेथल इंजेक्शन या अन्य कम पीड़ादायक तरीकों को अपनाया है.
अब किस तरीके से फांसी का है प्लान?
सुप्रीम कोर्ट ने भी पहले कहा था कि फांसी का तरीका औपनिवेशिक काल से चला आ रहा है, जबकि दुनिया के कई देशों में यह बदल चुका है. अदालत ने केंद्र से पूछा था कि क्या अब दोषियों को फांसी और अन्य विकल्पों में से चुनने का अधिकार दिया जा सकता है. हालांकि सरकार ने अपने पुराने हलफनामे में कहा था कि फांसी सबसे सुरक्षित और त्वरित तरीका है, जबकि लेथल इंजेक्शन में असफलताओं की संभावना अधिक रहती है. फिर भी केंद्र ने अदालत को भरोसा दिलाया कि वह वैकल्पिक तरीकों पर अध्ययन कर रही समिति की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है. यह बहस केवल एक कानूनी मुद्दा नहीं, बल्कि संवेदना और आधुनिक मानवता का सवाल बन गई है. अगर सरकार और अदालत इस दिशा में आगे बढ़ती हैं, तो भारत में फांसी देने का तरीका बदल सकता है.
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...
और पढ़ें
न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
First Published :
November 12, 2025, 15:52 IST

1 hour ago
