तेजस्वी के इस फरमान के बाद RJD नेताओं को लगा 'कवाछ', भीड़ जुटाकर लेते थे...

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Last Updated:May 12, 2025, 18:22 IST

Bihar Chunav: बिहार चुनाव 2025 में आरजेडी टिकट वितरण में उम्मीदवारों की लोकप्रियता पर ध्यान दे रही है. AIMIM और NDA की रणनीति से चिंतित तेजस्वी यादव ने भीड़ जुटाने की क्षमता वाले नेताओं को भी इस बार टिकट से वंच...और पढ़ें

तेजस्वी के इस फरमान के बाद RJD नेताओं को लगा 'कवाछ', भीड़ जुटाकर लेते थे...

बिहार चुनाव में आरजेडी टिकट वितरण में उम्मीदवारों की लोकप्रियता पर ध्यान दे रही है.

हाइलाइट्स

तेजस्वी यादव ने भीड़ जुटाने वाले नेताओं को टिकट से वंचित करने का फैसला किया.आरजेडी इस बार प्रदर्शन और स्थानीय कार्यकर्ताओं की स्वीकार्यता पर केंद्रित है.एआईएमआईएम और एनडीए की रणनीति से चिंतित है आरजेडी.

पटना. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे राजनीतिक दलों में टिकट बंटवारे को लेकर हलचल तेज हो गई है. लेकिन राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने इस बार साफ कर दिया है कि भीड़ जुटाकर टिकट लेने वाले नेताओं का इस बार पत्ता साफ कर दिया जाएगा. पिछले विधानसभा चुनाव में इस तरह के नेताओं ने आरजेडी की नैया डुबो दी थी. तभी तो आरजेडी के एक वरिष्ठ नेता जो बिहार विधान परिषद के सदस्य भी हैं और दल में गहरी पैठ भी है. बीते दिनों एक कार्यक्रम में तेजस्वी यादव के कार्यक्रम में जबरदस्त भीड़ जुटाई थी. लेकिन जैसे ही तेजस्वी यादव मंच पर बोलने आए तो साफ कर दिया कि इस बार भीड़ में फंसना नहीं है. अभी चुनाव है, टिकट के लिए लोग भीड़ जुटा ही लेते हैं, लेकिन बाद में पार्टी की जगहंसाई करा देते हैं. इतना कहते ही भीड़ जुटाने वाले नेताजी का चेहरा उतर गया.

आरजेडी इस बार टिकट वितरण में फूंक-फूंककर कदम रख रही है. आरजेडी इस बार सतर्कता के साथ रणनीति बना रही है. 2020 में मामूली अंतर से सत्ता से चूकने के बाद तेजस्वी यादव टिकट वितरण में कोई जोखिम नहीं लेना चाहते हैं. आरजेडी सूत्रों की मानें तो भीड़ जुटाने की क्षमता के बावजूद कई मौजूदा विधायकों को टिकट से वंचित किया जा सकता है. इसके साथ ही आरजेडी को इस बार कई आंतरिक और बाहरी चुनौतियों का भी डर सता रहा है. विशेष रूप से 2020 में गलत दांव उल्टा पड़ने की याद अभी भी जेहन से नहीं जा रही है.

भीड़ जुटाने वाले नेताओं को क्या टिकट नहीं देगी आरजेडी?
टिकट वितरण में सख्ती आरजेडी इस बार टिकट वितरण में प्रदर्शन और स्थानीय कार्यकर्ताओं की स्वीकार्यता को प्राथमिकता दे रही है. पिछली बार जिन विधायकों का प्रदर्शन कमजोर रहा है, उन्हें टिकट के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी. 2020 में आरजेडी ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा और 75 सीटें जीतीं, लेकिन कुछ विधायकों की निष्क्रियता और क्षेत्र में कमजोर पकड़ ने गठबंधन को नुकसान पहुंचाया. इस बार, तेजस्वी यादव स्थानीय फीडबैक और सर्वेक्षणों के आधार पर उम्मीदवार चुन रहे हैं.

क्यों चिंतित हैं तेजस्वी यादव?
RJD की चिंताएं इस बार आरजेडी के टिकट बंटवारे में भीड़ जुटाने की क्षमता अकेला मापदंड नहीं होगा. बल्कि, मतदाता आधार, विशेष रूप से MY-BAAP (मुस्लिम-यादव-बहुजन-आधी आबादी-पिछड़े) गठजोड़ और जीतने की संभावना पर ध्यान दिया जा रहा है. आरजेडी को इस बार भी सबसे बड़ी चिंता AIMIM की भूमिका की है. 2020 में AIMIM ने सीमांचल में पांच सीटें जीतीं, जिसने महागठबंधन का वोट बैंक, विशेष रूप से मुस्लिम मतदाताओं को बांट दिया. इस बार असदुद्दीन ओवैसी 100 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की योजना बना रहे हैं, जो आरजेडी के लिए बड़ा खतरा है. इसके अलावा NDA गठबंधन की मजबूत रणनीति भी RJD को परेशान कर रही है.

2020 में पड़ा था उल्टा दांव
2020 में उल्टा पड़ा दांव 2020 में आरजेडी ने कई सीटों पर गलत उम्मीदवारों को टिकट दिया, जिसका खामियाजा भुगतना पड़ा. उदाहरण के लिए कुछ क्षेत्रों में स्थानीय नेताओं की अनदेखी और कमजोर प्रत्याशियों पर दांव ने मतदाताओं को निराश किया. इसके अलावा आरजेडी का CPI(ML) और कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे में संतुलन की कमी थी, जिससे महागठबंधन की एकजुटता प्रभावित हुई.

कुल मिलाकर, बिहार चुनाव 2025 में RJD टिकट वितरण में सावधानी बरत रही है. इससे भीड़ जुटाने वाले कई नेताओं को कवाछ लग गया है, जो अब इधर-उधर हाथ पांव मारने लगे हैं. एआईएमआईएम, प्रशांत किशोर और एनडीए की रणनीति भी आरजेडी की चिंताएं बढ़ा रही हैं. ऐसे में 2020 में गलत दांव का सबक लेते हुए तेजस्वी यादव इस बार मजबूत रणनीति पर जोर दे रहे हैं.

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