Last Updated:November 28, 2025, 13:43 IST
Arjun Singh and Jagannath Mishra Removed From CM Post: कर्नाटक में सीएम सिद्दारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बीच तकरार चरम पर है. कांग्रेस हाईकमान भी कोई स्पष्ट फैसला नहीं ले पा रहा है. लेकिन, एक दौर ऐसा भी था जब कांग्रेस का यही हाईकमान कई घंटों में सीएम बदलता था. उसने अर्जुन सिंह जैसे कद्दावर नेता को मध्य प्रदेश का सीएम बनाने के कुछ ही घंटों के भीतर पद से हटा दिया था. इसी तरह बिहार में जगन्नाथ मिश्रा को भी इंदिरा गांधी ने एक झटके में सीएम पद से हटा दिया था.
कांग्रेस ने अपने इन दोनों मुख्यमंत्रियों को नियुक्ति के कुछ ही घंटों के भीतर हटा दिया था.Arjun Singh and Jagannath Mishra Removed From CM Post: कर्नाटक में सीएम सिद्दारमैया और उनके डिप्टी डीके शिवकुमार के बीच जारी टकराव के बीच यह साफ हो चुका है कि राहुल गांधी की कांग्रेस हाईकमान ने अब अपनी हनक खो दी है. वरना, एक ऐसा भी दौर था जब कांग्रेस हाईकमान दूध से मक्खी की तरह अपने सीएम बदलती थी. सिद्दारमैया और डीके के बीच का ताजा विवाद राहुल गांधी की कांग्रेस के लिए कुछ नया नहीं है. बीते करीब एक दशक में ऐसे कई मौके आए हैं जब कांग्रेस हाईकमान पूरी तरह पंगू दिखा है. बात मध्य प्रदेश से शुरू करते हैं जहां कमलनाथ और उस वक्त कांग्रेस में सीएम पद के दावेदार रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच सुलह कराने में हाईकमान विपल रहा.
फिर राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच तकरार में सरकार गंवाने तक की नौबत आ गई. वो तो अशोक गहलोत थे जिन्होंने अपने दम पर अपनी सरकार बचा ली. ऐसी ही स्थिति छत्तीसगढ़ में देखी गई. 2018 में भूपेश बघेल सीएम बने लेकिन उनके पूरे कार्यकाल में टीएससी देव के साथ टकराव ने पार्टी को बड़ा नुकसान पहुंचाया. नतीजतन 2023 में वहां से भी कांग्रेस की सरकार बेदखल हो गई. इस सभी घटनाओं में राहुल गांधी की कांग्रेस का हाईकमान लगातार विफल साबित हुआ है.
कभी बेहद ताकतवर था हाईकमान
अब थोड़ा इतिहास खंघालते हैं. कांग्रेस हाईकमाल कभी बेहद ताकतवर चीज होता था. वह अपने मुख्यमंत्रियों को दूध से मक्खी की तरह आउट कर देखा था. आज हम आपको ऐसे दो उदाहरण देते हैं. पहला उदाहरण है मध्य प्रदेश का है. जहां अर्जुन सिंह जैसे कद्दावर नेता सीएम हुआ करते थे. अर्जुन सिंह नौ फरवरी 1980 को सीएम बने थे. उनके कार्यकाल में ही 2-3 दिसंबर की रात भोपाल गैस कांड हुआ. इसमें आधिकारिक तौर पर तीन हजार से अधिक लोग मारे गए. जबकि तमाम दावों में कहा गया कि उस घटना में 15 से 25 हजार लोगों की मौत हुई थी. इस घटना के केवल चार दिन के भीतर ही आरोपी कंपनी से मालिक एंडरसन को रिहा कर विदेश भेज दिया गया था.
कर्नाटक की लड़ाई अब दिल्ली दरबार पहुंच गई है.
एक दिन में सीएम पद से हटाए गए अर्जुन सिंह
इस घटना के बावजूद 1985 के विधानसभा चुनाव में राज्य में फिर कांग्रेस की जीत हुई. वह फिर से सीएम बने लेकिन केवल एक दिन के लिए. राजीव गांधी ने उनको सीएम पद से हटा दिया. हालांकि, इसको लेकर कई तरह के दावे किए जाते हैं. उस वक्त की द हिंदू अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक वॉरेन एंडरसन को भगाने के कारण अर्जुन सिंह के खिलाफ कार्रवाई हुई लेकिन, असल वजह पार्टी के भीतर पनपा असंतोष था. हालांकि फिर वह मार्च 1988 में सीएम बने. करीब एक साल तक इस पद पर रहे.
जानेमाने पत्रकार रशीद किदवई ने अपनी एक किताब में इस घटना को लेकर कुछ दावे किए हैं. उन्होंने लिखा है कि 1985 में भोपाल से लौटते वक्त ही राजीव गांधी गुस्से में थे और दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचते ही उन्होंने अर्जुन सिंह को हटाने का फरमान जारी कर दिया. यानी 24 घंटे के भीतर ही अर्जुन सिंह सीएम पद से बेदखल हो गए.
बिहार में भी ऐसा ही हुआ
अब आते हैं बिहार की घटना पर. बिहार में इंदिरा गांधी ने भारी असंतोष और पार्टी के सीनियर नेता ललितनारायण मिश्रा की हत्या के बाद जनभावना के दबाव में उनके भाई जगन्नाथ मिश्रा को सीएम बनाया था. उन्होंने आपातकाल से पहले 11 अप्रैल 1975 को सीएम बनाया गया. 1977 में जनता पार्टी की जीत के बाद वह सीएम पद से हट गए. फिर 1980 में कांग्रेस की शानदार जीत के बाद वह सीएम बने और 14 मार्च 1983 तक सीएम रहे. इसी तरह दौरान प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पटना दौरे के वक्त एक मामूली बात पर उनको 24 घंटे के भीतर सीएम पद से हटा दिया गया. इसके बाद फिर 1989 में बिहार में हुए चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली और जगन्नाथ मिश्रा सीएम बने लेकिन महज चार दिनों के भीतर राजीव गांधी ने उनको पद से हटा दिया.
कुल मिलाकर कांग्रेस पार्टी में 24 घंटे के भीतर सीएम बदलने का यह रिवाज कोई नया नहीं है. जब-जब पार्टी हाईकमान ताकतवर रहा तब तब ऐसा देखा गया. यहां तक कि सोनिया गांधी के पार्टी अध्यक्ष रहते यूपीए के कार्यकाल में कई राज्यों में सीएम बदले गए लेकिन, अब कांग्रेस हाईकमान अपनी रुतबा खो चुका है. उसके पास अब वो ताकत नहीं है कि वह क्षेत्रीय क्षत्रपों से प्रभावी तरीके से निपट सके.
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न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें
First Published :
November 28, 2025, 13:43 IST

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