पाकिस्तान को एक और चोट, USA का अफगानिस्तान को तोहफा; कई 'खूंखार' तालिबानियों को दी राहत

4 weeks ago

America-Afghansiatn Relation: पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव जारी है. बॉर्डर पर दोनों देशों की सैनिकों में झड़पें हो रही हैं. पाकिस्तान तालिबान सरकार पर इस्लामाबाद के खिलाफ आतंकियों को पनाह देने का आरोप लगा रहा है. हालांकि, तालिबान ने इसे खारिज करता रहा है. इस बीच, अमेरिका ने सबको चौंकाते हुए अफगानिस्तान से रिश्ते को बेहतर करने की दिशा में एक अहम कदम उठाया है. अमेरिकी सरकार ने तालिबान के तीन प्रमुख नेताओं सिराजुद्दीन हक्कानी, अब्दुल अजीज हक्कानी, याह्या हक्कानी पर लगे कई मिलियन डॉलर के भारी भरकम इनाम हटाने का फैसला किया है. अमेरिका ने यह कदम गुरुवार को तालिबान द्वारा अमेरिकी नागरिक को रिहा करने के बाद उठाया है. अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्रालय ने ये जानकारी दी है. मंत्रालय ने बताया कि तीन लोगों पर से अमेरिका ने इनाम को हटा लिया है, जिनमें से दो सगे भाई हैं, जबकि तीसरा उनका ही चचेरा भाई है. 

लिस्ट से अभी तक नहीं हटा है नाम
इन तीनों  तालिबानी नेताओं की सूचना देने के लिए अमेरिका ने ये इनाम रखा था. अल जजीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अब्दुल अजीज हक्कानी के ऊपर रखे गए इनाम को हटाने का ऐलान शनिवार को ही कर दिया गया था. बावजूद इसके, एफबीआई की वेबसाइट से इनाम की लिस्ट से हक्कानी का नाम नहीं हटाया गया है. इस लिस्ट में कहा गया है कि हक्कानी के ऊपर अफगानिस्तान में अमेरिका और नाटो के सैनिकों के खिलाफ बॉरडर पार हमलों की व्यवस्था करने और उनमें हिस्सा लेने का इल्जाम है.

ढाई साल से कैद में था अमेरिकी नागरिक
तालिबान ने गुरुवार को अमेरिकी नागरिक को रिहा कर दिया था. इस बारे में अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने जानकारी दी थी. उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा था कि जॉर्ज ग्लीजमैन, जिन्हें ढाई साल से अफगानिस्तान में गलत तरीके से अरेस्ट करके रखा गया था उन्हें रिहा कर दिया गया है.

मध्यस्थता के बाद किया रिहा
दरअसल, 65 साल के ग्लीजमैन ढाई साल पहले अफगानिस्तान की यात्रा पर गए थे, इसी दौरान उन्हें  तालिबान ने गिरफ्तार कर लिया था. न्यूयार्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्हें डोनाल्ड ट्रंप के विशेष बंधक दूत एडम बोहलर, तालिबान अफसरों और कतर के अफसरों द्वारा मध्यस्थता के बाद उन्हें रिहा किया.

वहीं, अमेरिका के इस फैसले के बाद तालिबान इसे एक जीत के रूप में देख रहा है. एक अफसर शफी आजम ने इस पूरे घटनाक्रम को 2025 में दोनों देशों के बीच में रिश्तों के सामान्यीकरण की शुरुआत बताया है. उन्होंने कहा कि इस फैसले से दोनों देशों के रिश्तों में सामान्य होने की शुरुआत मान सकते हैं.

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