महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस तुरूप का इक्का हैं. उनकी चाल हर बार बीजेपी के लिए फायदेमंंद साबित होती है. इसीलिए उन्हें महाराष्ट्र की सियासत का माहिर खिलाड़ी माना जाता है. इस बार भी उन्होंने गजब की चाल चली है. विधानसभा चुनाव में जब उन्हें लगा कि बागियों ने मुसीबत बढ़ा दी है, उनकी वजह से कई सीटें फंसती नजर आ रही हैं तो खुद मनाने निकल पड़े. घर-घर गए, एक एक बागी नेता से मुलाकात की और जब लौटे तो चेहरे पर मुस्कान थी. मतलब काम पूरा हो चुका था.
कहा जा रहा था कि पुणे में बीजेपी के नेता टिकट बंटवारे से काफी नाराज हैं. कई लोगों ने बीजेपी कैंडिडेट के खिलाफ पर्चा भी दाखिल कर दिया है. पार्टी ने उन्हें मनाने की कोशिश की, लेकिन जब बात बनती नहीं दिखी तो खुद फडणवीस ने मोर्चा संभाल लिया. शनिवार को वे खुद उन नेताओं के घर पहुंच गए. उन्हें मनाया और सबको साथ लाने की कोशिश की. सूत्रों के मुताबिक, ज्यादातर नेताओं ने नामांकन वापस लेने का ऐलान कर दिया है. इससे फडणवीस अपने मकसद में कामयाब होते दिखे.
किससे-किससे मिले
डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने सबसे पहले बागी नेता सनी निम्हां से मुलाकात की. पूर्व विधायक विनायक निम्हां के बेटे सनी निम्हां शिवाजीनगर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ना चाहते थे. बीजेपी से टिकट मांगा लेकिन नहीं मिला. इसके बाद वे कांग्रेस की ओर चले गए. उनसे भी टिकट मांगा. आखिर में जब फडणवीस को लगा कि नाराजगी भारी पड़ेगी तो घर जाकर खुद मनाया. उनकी नाराजगी दूर करके ही लौटे. इसी तरह उन्होंने श्रीनाथ भिमाले से भी मुलाकात की. श्रीनाथ भिमाले पार्वती निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ना चाहते थे. लेकिन पार्टी ने विधायक माधुरी मिसाल को फिर टिकट दे दिया. इससे वे काफी नाराज थे. लेकिन फडणवीस ने उनके घर जाकर उन्हें भी मना लिया.
इनको नहीं मनाया, तो चर्चा तेज
पुणे में फडणवीस कई बागी नेताओं से मिले, लेकिन खडकवासला सीट पर दावा ठोक रहे बागियों से मुलाकात नहीं की. दरअसल, इस सीट पर दो पूर्व नगर सेवक प्रसन्ना जगताप, येडे पाटिल अपना दावा ठोक रहे थे. बात नहीं बन पा रही थी. इसी वजह से टिकट देने में देरी हुई. आखिरकार पार्टी ने भीमराव तपकीर को मौका दे दिया. यहां सबसे ज्यादा असंतोष है, इसीलिए माना जा रहा है कि फडणवीस ने यहां जाना सही नहीं समझा.
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FIRST PUBLISHED :
November 2, 2024, 23:30 IST