नई दिल्ली: भारत में आज दिवाली की धूम है. अमेरिका समेत कई देशों में भी जश्न के साथ दिवाली मनाई जा रही है. अमेरिका में तो दिवाली पर स्कूलों की छुट्टी कर दी गई है. जो बाइडन के व्हाइट हाउस में भी दिवाली का जश्न है. मगर कनाडा है कि दिवाली को भी डिप्लोमेसी में घसीट रहा है. दिवाली पर कनाडा में जो हो रहा है, उससे साफ लग रहा कि खालिस्तानियों के प्रेम में वह अब हिंदुओं से बदला ले रहा है. भारत संग तल्खी के बीच कनाडा में दिवाली का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया. यह कार्यक्रम पार्लियामेंट में होना था.
दरअसल, कनाडा के विपक्षी नेता भी अब जस्टिन ट्रूडो के नक्शे कदम पर चल पड़े हैं. जस्टिन ट्रूडो ने न तो दिवाली सेलिब्रेट किया और न ही उन्होंने विश किया. वहीं, विपक्षी नेता पियरे पॉइलीवरे ने तो दिवाली सेलिब्रेशन कार्यक्रम ही रद्द कर दिया. जबकि कनाडा के पड़ोस में यानी अमेरिका में तो जो बाइडन ने काफी गर्मजोशी से दिवाली के त्योहार को सेलिब्रेट किया है.
कनाडा की संसद में होना था कार्यक्रम
दरअसल, भारत और कनाडा के रिश्ते इन दिनों ठीक नहीं चल रहे हैं. खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद से दोनों देशों के बीच तल्खी बढ़ गई है. कनाडा जहां भारत पर निशाना साध रहा है, वहीं भारत ने उत्तरी उस पर खालिस्तानियों को पनाह देने का आरोप लगाया है. साथ ही भारत उसके आरोपों को खारिज कर रहा है. इस हीच कनाडा के विपक्षी नेता पियरे पॉइलीवरे के कार्यालय ने पार्लियामेंट हिल पर होने वाले दिवाली समारोह को रद्द कर दिया है. ओटावा स्थित पार्लियामेंट हिल में ही देश की संसद है. इसका मतलब है कि इस बार कनाडा की संसद में दिवाली उत्सव नहीं होगा.
बिना किसी कारण के दिवाली उत्सव कैंसल
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिवाली का यह कार्यक्रम बुधवार 30 अक्टूबर को होना था, लेकिन इसे बिना किसी कारण के रद्द कर दिया गया. इस समारोह का आयोजन प्रवासी भारतीय समूह, ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ इंडिया कनाडा (OFIC) ने किया था और और इसकी मेजबानी कंजर्वेटिव सांसद टॉड डोहर्टी को करनी थी. कनाडा में पिछले 23 सालों के इतिहास में यह पहली बार हुआ है. यह आयोजन पिछले 23 वर्षों से आयोजित किया जा रहा है और इसमें कनाडा में रहने वाले हिंदू, जैन, सिख और बौद्ध भाग लेते हैं. मगर इस बार कनाडा में दिवाली उत्सव पर रोक लग गई.
भड़का है हिंदू समुदाय
हालांकि, विपक्षी नेता पॉइलीवरे के फैसले से कनाडा में रहने वाले हिंदू काफी नाराज हैं. ओएफआईसी के अध्यक्ष शिव भास्कर ने पॉइलीवरे को एक पत्र लिखा. इसमें उन्होंने समारोह रद्द होने पर दुख जताया. उन्होंने लिखा कि यह कार्यक्रम दिवाली के सम्मान में एक खुशी का अवसर होता. यह त्योहार न केवल भारतवंशी कनाडाई समुदाय के लिए बहुत अहम है, बल्कि कनाडा की बहुसांस्कृतिक भावना का भी प्रतीक है, जिस पर उसे गर्व है. भारत और कनाडा के बीच मौजूदा राजनयिक स्थिति के कारण इस कार्यक्रम से नेताओं के अचानक पीछे हटने से हमें विश्वासघात और अन्याय का एहसास हुआ है. उन्होंने आगे कहा कि यह बेहद चिंताजनक है.
ट्रूडो दिखा रहे असली रंग
हैरानी की बात है कि खालिस्तानियों को खुश करने में लगे जस्टिन ट्रूडो ने भी अब तक दिवाली का संदेश नहीं दिया है. न ही वह किसी दिवाली उत्सव में शामिल हुए हैं. पिछले साल 2023 में वह पार्लियामेंट हिल में आयोजित दिवाली उत्सव में जस्टिन ट्रूडो शामिल हुए थे और दीप जलाकर इस उत्सव को सेलिब्रेट किया था. मगर अब जस्टिन ट्रूडो अपना असली रंग दिखा रहे हैं. खालिस्तान प्रेम में वह इस बार हद पार कर रहे हैं. एक ओर कनाडा के ट्रूडो हैं, जो किसी तरह कुर्सी बचाने में भारत के खिलाफ जहर उगल रहे हैं. दूसरी तरफ शक्तिशाली देश अमेरिका है, जो भारत की खुशी में अपनी खुशी खोज रहा है. जी हां, बाइडन ने 28 अक्टूबर को व्हाइट हाउस में दिवाली को सेलिब्रेट किया.
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FIRST PUBLISHED :
October 31, 2024, 10:19 IST