बिहार की राजनीति में इस बार कहानी उलटी है... पास आने की नहीं, दूर जाने की है!

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Last Updated:December 03, 2025, 17:25 IST

Bihar Politics Rabri Devi Bunglow Controversy : पटना का 10 सर्कुलर रोड और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी का बंगला... कभी 1 अणे मार्ग मुख्यमंत्री आवास से एक छोटी-सी पैदल दूरी ने बिहार में राजनीति की तस्वीर पलट दी थी, एक सत्ता गिराई थी और एक नई सरकार बनाई थी. आज वही पता फिर सुर्खियों में है, पर इस बार कहानी पूरी तरह से विपरीत है-अब बात नजदीक आने की नहीं, दूरी बढ़ने की है!

बिहार की राजनीति में इस बार कहानी उलटी है... पास आने की नहीं, दूर जाने की है!राबड़ी देवी-नीतीश कुमार के बीच बढ़ती राजनीतिक दूरी

पटना. बिहार की राजधानी पटना का 10 सर्कुलर रोड वाला बंगला और उससे जुड़े घटनाक्रम सबसे दिलचस्प हैं. यही वो पता है जहां राबड़ी देवी 2006 से रहती आई हैं और जहां से लालू परिवार की राजनीति की धड़कनें चलती हैं, राजनीति रची जाती हैं और राजनीति बसती हैं. इस बंगले की कहानी सिर्फ एक मकान की नहीं है, ये बिहार की राजनीति के सबसे नाटकीय मोड़ों, पलटवारों और सत्ता बदलने की गवाह दीवारें भी हैं. ऐसा ही वक्त था 25 अप्रैल 2022… वो दिन जिसने बिहार की राजनीति में नया इतिहास लिखा था. नीतीश कुमार उस शाम इफ्तार पार्टी में शामिल होने राबड़ी देवी के इस आवास तक पैदल पहुंचे थे. दूरी-बस 300 मीटर!

300 मीटर की दूरी और सत्ता की नई पटकथा!

लेकिन राजनीति की भाषा में वह कदम दूरी की नहीं फासलों को कम करने का संदेश था. पटना ने पहली बार वह दृश्य देखा जहां सत्ता और विपक्ष की सीमा, प्रोटोकॉल और राजनीतिक दूरी, 300 मीटर की सड़क पर धुंधली पड़ गई थी. नीतीश मुस्कुराते हुए गए और राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव ने मुस्कुराकर स्वागत किया. शायद तब किसी ने जोर से नहीं कहा, पर सबने महसूस किया-कुछ बदल रहा है… और हुआ भी कुछ ऐसा ही. चार महीने बाद बिहार की सत्ता बदल गई.महज़ चार महीने के भीतर नीतीश कुमार ने एनडीए छोड़ दिया, भाजपा से दूरी बढ़ा ली और महागठबंधन की गोद में लौट आए.

सियासत यह संयोग या फिर संकेतों की राजनीति?

राजनीति के गलियारों में नीतीश कुमार की उस चहलकदमी की आज भी चर्चा होती है और कहा जाता है कि यहां 300 मीटर की दूरी में सिर्फ सड़क नहीं थी, बल्कि राजनीति का संदेश लिखा था. लेकिन, वक्त बदला और दौर भी बदल गया तो अब वही दूरी बढ़ गई- मगर क्यों? आज बात फिर उसी बंगले की है. लेकिन इस बार कहानी उल्टी है-पास आने की नहीं, दूर जाने की है. सरकार के नए आदेश के बाद नीतीश कुमार के आधिकारिक आवास और राबड़ी देवी के आवास की दूरी 300 मीटर नहीं अब 500 मीटर बढ़ जाएगी और यह 800 मीटर हो जाएगी. राजनीति के जानकार साफ-साफ कहते हैं कि यह 500 मीटर की दूरी नहीं, बल्कि बढ़ा हुआ राजनीतिक फासला है.

पटना 10 सर्कुलर रोड राबड़ी देवी का बंगला खाली करने का नोटिस, नीतीश कुमार और लालू यादव की बढ़ती राजनीतिक दूरी की कहानी,  

क्या ये सिर्फ आवास आवंटन की तकनीकी प्रक्रिया है?

राजनीति के गलियारों में बंगले को लेकर सवाल है- क्या ये राजनीतिक संकेत है? बहुतों का मानना है-हां, राबड़ी देवी का बंगला, जो सिर्फ बंगला नहीं इस बंगले में लालू प्रसाद यादव की वापसी की योजनाएं बनीं, तेजस्वी यादव की राजनीतिक यात्रा की नींव पड़ी और इसी जगह से नीतीश कुमार के साथ रिश्ते- कभी गर्मजोशी, कभी चुप्पी, कभी वैमनस्य और कभी संघर्ष के बीच झूलते रहे. और आज, वही बंगला चर्चा में है, क्योंकि अब वहां रहके अधिकार और नियम पर विवाद चल रहा है.

…तो अब क्या संदेश है?

जो लोग बिहार की राजनीति को पास से देखते हैं, वे कहते हैं-राजनीति में कुछ फैसले फाइलों में नहीं, फासलों में पढ़े जाते हैं. 300 मीटर की नज़दीकी ने कभी सत्ता पलट दी थी. अब 800 मीटर की दूरी क्या बदलती है- ये आने वाला समय बताएगा. आख़िर में-ये सिर्फ सड़क की दूरी बढ़ने का मामला नहीं, ये कहानी सिर्फ दो घरों की दूरी की नहीं है, ये कहानी है- राजनीतिक संकेतों की, बदलते समीकरणों की और उस अदृश्य धागे की जो राजनीतिक रिश्तों को जोड़ता और तोड़ता है.

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Vijay jha

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First Published :

December 03, 2025, 17:25 IST

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