बेंगलुरु में बारिश से नदी बन गया पूरा शहर, क्यों देश में हर जगह हो रहा ये हाल 

1 month ago

Why are cities drowning in rain? भारी बारिश ने पूरे देश में तांडव मचा रखा है. बादल इस बार इस कदर बरस रहे हैं कि मैदान से लेकर पहाड़ तक हर तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा है. दिल्ली-एनसीआर सहित कई राज्यों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है. हालत ये है कि आधे हिंदुस्तान में मौसम विभाग की तरफ से भारी बारिश का ‘ऑरेंज अलर्ट’ जारी किया गया है. उत्तर से पूर्वी भारत तक भारी बारिश का कहर देखने को मिल सकता है. पूरे देश में मानसून एक्टिव है. अभी की स्थिति के मुताबिक, आने वाले दिनों में भी मानसून काफी एक्टिव रहेगा. लेकिन बारिश के दौरान असली समस्या जलभराव की है. इसकी वजह से अच्छे खासे शहर तालाबों और नदियों में तब्दील हो गए है. कुछ शहरों के अधिकांश हिस्से पानी में डूब गए हैं. 

बेंगलुरु में बाढ़ जैसे हालात
पहले बात बेंगलुरु की. बेंगलुरु के कुछ हिस्सों में सोमवार शाम फिर भारी बारिश हुई, जिससे बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई. साथ ही सड़कों पर कई किलोमीटर लंबा जाम लग गया. जब भी बेंगलुरु में भारी बारिश होती है तो शहर का खराब बुनियादी ढांचा उजागर हो जाता है. सड़कें नदियों में बदल जाती हैं, घरों में पानी भर जाता है, अंडरपास मौत का जाल बन जाते हैं. बारिश हर साल होती है, लेकिन इससे बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) ने कोई सबक नहीं सीखा है. बेंगलुरु में रहने वाले लोग हैरान हैं कि बीबीएमपी बारिश से पैदा होने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए स्थायी उपाय क्यों नहीं कर सकती है. जानकार बताते हैं कि शहर में हालिया बाढ़ बड़े पैमाने पर कंक्रीटीकरण का प्रत्यक्ष परिणाम है. उन्होंने कहा कि झीलों और नालों का अतिक्रमण, वर्षा जल के प्राकृतिक मार्गों पर निर्माण से बाढ़ आती है. हमें इसे उलटने की जरूरत है, और इसमें कई साल लग सकते हैं, बशर्ते राजनीतिक इच्छाशक्ति हो.

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मुंबई में भी मच जाता है हाहाकार
बारिश के मौसम में मुंबई में भी बेंगलुरु जैसे हालात पैदा हो जाते हैं. लेकिन मुंबई में जुलाई महीने में होने वाली बारिश भारी पड़ती है. उन दिनों पूरे शहर में हाहाकार मच जाता है. सड़कें और गलियां नदी और नालों में बदल जाते हैं. बारिश की वजह से उपनगरीय ट्रेन सेवाएं और हवाई यातायात भी बाधित हो जाता है. इस बार बारिश और जलजमाव से स्थिति यह हो गई थी कि लोगों की जान बचाने के लिए एनडीआरएफ के साथ सेना तक को उतरना पड़ा था. कुछ इलाकों में केवल छह घंटों में 300 मिमी से अधिक बारिश हुई. जिससे सड़कें और निचले इलाके जलमग्न हो गए. 

दिल्ली-एनसीआर भी डूबने में पीछे नहीं
दिल्ली-एनसीआर में पिछले एक हफ्ते से लगातार बारिश हो रही है. राजधानी दिल्ली से लेकर गुरुग्राम, गाजियाबाद, नोएडा और फरीदाबाद में सोमवार को भारी बारिश ने ऐसा कहर बरपाया कि सड़कें जलमग्न हो गईं. गाड़ियां रेंगती हुई दिखीं.  दिल्ली-एनसीआर में पिछले एक हफ्ते से बारिश का दौर जारी है. दिल्ली और आसपास के इलाकों में सोमवार को बारिश होती रही. लेकिन शाम को काफी तेज बारिश हुई, जिससे सड़कों पर भारी जलजमाव हो गया. 

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क्‍यों हो रहा है बारिश में शहरों का बुरा हाल?
क्‍या आपने कभी सोचा है कि बारिश मामूली हो या भारी, जलभराव की स्थिति कैसे बन जाती है? बता दें कि ज्‍यादातर बड़े शहरों में बेहतरीन सीवेज सिस्‍टम्‍स बनाए गए हैं. फिर कैसे सड़कें पानी में डूब जाती हैं. इसका सबसे पहला कारण जलनिकासी की कमजोर व्यवस्था होना है. ज्‍यादातर शहरों में सीवेज सिस्‍टम पर करोड़ों रुपये खर्च किये जाताे हैं. शासन-प्रशासन दावा करते हैं कि बारिश में लोगों को जलभराव का सामना नहीं करना पड़ेगा. हालांकि, जलनिकासी की बेहद कमजोर व्‍यवस्‍था के कारण सारे दावे पानी में डूब जाते हैं. 

पर्याप्त नहीं है जल निकासी की सुविधा
जब तेज बारिश होती है तो ड्रेन से पानी सीवर लाइन में आता है या गलियों व सड़कों पर. यही कारण है कि बारिश में सीवर ओवरफ्लो होते हैं, जिससे दूषित पानी गलियों और सड़कों में भर जाता है.
दरअसल, बिना स्‍टैंडर्ड्स और स्ट्रक्चरल नॉलेज के मनमुताबिक जल निकासी की सुविधा देने के कारण जलभराव के हालात बनते हैं. कई बार शुरुआत में जलनिकासी सुविधा काम करती है, लेकिन लंबे समय में ये पूरी तरह से नाकाम साबित हो जाती है. विशेषज्ञों का कहना है कि पुराने शहरों में नई इमारतें बन रहीं हैं, लेकिन ड्रेनेज सिस्‍टम पर काम नहीं होता है. इससे बचना है तो शहर की आबादी, रिहायशी इलाकों और अगले 100 साल के अनुमान के मुताबिक ड्रेनेज सिस्टम बनना चाहिए.

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दूसरे विभागों की लापरवाही भी वजह
विशेषज्ञों के मुताबिक, कई शहरों में गंदगी के कारण भी ड्रेनेज सिस्टम फेल हो जाते हैं. इसके लिए आम लोग जिम्‍मेदार हैं. दरअसल, लोग पॉलीथीन और कूड़े को सड़क पर फेंक देते हैं. बारिश के दिनों में यही कूड़ा नालियों में पहुंचकर उन्‍हें जाम कर देता है. इससे पानी नालियों के जरिये बाहर निकलने के बजाय सड़कों पर जमा होने लगता है. इससे बचने के लिए बारिश का मौसम आने से पहले ही नाले-नालियों की सफाई की जानी चाहिए. वहीं, नालियों को इस तरह से बनाया जाना चाहिए कि उनमें कूड़ा कचरा ना फंसे. इसके अलावा कई बार अच्‍छी भली बनी हुई सड़कों को बिजली, जल या किसी दूसरे विभाग के लोग खुदवा देते हैं, लेकिन दुरुस्‍त नहीं करवाते. इससे भी कीचड़ और जलभराव की समस्या होती है.

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FIRST PUBLISHED :

August 13, 2024, 16:13 IST

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