रक्षा क्षेत्र में विकसित देशों के मुकाबले वाले हथियार बनाने में सक्षम हुआ भारत

1 month ago

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में भारत आत्मनिर्भर होने की दिशा में लगातार बढ़ रहा है. साथ ही भारत ने अपने बलबूते वो रक्षा प्रणाली भी डेवलप करने में सफलता हासिल कर ली है जो अभी तक विकसित देशों के पास ही थी. ये ऐतिहासिक सफलता भारत को मिली जब 24 जुलाई को फेज-II बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (बीएमडी) सिस्टम लांच किया गया. बीएमडी को ओडिशा के चांदीपुर के एलसी-IV धामरा से लॉन्च किया गया. ये बैलेस्टिक मिसाइल दुश्मन की पांच हजार किमी. रेंज वाली मिसाइलों से निपटने में सक्षम है, साथ ही इसमें ये क्षमता भी है कि 35 किमी. ऊंचाई की रेंज तक दुश्मनों के दांत खट्टे कर दे. इसका नाम आकाश मिसाइल रखा गया है. इससे पाकिस्तान के साथ चीन को भी माकूल जवाब दिया जा सकता है.

ये अचूक निशाना लगाने में सक्षम है. रक्षा अनुसंधान संगठन और रक्षा मंत्रालय ने इसकी सफलता की घोषणा भी की. इसमें एडवांस डिफेंस सिस्टम इंटरसेप्टर को एक्टिवेट करने की भी क्षमता है. ये भी देश के लिए गौरव की बात है कि जब देश में करगिल दिवस मनाया जा रहा है उसके दो दिन पहले इस सिस्टम का सफल परीक्षण किया गया. इसको विकसित करने का काम भी करगिल की लड़ाई के ठीक बाद 2000 में शुरु किया गया था. इसमें दो प्रकार के इंटरसेप्टर मिसाइल हैं, अधिक ऊंचाई वाले मिसाइल खतरे के लिए पृथ्वी एयर डिफेंस मिसाइल, तो कम ऊंचाई के लिए एडवांस्ड एयर डिफेंस सिस्टम है. इसके साथ ही बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस के सेकेंड फेज का सफल परीक्षण कर लिया गया. ये 100 किमी से भी कम उंचाई पर मिसाइल अटैक के थ्रेट को खत्म करते हैं.

‘इंटरसेप्टर’ सिस्टम एक्टिव
इस प्रक्रिया के तहत दुश्मन का मिसाइल मान कर एक लक्ष्य मिसाइल का शाम 4 बजकर 24 मिनट पर प्रक्षेपण किया गया. इस मिसाइल का जमीनी और समुद्र में तैनात हथियार प्रणाली रडारों द्वारा पता लगा लिया गया और ‘इंटरसेप्टर’ प्रणाली को सक्रिय कर दिया गया और इसका परीक्षण किया गया. फिर दूसरे चरण की एंडी एंडो-वायुमंडलीय मिसाइल स्वदेशी रूप से विकसित दो चरणीय ठोस ईंधन वाले एवं जमीन से दागी जाने वाली मिसाइल प्रणाली है. इसका उद्देश्य कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में दुश्मन के कई प्रकार के बैलिस्टिक मिसाइल खतरों का खात्मा करना है.

राकेट लंबी दूरी के मिसाइल खतरों से निपटने में मददगार
इससे पहले अप्रैल में डीआरडीओ ने चांदीपुर से SFDR बूस्टर का भी सफल परीक्षण किया था. ये सफल परीक्षण सेना की ताकत को कई गुना बढ़ाने वाला है. ये राकेट लंबी दूरी के मिसाइल खतरों से निपटने में बहुत मददगार होगा. इस परीक्षण ने जटिल मिसाइल प्रणाली में शामिल सभी महत्वपूर्ण घटकों के विश्वसनीय कामकाज का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया है और मिशन के सभी उद्देश्यों को पूरा किया है. विशेषज्ञों के अनुसार एसएफडीआर बेस्ड रॉकेट मिसाइल को ध्वनि से तेज गति से बहुत लंबी दूरी के हवाई खतरों को रोकने में सक्षम बनाता है.

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भारत खुद उन्नत किस्म के हथियार बना रहा
अब से पहले इस तरह के सामरिक हथियारों के लिए भारत को रूस और चुनिंदा दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता था. पारंपरिक रूप से भारत जब भी इस तरह के किसी सामरिक महत्व वाले हथियार का अधिग्रहण करता था तो पाकिस्तान के आका मुल्क उसे भी इससे निपटने वाले हथियार देते रहते थे. ये अलग बात है कि पाकिस्तान की स्थिति खुद से ऐसे हथियार खरीद पाने की क्षमता न रही हो, लेकिन चीन और अमेरिका अपने उल्लू सीधा करने के लिए उसे भी कुछ न कुछ हथियार दे देते थे. अब जब भारत खुद उन्नत किस्म के हथियार बनाने लगा है तो न सिर्फ सुरक्षा के लिए उसे दूसरों के भरोसे रहने से मुक्ति मिल गई, बल्कि सेना का मनोबल भी बहुत बढ़ गया है.

Tags: Defense Ministry, Missile trial, Narendra modi, Pm narendra modi

FIRST PUBLISHED :

July 26, 2024, 13:23 IST

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