लोकसभा में इस क्षेत्र में साफ हो गई थी भाजपा, यहीं से निकलती है सत्ता की चाबी!

2 weeks ago

Maharashtra Chunav 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की लड़ाई आक्रामक रुख ले चुकी हैं. सत्ता में बने रहने के लिए महायुति हर तिकड़म कर रही है, लेकिन इस इलाके में उसकी दाल नहीं गल रही है. भाजपा की पूरी चाणक्य नीति इस इलाके में फेल हो चुकी है. पार्टी ने सीएम एकनाथ शिंदे को यहां का चक्रव्यूह भेदने की जिम्मेदारी दी थी लेकिन वो भी कुछ करते नहीं दिख रहे हैं. हम बात कर रहे हैं राज्य के सबसे अहम इलाके मराठवाड़ा की. इस वक्त यह इलाका महाराष्ट्र का सबसे उग्र क्षेत्र है. यहीं पर बीते साल मराठवाड़ा आरक्षण की मांग को लेकर आग भड़की थी. इसके नेता मनोज जरांगे हैं. मनोज जरांगे से मिलने खुद मुख्यमंत्री शिंदे जलाना गए थे.

जरांगे ओबीसी आरक्षण के भीतर मराठा समुदाय को शामिल करने की मांग कर रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र की कुल आबादी में मराठों की संख्या करीब 28 फीसदी है. मराठा आरक्षण की आग भड़कने के बाद महायुति की सरकार ने इसी साल फरवरी में इस समुदाय के लिए अलग से 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की थी. लेकिन, ये सारे उपाय इस इलाके में महायुति को कुछ खास फायदा नहीं पहुंचा पाए.

इलाके में भाजपा साफ
मराठवाड़ा इलाके में लोकसभा की आठ और विधानसभा की 46 सीटें हैं. बीते लोकसभा चुनाव की बात करें तो इन आठ में से तीन पर कांग्रेस, तीन पर शिवसेना उद्धव गुट और एक पर एनसीपी शरद गुट के उम्मीदवार विजयी हुए. बची हुई एक सीट शिवसेना शिंदे गुट को मिली. विधानसभा में राज्य की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा इस इलाके में अपना खाता खोलने में विफल रही.

2019 का विधानसभा
वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो उस वक्त भाजपा को अच्छी सफलता मिली थी. उसे यहां की 46 सीटों में से 16 और शिवसेना एकीकृत को 12 सीटें मिली थीं. उस चुनाव में कांग्रेस को आठ, एनसीपी एकीकृत को आठ को और अन्य को दो सीटें मिली थीं.

कांग्रेक का गढ़ मगर…
यह इलाका कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था. इस इलाके में आठ जिले हैं. ये हैं- छत्रपतिशिवाजी नगर (औरंगाबाद), बीड़, हिंगोली, जालना, लातुर, नांदेड़, परभणी और धराशिव. इस इलाके से कांग्रेस पार्टी ने राज्य को चार मुख्यमंत्री दिए हैं. ये हैं शिवाजीराव पाटिल, शंकरराव चव्हाण, विलासराव देशमुख और अशोक चव्हाण. बीते लोकसभा चुनाव से पहले अशोक चव्हाण ने भाजपा का दामन थाम लिया. लेकिन, राम मंदिर आंदोलन और बाद की राजनीति में यहां भाजपा अपनी जगह बनाने में कामयाब हुई.

मुस्लिम आबादी
इस इलाके में मराठाओं के साथ-साथ मुस्लिम आबादी भी ठीकठाक है. इन सीटों पर करीब 15 फीसदी मुस्लिम वोटर्स हैं. यह इलाका आजादी से पहले हैदराबाद के निजाम के क्षेत्र में आता था. 2019 के विधानसभा में इस इलाके में शिवसेना-भाजपा गठबंधन को शानदार जीत मिली थी.

कोटा आंदोलन ने बदली तस्वीर
बीते साल मराठा आरक्षण की आग भड़कने के बाद इलाके में भाजपा की हालत पतली हो गई. इलाके में मराठा लोगों की मजबूत पकड़ है. आप इनकी अहमियत इसी से समझ सकते हैं कि इलाके की आठ लोकसभा सीटों में से सात पर मराठा समुदाय के नेता सांसद हैं, जबकि एक सीट लातुर आरक्षित है.

मराठा, मुस्लिम और दलित
बीते लोकसभा चुनाव में इलाके में मराठा, मुस्लिम और दलित मतदाताओं ने महायुति की सरकार के विरोध में मतदान किया. इसका नतीजा यह हुआ की बीड़ जैसी सीट पर भाजपा हार गई. बीड़ वही सीट है जहां पार्टी के दिग्गज ओबीसी नेता दिवंगत गोपीनाथ मुंडे जीतते थे. बीते चुनाव में उनकी बेटी पंकजा मुंडे मैदान में थीं लेकिन उनको हार का मुंह देखना पड़ा.

किसानों का इलाका
मराठवाड़ा एक खेती-किसानी वाला इलाका है. यहां की 65 फीसदी आबादी खेती पर निर्भर है. इलाके में पानी की कमी है. सूखा प्रभावित इलाका है. किसान आत्महत्या इलाके की बड़ी समस्या है.

Tags: Maharashtra election 2024, Maharashtra Elections, Sharad pawar

FIRST PUBLISHED :

November 2, 2024, 14:07 IST

Read Full Article at Source