नई दिल्ली(इंटरनेट डेस्क) अदिति शुक्ला। यहां जानिए कि आखिर बच्चों में बचपन से ही वॉलंटियरिंग की आदत डाल कर आप उन्हें आगे बढ़ने में कैसे हेल्प कर सकते हैं. दूसरों की मदद करना सिर्फ काइंडनेस सिखाता नहीं, बल्कि बच्चे के कॉन्फिडेन्स, मेंटल हेल्थ और फ्यूचर करियर को भी अंदर से शेप करता है. ऐसे में जरूरी है बच्चों को इसका पाठ पढ़ाना.
दूसरों की मदद से बढ़ेगा कॉन्फिडेंस
कई बार जो बच्चा क्लासरूम में शाय रहता है, वही बच्चा राशन किट्स पैक करते हुए, छोटे बच्चों को स्टोरी सुनाते हुए या पार्क की सफाई करते हुए एकदम कॉन्फिडेंट नजर आता है. वॉलंटियरिंग बच्चों को जिम्मेदारी और नतीजे दोनों देती है और यही कॉन्फिडेन्स का असली फॉर्मूला है. कई स्टडीज में पाया गया कि वॉलंटियरिंग करने वाले बच्चों में सेल्फ-एस्टीम, कॉम्पिटेंस और सेंस ऑफ पर्पज ज्यादा मजबूत होता है. खासतौर पर वे बच्चे जो अकैडमिक्स या स्पोर्ट्स में शाइन नहीं करते, लेकिन कम्युनिटी सर्विस में परफॉर्म करते हैं वे पहली बार महसूस करते हैं कि 'मैं भी कुछ ऐसा कर सकता/सकती हूं जो मायने रखता है.' यही फीलिंग उनके पर्सनैलिटी की सबसे मजबूत नींव बन जाती है.
मेंटल हेल्थ के लिए पावरफुल सपोर्ट
आज एंग्जायटी, लोनलीनेस और स्ट्रेस बच्चों में तेजी से बढ़ रहे हैं. ऐसे समय में वॉलंटियरिंग बच्चों के मेंटल हेल्थ के लिए एक तरह की प्रोटेक्शन शील्ड बन सकती है. कई रिसर्च के अनुसार, जो बच्चे कम्युनिटी सर्विस में शामिल होते हैं, वे स्वास्थ्य, बिहेवियर और हैप्पीनेस के मामलों में बाकी बच्चों से काफी आगे पाए गए. वॉलंटियरिंग में उन्हें पर्पज, बिलॉन्गिंग और सपोर्टिव रिलेशनशिप्स मिलती हैं और यही चीजें स्ट्रेस और चिंता को पीछे धकेलने का काम करती हैं. जब बच्चा देखता है कि उसकी छोटी सी कोशिश किसी की मुस्कान बन सकती है, तो उसकी इमोशनल वेल-बीइंग खुद अपने आप हील होने लगती है.
फ्यूचर करियर्स में भी काम आती है यह आदत
पेरेंट्स अक्सर सोचते हैं कि 'वॉलंटियरिंग फ्यूचर में काम आएगी क्या?' इसका जवाब साफ है हां, और बहुत. कई देशों के यूथ करियर डेटा में पाया गया है कि जिन टीनेजर्स ने वॉलंटियरिंग की, वे बड़े होकर:
- बेहतर नौकरी पाते करते हैं
- ज्यादा कमाते हैं
- नौकरी में ज्यादा सैटिस्फाई रहते हैं
कारण भी क्लियर हैं, वॉलंटियरिंग स्किल्स, नेटवर्क्स, कॉन्फिडेन्स और लीडरशिप बढ़ाती है यही क्वॉलिटीज यंग पीपल को अवसरों के लिए आगे बढ़ने में मदद करती हैं.
लाइफ स्किल जो किसी टेक्स्टबुक में नहीं मिलतीं
वॉलंटियरिंग बच्चों को सिर्फ अच्छे काम नहीं सिखाती, बल्कि असली दुनिया के असली एक्सपीरिएंस देती है. इससे उनमें धीरे-धीरे डेवलप होती हैं:
- एम्पैथी और सोशल अवेयरनेस
- रिस्पॉन्सिबिलिटी और डिसिप्लिन
- कम्युनिकेशन, प्रॉब्लम सॉल्विंग और टीमवर्क
- ग्रैटिट्यूड — चीजों को हल्के में न लेने की समझ
यही वे 'ह्यूमन स्किल्स' हैं जिनकी डिमांड हर करियर में बढ़ रही है चाहे बच्चा आर्टिस्ट बने, डॉक्टर, इंजीनियर या एंटरप्रेन्योर.
पेरेंट्स कैसे शुरू करें, बिना दबाव के
सबसे जरूरी बात वॉलंटियरिंग जबरदस्ती नहीं, दिल से होनी चाहिए. इसलिए शुरुआत छोटी और इंटरेस्ट-बेस्ड होनी चाहिए. अपने बच्चे से पूछिए कि उन्हें किस चीज में दिल से दिलचस्पी है जैसे जानवरों की केयर, एनवायरनमेंट, हंगर, एल्डरली केयर, एजुकेशन फिर कोई भी सरल और एज–अप्रोप्रियेट विकल्प चुनिए:
- खाना या राशन पैक करना
- स्टोरी रीडिंग सेशन्स में शामिल होना
- पार्क या कॉलोनी क्लीनलिनेस ड्राइव
- छोटा डोनेशन या कलेक्शन अभियान
- किसी एनजीओ के लिए पोस्टर/डिजाइन/क्राफ्ट बनाना
जब बच्चे नियमित रूप से सेवा करते हैं, वे सिर्फ सर्टिफिकेट्स नहीं जुटाते बल्कि वे कॉन्फिडेन्स, कम्पैशन और कैरेक्टर बनाते हैं. और सबसे बढ़कर वे यह सीखते हैं कि वे दुनिया में फर्क ला सकते हैं.

1 hour ago
