वो जंग जिसमें 120 बहादुरों ने 5,000 चीनियों का किया सामना, सिर्फ 10 जिंदा बचे

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Last Updated:November 22, 2025, 12:06 IST

Rezang La Battle: रेजांग ला की लड़ाई में मेजर शैतान सिंह भाटी के नेतृत्व में 120 भारतीय सैनिकों ने 5000 चीनी सैनिकों का सामना किया था, जिसमें 110 शहीद हुए. फरहान अख्तर की फिल्म 120 बहादुर इसी पर आधारित है.

वो जंग जिसमें 120 बहादुरों ने 5,000 चीनियों का किया सामना, सिर्फ 10 जिंदा बचेलद्दाख में 4,500 मीटर से भी अधिक ऊंचा रेजांग ला युद्ध स्मारक, 1962 के भारत-चीन युद्ध में 13 कुमाऊं रेजिमेंट की बहादुरी को याद करता है.

Rezang La Battle: 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान नवंबर के उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन 120 बनाम 5000 की लड़ाई हुई थी. मेजर शैतान सिंह भाटी के नेतृत्व में भारतीय सैनिकों ने लद्दाख में महत्वपूर्ण चुशुल घाटी को बचाने के लिए अपने प्राणों की आहुति देते हुए बहुत बड़ी चीनी टुकड़ी को रोके रखा.  इतिहास में इसे रेजांग ला की लड़ाई के नाम से जाना गया. जिसमें मुट्ठी भर भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को खदेड़ दिया था और लद्दाख पर चीन के कब्जे को रोक दिया था. युद्ध के बाद एक खोजी दल को बंदूकें थामे भारतीय सैनिकों के जमे हुए शव मिले. यह उस लड़ाई की भयावहता को दर्शाते हैं जिसमें 120 भारतीयों में से 110 शहीद हुए थे. फरहान अख्तर की फिल्म ‘120 बहादुर’ का विषय यही ऐतिहासिक लड़ाई है. आइए एक फिर से उस घटना को याद करें…

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डीडी सकलानी मेजर शैतान सिंह भाटी से बात करने वाले आखिरी सैन्य अधिकारी थे. मेजर भाटी 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान रेजांग ला की लड़ाई में भारतीय सेना की कमान संभाल रहे थे. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक सकलानी ने याद किया, “जब चीनियों ने भारी संख्या में हमला किया और चारों ओर मौत का मंजर साफ दिखाई दे रहा था, तब ये वीर अहीर आखिरी दम तक डटे रहे. हालांकि उनके पास पीछे हटने और पहाड़ी की उल्टी ढलानों से लुढ़ककर अपनी जान बचाने का मौका था. नहीं, उन्होंने ऐसा नहीं किया.”

मेजर भाटी को मिला परमवीर चक्र
मेजर शैतान सिंह भाटी ने 5,000 मीटर की ऊंचाई पर शून्य से नीचे के तापमान में वीरों का नेतृत्व किया था. शैतान सिंह भाटी को रेजांग ला के युद्ध में अपने सर्वोच्च बलिदान के लिए मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च युद्धकालीन वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया. भारत के आधुनिक सैन्य इतिहास में पूर्वी लद्दाख के एक पहाड़ी दर्रे रेजांग ला में भारतीय सैनिकों द्वारा दिखाए गए अदम्य साहस की बराबरी बहुत कम लड़ाइयां कर पाती हैं. नवंबर 1962 की इस लड़ाई में भारतीय सेना की 13 कुमाऊं रेजिमेंट की चार्ली कंपनी के सिर्फ 120 सैनिकों ने -40 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में डटे रहकर चीनी सेना (PLA) के 5,000 सैनिकों के आक्रमणकारी बल का रास्ता रोक दिया था.

अहीर समुदाय से थे ज्यादातर सैनिक
मेजर भाटी के नेतृत्व में भारतीय जवानों ने अपनी राइफलों, ग्रेनेडों और अदम्य साहस के बल पर रणनीतिक दर्रे पर कब्जा जमाए रखा. भारतीय सैनिकों में से अधिकांश हरियाणा के अहीर समुदाय से थे. युद्ध के अंत तक उनमें से 110 शहीद हो गए. ज्यादातर अपनी खाइयों में, जमे हुए, अपने हथियार थामे हुए, आखिरी गोली तक लड़ते हुए पाए गए. इस कंपनी का हर एक आदमी अपनी खाई में कई गोलियों या छर्रों के घावों के साथ मृत पाया गया. 2 इंच मोर्टार लगने वाला आदमी हाथ में बम लिए हुए मरा. जब चीनी गोली मेडिकल अर्दली को लगी, तब उसके हाथ में एक सिरिंज और पट्टी थी. अपनी वीरता से 120 बहादुरों ने चीनी सेना को आगे बढ़ने से रोक दिया और चुशूल हवाई अड्डे पर कब्जा करने और लद्दाख पर चीन के और गहरे कब्जे को रोका.

लद्दाख के एक पहाड़ी दर्रे रेजांग ला में भारतीय सैनिकों द्वारा दिखाए गए अदम्य साहस की बराबरी बहुत कम लड़ाइयां कर पाती हैं.

फिल्म में रेजांग ला में वीरता की कहानी
हालांकि बहादुरी और राष्ट्र सेवा की ऐसी कहानियों को किसी अवसर की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन फरहान अख्तर की नई फिल्म 120 बहादुर रेजांग ला में वीरता को याद करने का एक और कारण देती है. फिल्म में मेजर भाटी और उनके 120 बहादुर सैनिकों को हिमालय की बर्फीली ऊंचाइयों में हजारों चीनी सैनिकों का सामना करते हुए दिखाया गया है. फिल्म 5,000 मीटर की ऊंचाई पर ठंडे रेगिस्तान में बलिदान की अमर कहानी को जीवंत करती है.

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

November 22, 2025, 12:03 IST

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