बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना जब बहुत कम समय की नोटिस पर भारत आईं तो सूटकेश में जब उन्होंने अपने सामान पैक किए तो अपनी इस पसंदीदा चीज को कम ही ला पाईं. जबकि वह इनका रोज इस्तेमाल करती हैं. बगैर इसके उनका काम ही नहीं चल पाता. आखिर क्या है ये चीज और भारत में कहां मिलेगी.
News18 हिंदीLast Updated :August 8, 2024, 12:01 ISTAuthorSanjay Srivastava
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5 अगस्त को जब बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री को केवल 45 मिनट की नोटिस पर देश छोड़कर भारत के लिए भागना पड़ा तो अपने साथ चार सूटकेस लेकर आईं, जिसमें उनके जरूरी दस्तावेज, कपड़े और जरूरी चीजें थीं. जाहिर है कि ऐसे में उन्हें अब बहुत से चीजों की जरूरत रोज महसूस हो रही होगी, जो उन्हें यहां मिल सकती. इसमें एक ऐसी चीज है, जिसे वो बेशक अपने साथ लाई हैं लेकिन सीमित संख्या में ही. इसकी कमी उन्हें अखर रही होगी. शायद ये सामान उन्हें नार्थ इंडिया में कम मिले. इस खास चीज को वह भारत में अपने खास परिचितों को भी खूब गिफ्ट में देती थीं, जिसमें ममता बनर्जी भी शामिल हैं.
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बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की ये खास चीज उनकी वो खास साड़ी है, जिसे वो पिछले 50 सालों से नियमित तौर पर पहनती आई हैं. इस साड़ी को उन्होेंने एक खास पहचान दी. कुछ लोग तो उन्हें इसकी ब्रैंड एंबेसडकर तक कहने लगे. वो दुनिया की अकेली ऐसी महिला नेता हैं, जो सिर पर पल्ला लेते हुए गरिमामयी तरीके से साड़ी में होती हैं. वो चाहे देश में हों या विदेश में. हर जगह उनकी वेशभूषा साड़ी ही होती है, जो अलग अलग रंगों की होती है. उनके वार्डरोब में ढाका में इस खास साड़ी की कोई कमी नहीं थी. हम आपको आगे बताएंगे कि ये खास साड़ी क्या कही जाती है और क्यों भारत में नहीं मिलती. (wiki commons)
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ये खास साड़ी जामदानी साड़ी है, जो बांग्लादेश के ढाका में ही विशेष तौर पर बनाई जाती है. शेख हसीना हर मंच पर यही पहनती रही हैं. केवल पहनती ही नहीं हैं बल्कि दुनियाभर में जब वो कहीं जाती थीं तो इन्हें बतौर गिफ्ट भी देती थीं. जब प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति थे, वो वह हमेशा उनकी पत्नी के लिए ये साड़ियां उपहार के तौर पर लाती थीं. बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां के लिए भी खास जामदानी साड़ी बतौर उपहार लेकर आईं. (news18)
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कांग्रेस नेता सोनिया गांधी से मुलाकात के दौरान वह उन्हें भी जामदानी साड़ी दे चुकी हैं. जब सुषमा स्वराज एनडीए के पहले कार्यकाल में विदेश मंत्री थीं, तो शेख हसीना ने उनसे मुलाकात के दौरान उन्हें खास जामदानी साड़ी भेंट की. बदले में सुषमा ने भी उन्हें गुलाबी रंग की सिल्क साड़ी भेंट की.
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और शेख हसीना के बीच एक अलग ही अपनापा है. दुर्गा पूजा के दौरान हसीना आमतौर पर ममता के लिए कई जामदानी साड़ियां बतौर पर उपहार भेजती थीं. बदले में ममता भी ईद से लेकर अन्य त्योहारों पर साड़ी को गिफ्ट के रूप में देती रही थीं.
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अब हम जानेंगे कि ये जामदानी साड़ियां क्यों इतनी खास हैं. और क्यों शेख हसीना के लगातार इसको पहनने के कारण ये भी कहा जाने लगा है कि वह बांग्लादेश की ढकाई जामदानी साड़ियों की असली ब्रांड एंबेसडर हैं. ये साड़ियां अब भी हाथ से ही बुनी जाती हैं. ये साड़ियां कॉटन, कॉटन सिल्क या सिल्क की होती हैं. (ANI)
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बांग्लादेश की जामदानी साडी पूरी दुनिया में फेसम है. महिलाएं इसे शौक से पहनती हैं. खासकर जामदानी सिल्क साड़ी की डिमांड खूब रहती है. ये साड़ी कुछ हजार रुपए से लेकर ऊंची कीमतों तक मिलती है. ये मशीनों से नहीं बनतीं. हाथ से उन्हें बनाने में करीब 20 दिन लगते हैं. (wiki commons)
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एक जमाना था जब बांग्लादेश का इलाका अपने मखमल के कपड़ों और इसके खास कॉरीगरों के लिए प्रसिद्ध था. मलमल के कपड़े रईसों के पहनावे के प्रतीक माने जाते थे. मुगल बादशाह उन्हें पहनते थे. अंग्रेजों के जमाने में ये कला कमोवेश खत्म होती गई. अंग्रेजों ने मशीन से बने कपड़ों ने देश के हस्तकरघा उद्योग को करीब चौपट ही कर दिया. हालांकि इसके बाद भी प्राचीन समय से जारी जामदानी साड़ी बनाने की कला बची रही. (wiki commons)
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2013 में जामदानी साड़ी की बनाने की कला को यूनेस्को इंटेंगबल कल्चर हैरिटेज लिस्ट में शामिल किया. इस साड़ी बनाने की कला को बेहतरीन बारीक काम माना जाता है. इसका काम बांग्लादेश के नारायणगंज जिले में खूब होता है. वर्ष 2016 में जामदानी साड़ी को जीआई टैग मिला. उन्हें अलग अलग रंगों और पैटर्न में बनाया जाता है. ये साड़ियां भारत में बहुत सेलेक्टेड उन दुकानों पर ही मिलती हैं, जहां बांग्ला साड़ियां मिलती हैं, बंगाल में ये आमतौर पर उपलब्ध होती हैं. अमेजन पर भी ये मिल जाती हैं. (wiki commons)