हाइलाइट्स
क्विक कॉमर्स कंंपनियों की वजह से छोटे दुकानदारों को नुकसान हो रहा. पिछले वित्तवर्ष में ही छोटे दुकानदारों को 11 हजार करोड़ का झटका लगा. इसे रोकने के लिए सरकार ने एफडीआई के नियमों में बदलाव का सोचा है.
नई दिल्ली. जबसे अमेजन-फ्लिपकार्ट जैसी विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों ने रिटेल कारोबार में कदम रखा है. पड़ोस वाले अंकल की दुकान सुस्त पड़ गई और उन्हें यही चिंता खाए जा रही कि कहीं घाटे में आकर बंद न करना पड़े. इसे लेकर लगातार विरोध भी जताया जा रहा है और अब आखिरकार सरकार ने इस पर ध्यान दिया और छोटे दुकानदारों का बिजनेस बचाने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के लूपहोल को बंद करने की तैयारी में है.
ई-कॉमर्स कंपनियों ने अब क्विक ई-कॉमर्स के जरिये मल्टी ब्रांड रिटेल और फूड सेग्मेंट में एंट्री कर ली है. इसे रोकने के लिए सरकार अब एफडीआई के नियमों में बदलाव करने जा रही है. इसका मकसद आपके पड़ोस की दुकान को बचाना है. यही कारण है कि सरकार अब किराना स्टोर को बचाने के रास्ते तलाश रही है, जिसे ई-कॉमर्स कंपनियों की वजह से काफी नुकसान पहुंच रहा है. मामले से जुड़े एक अधिकारी का कहना है कि हम इसके लिए स्थायी और सरल उपाय खोज रहे हैं.
क्या हो रहा है खेल
कई क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म किराना स्टोर के बिजनेस को हासिल करने के लिए मल्टी ब्रांड रिटेल सेग्मेंट में जा रहे हैं और इसके लिए एफडीआई की मदद लेते हैं. माना जा रहा है कि ये कंपनियां ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस को बढ़ाने के लिए एफडीआई का गलत तरीके से इस्तेमाल कर रही हैं. लिहाजा अब सरकार इन्वेंट्री आधारित ई-कॉमर्स और मल्टी ब्रांड रिटेल बिजनेस में एफडीआई को बैन करने पर विचार कर रही है.
अब क्या करेगी सरकार
अधिकारी का कहना है कि कुछ प्लेटफॉर्म की ओर से मल्टी ब्रांड रिटेल को बढ़ावा देने वाले एफडीआई रूट को बंद करने के लिए पॉलिसी बनाएंगे, ताकि ऐसे लूपहोल का फायदा उठाकर ये कंपनियां छोटे दुकानदारों का कारोबार न छीन पाएं. मौजूदा नियमों के तहत इन्वेंट्री मॉडल बेस्ड मल्टी ब्रांड रिटेल के लिए ई-कॉमर्स में एफडीआई प्रतिबंधित है. यह तभी संभव है जब कोई कंपनी थर्ड पार्टी बायर और सेलर को अपना प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराती है. यह ऐसी कंपनियों के लिए नहीं है, जो सामान खरीदकर इकट्ठा करती हैं और फिर उसे ग्राहकों को बेचती हैं.
छोटे दुकानदारों को कितना नुकसान
हाल में 10 शहरों के 300 किराना स्टोर पर कराए सर्वे में पता चला है कि ब्लिंकिट, इंस्टामार्ट, जेप्टो और बिग बास्केट जैसे क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म की वजह से सिर्फ 2023-24 में ही छोटे दुकानदारों को करीब 11 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है. इतना ही नहीं साल 2030 तक इसके 40 अरब डॉलर (करीब 3.40 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंचने का अनुमान है. जाहिर है कि इस आंकड़े से छोटे दुकानदारों का बिजनेस पूरी तरह ठप हो जाएगा.
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FIRST PUBLISHED :
November 14, 2024, 11:46 IST