सस्पेंशन, टर्मिनेशन या फिर… जस्टिस यशवंत वर्मा के साथ आगे क्या हो सकता है?

2 days ago

Last Updated:March 23, 2025, 22:52 IST

Justice Yashwant Varma News: दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से कैश रिकवरी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की है. सवाल यह है कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ आगे क्या कार्रवाई हो सकती ...और पढ़ें

सस्पेंशन, टर्मिनेशन या फिर… जस्टिस यशवंत वर्मा के साथ आगे क्या हो सकता है?

जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से कथित रूप से अधजले नोटों के बंडल बरामद किए गए.

हाइलाइट्स

जस्टिस वर्मा के घर से भारी मात्रा में नकदी बरामद होने की रिपोर्ट्स आईं.दिल्ली HC ने आंतरिक जांच की, सप्रीम कोर्ट ने वह रिपोर्ट सार्वजनिक की.जज के खिलाफ कार्रवाई पर टिकीं नजरें, महाभियोग की संभावना पर विचार.

नई दिल्ली: जस्टिस यशवंत वर्मा के मामले में भारतीय न्यायपालिका में हलचल पैदा कर दी है. दिल्ली हाई कोर्ट के जज के घर से बड़ी मात्रा में नकदी बरामद होने की रिपोर्ट्स से खलबली मच गई. सुप्रीम कोर्ट के कहने पर हाई कोर्ट ने इस मामले की आंतरिक जांच शुरू की. रिपोर्ट शनिवार रात को सार्वजनिक की गई जिसमें सबूत के तौर पर वीडियो भी मौजूद हैं. इसमें दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने कहा है कि यह मामला गहरी जांच की मांग करता है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि जस्टिस यशवंत वर्मा ने आरोपों को सिरे से खारिज किया है. उनका कहना है कि यह उनके खिलाफ साजिश है और उन्हें बदनाम करने की कोशिश की जा रही है. न्यायपालिका के भीतर और बाहर, सवाल उठ रहे हैं कि जस्टिस वर्मा पर आगे क्या कार्रवाई होगी? क्या उन्हें सस्पेंड या टर्मिनेट किया जाएगा, या फिर यह मामला इम्पीचमेंट यानी महाभियोग तक जाएगा?

क्राइम सीन सील क्यों नहीं हुआ? पूर्व जज का सवाल

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एसएन ढींगरा ने इस मामले को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा, “पुलिस ने क्राइम सीन को सुरक्षित नहीं किया, जिससे सबूतों के साथ छेड़छाड़ की संभावना बनी. अगर आउटहाउस सील नहीं हुआ, तो पूरे मामले की जांच पर असर पड़ेगा. मुझे नहीं लगता कि क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन से कुछ ठोस निकलेगा.”

उन्होंने यह भी कहा कि “जजों को उनके न्यायिक कार्यों के लिए इम्युनिटी मिलती है, लेकिन इस तरह के आरोपों के मामले में नहीं. दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और CJI को जब इस घटना की जानकारी मिली, तो उन्हें तुरंत घर और क्राइम सीन को सील करने और FIR दर्ज करने के आदेश देने चाहिए थे.”

क्या सिर्फ ट्रांसफर या सस्पेंशन काफी होगा?

बीजेपी नेता और वरिष्ठ वकील उज्ज्वल निकम ने इस पूरे मामले पर कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने इन-हाउस इन्वेस्टिगेशन शुरू करके न्यायपालिका में पारदर्शिता की मिसाल पेश की है. किसी भी देश की स्थिरता दो चीजों पर निर्भर करती है- एक, आम नागरिकों का देश की करेंसी में भरोसा और दूसरा, न्यायपालिका में विश्वास.”

उन्होंने आगे कहा, “जस्टिस वर्मा के घर से मिली भारी मात्रा में नकदी के मामले में केवल ट्रांसफर, सस्पेंशन या टर्मिनेशन पर्याप्त नहीं होंगे. अगर इस मामले में ठोस सबूत मिलते हैं, तो क्रिमिनल प्रोसीक्यूशन भी हो सकता है. संसद को यह तय करना होगा कि क्या इस मामले में इम्पीचमेंट मोशन लाया जाए.”

‘आउटहाउस’ वाली दलील में दम नहीं!

जस्टिस वर्मा की तरफ से जो जवाब सुप्रीम कोर्ट को दिया गया, उसमें उन्होंने दावा किया कि उनके या उनके परिवार के किसी भी सदस्य ने स्टोररूम में कोई नकदी नहीं रखी थी. उनके मुताबिक, जिस कमरे में आग लगी और जहां से कैश मिला, वह मुख्य घर का हिस्सा नहीं था, बल्कि आउटहाउस था.

लेकिन इस पर भी सवाल उठ रहे हैं. जस्टिस ढींगरा का कहना है कि “कोई भी जज अपने आउटहाउस में जो हो रहा है, उससे बच नहीं सकता. पूरा बंगला उन्हीं को अलॉट किया गया था.” यानी यह तर्क नहीं दिया जा सकता कि नकदी जिस हिस्से में पाई गई, वह जस्टिस वर्मा के अधिकार क्षेत्र से बाहर था.

महाभियोग की प्रक्रिया क्या है?

भारतीय संविधान के तहत किसी भी जज को हटाने का अधिकार केवल राष्ट्रपति को है, जो संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित मोशन के आधार पर फैसला लेते हैं. जजों को हटाने की प्रक्रिया “जज इंक्वायरी एक्ट, 1968” में तय की गई है.

इम्पीचमेंट मोशन लोकसभा या राज्यसभा में पेश किया जा सकता है. लोकसभा में कम से कम 100 सांसदों को इस पर हस्ताक्षर करने होंगे. राज्यसभा में कम से कम 50 सांसदों की सहमति जरूरी होगी. अगर स्पीकर या चेयरमैन इस मोशन को मंजूरी देते हैं, तो एक तीन-सदस्यीय जांच कमेटी गठित की जाएगी, जिसमें एक सुप्रीम कोर्ट जज, एक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और एक प्रतिष्ठित न्यायविद होंगे.

यह कमेटी आरोपों की जांच करेगी और जज को अपनी सफाई देने का मौका मिलेगा. अगर जांच में जज को दोषी पाया जाता है, तो रिपोर्ट संसद के सामने रखी जाएगी. संसद के दोनों सदनों में इस पर बहस होगी और अगर दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पास होता है, तो राष्ट्रपति जज को पद से हटा सकते हैं.

क्या यह इम्पीचमेंट केस बन सकता है?

फिलहाल सुप्रीम कोर्ट की रिपोर्ट सिर्फ यह संकेत देती है कि मामले की गहराई से जांच होनी चाहिए. लेकिन सवाल यह है कि अगर जांच में और सबूत मिलते हैं, तो क्या यह मामला इम्पीचमेंट तक जाएगा? आजाद भारत के इतिहास में अभी तक किसी भी जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव की प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकी है.

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

March 23, 2025, 18:16 IST

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