साहब! बच्‍चों की कसम, मैंने सफेद कपड़ों में लोगों को.. मचा हड़कंप, छिड़ गई जंग

1 month ago

25 years of Kargil war: साहब! बच्‍चों की कसम… मां की कसम… मैंने ऊपर पहाडि़यों में सफेद कपड़ों में छह लोगों को पत्‍थर में बर्फ भरते देखा है. कारगिल के गरकौन में रहने वाला ताशी नामग्‍याल लगातार सेना के जवानों को यह भरोसा दिलाने की कोशिश कर रहा था कि वह सही कर रहा है. वहीं सेना के जवान ताशी की बात को समझ तो रहे थे, लेकिन अधिक से अधिक जानकारी हासिल करने के लिए बार-बार उसे कुरेद रहे थे.

इसी सिलसिले में एक जवान बोला- चल झूठा! रोज नई-नई कहानी सुनाता रहता है. भारतीय सेना के जवान ने बस इतना बोला ही था कि ताशी एक बार फिर बोल पड़ा – साहब यकीन करो. परसो (1 मई 1999) को मैंने पूरे 12 हजार में एक यार्क खरीदा था. कल (2 मई 1999) उसे चराने के लिए गया तो पता नहीं कहां गायब हो गया. मैं उसको खोजते हुए वंजू टॉप तक पहुंच गया, लेकिन लेकिन वह वहां भी नजर नई आया.

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यह भी पढ़ें: जब पाकिस्‍तान को लगा ‘मेघदूत’ का थप्‍पड़, हिम्‍मत जुटाने में लग गए 15 साल, फिर चली ‘बद्र’ की नाकाम चाल, नतीजा…आपरेशन मेघदूत में करारी हार झेलने के बाद बौखलाए पाकिस्‍तानी जनरल मिर्जा असलम वेग ने 1987 में कारगिल युद्ध की पृष्‍ठभूमि लिख दी थी. जनरल मिर्जा असलम वेग की लिखी इसी इबारत को परवेज मुशर्रफ ने 1999 में आपरेशन बद्र के तौर पर आगे बढ़ाया था. क्‍या है ऑपरेशन मेघदूत की कहानी, जानने के लिए क्लिक करें.

इसके बाद, मैंने उसको दूरबीन से ढूंढना शुरू किया. मैं दूरबीन से पहाड़ी की तरफ देख रहा था, तभी यार्क तो नजर नई आया, ऊपर पहाड़ी में छह लोग नजर आए. सबने सफेद कपड़े पहन रखे थे. उनमें से कुछ लोग पत्‍थरों में बर्फ भरने का काम कर रहे थे. कुछ लोग आप जैसी बंदूके लेकर उनके पास खड़े थे. पहले तो मुझे लगा कि शिकारी लोग हैं, लेकिन उनकी हरकतों को देखने के बाद मुझे वो लोग ठीक नहीं लगे.

साहब, मुझे तो लगता है कि… लगता क्‍या है मुझे यकीन है कि ये लोग उस पार से आए घुसपैठिए हैं. इतना कहने के बाद याशी एक टक भारतीय सेना के जवानों के चेहरे की तरफ देखने लगा. याशी को एक बार फिर लगा कि शायद सेना के जवान उस पर भरोसा नहीं कर रहे हैं. लिहाजा, उसने एक बार फिर कहा – साहब आपको यकीन नहीं हो रहा ना, चलो मैं आपको उस जगह ले चलता हूं और दिखा देता हूं.

इसके बाद, भारतीय सेना के जवान याशी के साथ आगे बढ़ चले. कुछ समय के बाद भारतीय सेना के जवान उस जगह पर मौजूद थे, जहां से 2 मई 1999 को याशी ने पाकिस्‍तानी घुसपैठियों को बर्फ में पत्‍थर जमाते हुए देखा था. दूरबीन से देखने पर भारतीय सेना के जवानों को भी पहाडि़यों में चाल फेर करते पाकिस्‍तानी घुसपैठिए नजर आ गए. पाकिस्‍तानी घुसपैठियों की टोह लेने के बाद याशी और भारतीय सेना के जवान नीचे उतर आए.

अगले कुछ मिनटों में यह जानकारी श्रीनगर होते हुए दिल्‍ली पहुंच गई थी. आपको यहां बता दें कि याशी नामग्‍याल वही चरवाहा है, जिसने कारगिल की चोटियों पर सबसे पहले घुसपैठियों के भेष में आई पाकिस्‍तानी सेना को देखा था. ताशी से मिली जानकारी को पुख्‍ता करने के बाद भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय की शुरूआत की और बटालिक सेक्‍टर तक घुस आई पाकिस्‍तानी सेना को या तो मार गिराया या फिर पीठ दिखाकर भागने पर मजबूर कर दिया.

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FIRST PUBLISHED :

July 26, 2024, 09:42 IST

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