Last Updated:May 04, 2025, 14:19 IST
India-Pakistan Tension: भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यूरोपीय देशों पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत भागीदारों की तलाश में है, उपदेशकों की नहीं. उन्होंने आर्कटिक में भारत की भूमिका पर भी ...और पढ़ें

विदेश मंत्री ने एक सम्मेलन में ये बातें कही.
हाइलाइट्स
भारत भागीदारों की तलाश में है, उपदेशकों की नहीं.यूरोप को बहु-ध्रुवीय दुनिया की सच्चाई का सामना करना पड़ रहा है.भारत ने आर्कटिक में अपनी भागीदारी बढ़ाई है.India-Pakistan Tension: पहलगाम में 26 हिंदुओं के नरसंहार को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच बने युद्ध जैसे हालात के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने राजनयिकों की एक सभा में बेहद कड़ी टिप्पणी की. दरअसल, रविवार को वह यूरोपीय देशों के कुछ राजनयिकों के बीच थे. इसी दौरान उन्होंने कुछ यूरोपीय देशों पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत भागीदारों की तलाश में है, न कि उन उपदेशकों यानी ज्ञानियों की जो अपने घर में वही सिद्धांत नहीं अपनाते जो वे विदेश में सिखाते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि यूरोप को आज हकीकत का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि वह वैश्विक स्तर पर बहु-ध्रुवीय यानी मल्टीपोलर दुनिया बनने की सच्चाई को देख रहा है.
एक कार्यक्रम आर्कटिक सर्कल इंडिया फोरम में जयशंकर ने कहा कि जब हम दुनिया को देखते हैं तो हम भागीदार ढूंढते हैं. उपदेशक नहीं. खास तौर पर ऐसे उपदेशक जो अपने देश में वह नहीं करते जो वे दूसरों को सिखाते हैं. यूरोप का कुछ हिस्सा अभी भी इस समस्या से जूझ रहा है. जयशंकर का यह बयान भारत और पाकिस्तान के बीच बने युद्ध जैसे हालात में काफी अहम रखता है. आतंकवाद से पीड़ित भारत को दुनिया के कई देश खासकर यूरोप के मुल्क सैन्य कार्रवाई का विकल्प नहीं आजमाने और बातचीत से मसले को सुलझाने का सलाह दे रहे हैं.
उन्होंने आगे कहा कि यूरोप अब हकीकत के दायरे में प्रवेश कर चुका है. अब यह देखना होगा कि वे इस चुनौती का सामना कर पाते हैं या नहीं. अगर हमें साझेदारी विकसित करनी है तो इसके लिए आपसी समझ, संवेदनशीलता, हितों की समानता और दुनिया के काम करने के तरीके को समझने की जरूरत है.
In conversation with @ORGrimsson and @samirsaran at the #ArcticCircleIndiaForum2025. @orfonline @_Arctic_Circle https://t.co/626uk5lgra
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) May 4, 2025
भारत की भूमिका
जयशंकर ने भारत की वैश्विक राजनीति में भूमिका पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि दुनिया के किसी भी कोने में होने वाली महत्वपूर्ण घटना भारत के लिए मायने रखती है. इससे यूरोप पर बदलाव का दबाव बढ़ा है. उन्होंने कहा कि बहु-ध्रुवीय व्यवस्था की सच्चाई अब यूरोप के सामने आ रही है. मुझे लगता है कि यूरोप ने अभी इसे पूरी तरह स्वीकार नहीं किया है. अमेरिका ने अपनी स्थिति में बड़ा बदलाव किया है, जबकि चीन वही कर रहा है जो वह पहले से करता आया है.
आर्कटिक में भारत की भूमिका
विदेश मंत्री ने भारत की ध्रुवीय क्षेत्रों में भागीदारी पर भी बात की. उन्होंने कहा कि भारत पिछले 40 साल से अंटार्कटिक में सक्रिय है और हाल ही में आर्कटिक में भी अपनी भागीदारी बढ़ाई है. इसके लिए भारत ने एक विशेष आर्कटिक नीति बनाई है और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत किया है.
उन्होंने कहा कि हमारा अंटार्कटिक में 40 साल से अधिक का अनुभव है. कुछ साल पहले हमने आर्कटिक नीति बनाई. हमने स्वालबार्ड में केसैट के साथ समझौते किए हैं, जो हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने यह भी कहा कि भू-राजनीतिक तनावों ने आर्कटिक की वैश्विक प्रासंगिकता को और बढ़ा दिया है.
जयशंकर ने बताया कि आर्कटिक की दिशा वैश्विक प्रभाव डालेगी, इसलिए यह हर किसी के लिए चिंता का विषय है. ग्लोबल वार्मिंग से नए मार्ग खुल रहे हैं और तकनीकी व संसाधन आयाम वैश्विक अर्थव्यवस्था को नया रूप देंगे. भारत के लिए यह बहुत मायने रखता है, क्योंकि हमारी आर्थिक वृद्धि तेज हो रही है.