नोएडा में बहुत अरमानों से होटल और बिजनेस टॉवर जैसा जिला अस्पताल सेक्टर 39 में बनाया गया. कांच के शीशे लगी ये इमारत देखने में बेहद भव्य और आलीशान थी, लेकिन लापरवाही के चलते पर्दो से ढ़की ये बिल्डिंग महज 4 साल में ही दम तोड़ती नजर आ रही है. सीएमओ दफ्तर से लेकर इलाज की कई विशेष सुविधाओं वाले इस अस्पताल का हाल देखकर आप भी परेशान हो जाएंगे.. आइए तस्वीरों में देखते हैं इस अस्पताल का हाल..
News18 हिंदीLast Updated :August 8, 2024, 19:08 ISTAuthorpriya gautam
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ये है नोएडा के सेक्टर 39 में बना होटल नुमा संयुक्त जिला अस्पताल. बाहर से ये जितना सुंदर है, अंदर उतना ही अस्त-व्यस्त. खास बात है कि यह सिर्फ अस्पताल नहीं है, यहां की 8वीं मंजिल पर चीफ मेडिकल ऑफिसर का दफ्तर भी है, जहां अन्य दर्जनों बड़े अधिकारी बैठते हैं लेकिन अगर आप इस फ्लोर को देख लेंगे तो हो सकता है आपको उल्टियां आ जाएं.
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इस अस्पताल को 2020 में बनाया गया था लेकिन अचानक कोविड आने से इसे कोविड अस्पताल में बदल दिया गया और कोविड जाने के बाद इसे सामान्य जिला अस्पताल में कन्वर्ट किया गया. आज महज चार साल में ही इसकी हालत खस्ता हो गई है. आइए तस्वीरों में देखते हैं इसका हाल..
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यह अस्पताल के 8वीं फ्लोर पर सीएमओ दफ्तर के आसपास का हाल है. यहां थूकने पर 200 रुपये जुर्माने की तख्ती लगी हुई है, लेकिन दफ्तर के कर्मचारियों से लेकर आने जाने वाले लोग यहीं पास में रखे डस्टबिन में थूकते हैं और यह थूकने का कोना बन गया है. अधिकारियों ने बताया कि किसी पर भी कोई जुर्माना लगा हो, इसकी जानकारी नहीं है.
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यहां सीएमओ दफ्तर के कर्मचारी पानी पीते हैं. इस कमरे में वॉटर कूलर लगा है जो चालू है. इसके आसपास की गंदगी बता रही है कि यह वॉटर कूलर भी अंदर से कितना साफ होगा और इसका पानी पीना कितना फायदेमंद होगा. यह कचरे वाला कमरा लग रहा है, हालांकि इतना कचरा और भी तस्वीरों में आपको देखने को मिलेगा.
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ये सीएमओ दफ्तर के एकदम सामने लगे गमले हैं, जिनमें पौधे लगने चाहिए थे, पर ये पीकदान बन गए हैं. आते-जाते लोग इसमें थूकते हैं. ऐसे कई गमले वहां लगे हैं, जिनमें से कई पर मकड़ों ने जाले बना लिए हैं, तो कई थूकने के काम आ रहे हैं.
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ये सीएमओ दफ्तर का इलेक्ट्रिसिटी रूम है, जो खुला पड़ा रहता है. यहां न ताला है न ही गेट बंद होता है. सालों से शायद इसमें सफाई नहीं हुई. कभी कोई दुर्घटना हो जाए तो उसकी चिंता किसी को नहीं है.
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सीएमओ दफ्तर के आसपास बने सभी अधिकारियों के केबिन्स के बाहर का नजारा और भी खतरनाक है. कहीं कूड़ा पड़ा है तो कहीं पानी भरी बाल्टी, कहीं चाय के गिलास तो कहीं कागज. ये खिड़कियां हैं जहां लोग पान गुटखा खाकर थूकते रहते हैं, कचरा फेंकते हैं, लेकिन सफाई नहीं होती.
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इस पूरे अस्पताल में सीढ़ियां हैं, लेकिन सफाई के नाम पर सिर्फ कूड़ा दिखाई देगा. यह एक तस्वीर है, ऐसी दर्जनों तस्वीर सीढ़ियों की मिलेंगी, जहां सिर्फ गंदगी ही गंदगी है. जबकि बहुत संवेदनशील बीमारियों वाले मरीज अस्पताल में आते हैं.
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ये अस्पताल की लिफ्ट है. जिसमें लिफ्ट के बाहर लगा पत्थर आधा लटक रहा है. यह कभी भी मरीजों के सिर पर गिर सकता है. इस लिफ्ट से प्रेग्नेंट महिलाओं से लेकर बच्चे, बूढ़े सभी आते-जाते हैं, लेकिन किसी के कान पर जूं नहीं रेंग रही.
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यह है बीमारियों का घर. अस्पताल में ओपीडी के बाहर लगे ये वॉटर कूलर आपको बीमारियां देने के लिए पर्याप्त हैं. इन वॉटर कूलर की सालों से सफाई नहीं हुई, आसपास गंदगी है, पानी नल से टपकता रहता है, जंग लगी है, आसपास कचरा पड़ा है, कीड़े लगे हैं.. और इसी में से मरीज और कुछ छोटे कर्मचारी पानी पीते रहते हैं. इस अस्पताल की एमएस डॉ. रेणु अग्रवाल हैं, जबकि यहां जिले की हेल्थ देखने वाले सीएमओ डॉ. सुनील कुमार शर्मा भी बैठते हैं..