हाइलाइट्स
दिल्ली में 06 अगस्त 1947 को सेना की विदाई पार्टी थीकलकत्ता और लाहौर में दंगे काबू में नहीं आ रहे थेमुस्लिम लीग नेता लियाकत अली परिवार के साथ पाकिस्तान रवाना हुए
भारत की आजादी का दिन करीब आता जा रहा था. साथ ही बंटवारे के चलते पाकिस्तान संबंधी गहमागहमी भी जारी थी. पहले पाकिस्तान जाने वाले अफसर यहां से रवाना हुए तो फिर सेना का भी इसी तरह बंटवारा हुआ. दिल्ली में 06 अगस्त 1947 को सेना की विदाई पार्टी थी, जिसमें सब भावुक हो गए.
लाल किले में में पाकिस्तान जाने वाले सैनिकों और अफसरों की विदाई के लिए पार्टी थी. लार्ड माउंटबेटन, भारत के रक्षा मंत्री सरदार बलदेव सिंह समेत कई शीर्ष नेता इसमें पहुंचे. फिर सबने हाथ में हाथ लेकर विदाई गीत गाया. कई बहुत भावुक हो गए. कई की आंखों नम थीं.
करियप्पा ने कहा -हम फिर मिलेंगे
इस विदाई पार्टी को भारतीय सेना की ओर से जनरल केएम करियप्पा ने संबोधित किया, उन्होंने कहा, मैं इस विदाई की बेला में ये कहूंगा कि मैं हर किसी को जो भी यहां है, उसे दिल से अपनी शुभकामनाएं दे रहा हूं कि आगे भी दोस्त बने रहेंगे और मिलते रहेंगे. हमने जिस तरह पिछले कुछ वर्ष साथ इंजॉय करते हुए बिताए, वो आगे भी हमारे बीच में इसी तरह बने रहेंगे. जिस तरह हमने शानदार तरीके से साथ में काम किया, उसी तरह से दो अलग देशों में काम करते रहेंगे.
हमारे बीच खास भाईचारा है
उन्होंने कहा, पिछले कुछ सालों में हमने कई लड़ाइयां साथ लड़ीं. हमारे बीच एक खास रिश्ते विकसित हुए, उस भावना और भाईचारे को हम आगे भी बनाकर रखेंगे, बेशक हम अलग हो रहे हों लेकिन हमारी ये भावना हमारे साथ रहेगी.
पाकिस्तान आर्मी की ओर से क्या कहा गया
पाकिस्तान आर्मी की ओर से इस मौके पर ब्रिगेडियर एएम रजा ने कहा, जनरल करियप्पा ने जो कहा, वो उससे सहमत हैं और हमे सही मायनों में इसी तरह भाईचारे की भावना दिखानी होगी. उन्होंने हर किसी को आश्वस्त किया कि जब भी अवसर आएंगे तब हम फिर साथ होंगे. पाकिस्तान की सेना हमेशा उन परंपराओं का पालन करेगी, जैसा उन्होंने भारतीय सेनाओं के साथ रहकर देखा और सीखा है और हम वो सबकुछ करेंगे, जिसकी जरूरत होगी. ना केवल अपने देश की जनता के लिए बल्कि इस उपमहाद्वीप के लिए भी. पिछले कुछ दशकों में दूसरे विश्व युद्ध ने हमें बहुत कुछ सिखाया है.
दंगे काबू में नहीं आ रहे थे
पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में स्थितियां बिगड़ रहीं थीं. कलकत्ता और लाहौर में दंगे काबू में नहीं आ रहे थे. साथ ही कई और जगहों पर भी दंगे भडक़ गए. कलकत्ता और लाहौर में पूर्वी बंगाल और पश्चिमी पंजाब मुस्लिम लीग असेंबली पार्टी के नतीज़े घोषित हुए और दोनो जगह जिन्ना समर्थक चुनाव जीत गए. मुस्लिम लीग नेता लियाकत अली अपने परिवार के साथ पाकिस्तान रवाना हो गए.
महात्मा गांधी 06 अगस्त 1947 को लाहौर में थे. वहां से वो भारत लौट रहे थे
गांधीजी लाहौर में थे
इससे निपटने के लिए सेना की मदद लेनी पड़ी. वहीं गांधी जी लाहौर में थे. गांधी कश्मीर से लाहौर होते हुए लौट रहे थे. वह लाहौर से जब दिल्ली के लिए ट्रेन पकडऩे रेलवे स्टेशन पहुंचे तो वहां ढेरों कांग्रेस के कार्यकर्ता उन्हें विदा करने आए.
Tags: 15 August, Freedom Movement, Independence day
FIRST PUBLISHED :
August 6, 2024, 11:33 IST