15 जून 2020 की वो काली रात, जब गलवान घाटी में बिना गोली चले हुआ था महायुद्ध..

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Last Updated:December 27, 2025, 15:58 IST

Battle of Galwan History: सलमान खान ने अपने 60वें जन्मदिन पर फिल्म 'बैटल ऑफ गलवान' का टीजर जारी कर फैंस को बड़ा तोहफा दिया है. यह फिल्म 2020 में गलवान घाटी में भारत-चीन सैनिकों के बीच हुए वास्तविक संघर्ष पर आधारित है. इसमें सलमान शहीद कर्नल बी. संतोष बाबू का किरदार निभा रहे हैं, जिन्होंने बिना गोली चलाए चीनी सेना का डटकर मुकाबला किया था.

15 जून 2020 की वो काली रात, जब गलवान घाटी में बिना गोली चले हुआ था महायुद्ध..Battle of Galwan History: सलमान खान की फिल्म वास्तविक संघर्ष पर आधारित है

नई दिल्ली (Battle of Galwan History). आज बॉलीवुड के ‘सुल्तान’ सलमान खान का 60वां जन्मदिन है. इस खास मौके पर उनके फैंस के लिए बहुत बड़ा सरप्राइज सामने आया है- उनकी बहुप्रयक्षित फिल्म ‘बैटल ऑफ गलवान’ का टीजर. लंबे समय से चर्चा में रही यह फिल्म अब अपनी पहली झलक के साथ पर्दे पर आने को तैयार है. सलमान खान इस फिल्म में एक भारतीय सैनिक के अवतार में नजर आने वाले हैं, जो देश के वीर शहीदों की गौरवगाथा को बड़े पर्दे पर जीवंत करेंगे.

‘बैटल ऑफ गलवान’ फिल्म साल 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई ऐतिहासिक और खूनी झड़प पर आधारित है. इसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. सलमान खान इस फिल्म में कर्नल बी. संतोष बाबू का किरदार निभा रहे हैं, जिन्होंने अपनी आखिरी सांस तक चीनी सैनिकों का मुकाबला किया था. जनरल नॉलेज के नजरिए से यह फिल्म बहुत महत्वपूर्ण है. यह आधुनिक भारत के सैन्य इतिहास का ऐसा अध्याय दर्शाती है, जहां बिना एक भी गोली चले हमारे वीरों ने अदम्य साहस का परिचय दिया था.

गलवान घाटी विवाद कब और कहां हुआ था?

15-16 जून 2020 की रात को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. यह स्थान समुद्र तल से लगभग 14,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. यह झड़प ‘लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल’ (LAC) पर स्थिति को लेकर हुए विवाद के कारण शुरू हुई थी.

बिना गोली चले हुई ‘खूनी लड़ाई’

इस युद्ध की सबसे अनोखी और दर्दनाक बात यह थी कि इसमें एक भी गोली नहीं चली थी. 1996 और 2005 के द्विपक्षीय समझौतों के अनुसार, भारत-चीन सीमा पर हथियारों का इस्तेमाल प्रतिबंधित है. चीनी सैनिकों ने कटीले तारों वाली लाठियों, पत्थरों और लोहे की रॉड से हमला किया था. भारतीय जवानों ने भी हाथो-हाथ लड़ाई (Hand-to-Hand Combat) में चीनी सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया था.

कर्नल बी. संतोष बाबू का बलिदान

16 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल बी. संतोष बाबू ने इस ऑपरेशन का नेतृत्व किया था. वे चीनी सैनिकों को वापस जाने के लिए समझाने गए थे, लेकिन विश्वासघात होने पर उन्होंने वीरता से मुकाबला किया. उनके अदम्य साहस के लिए उन्हें मरणोपरांत भारत के दूसरे सबसे बड़े सैन्य सम्मान ‘महावीर चक्र’ से सम्मानित भी किया गया था.

भारतीय सेना की क्षति और शौर्य

इस झड़प में भारत के 20 बहादुर जवान शहीद हुए थे. ऑफिशियल रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय सैनिकों ने भी चीनी सेना को भारी नुकसान पहुंचाया था. चीन ने शुरुआत में हताहतों की संख्या छिपाई थी, लेकिन बाद में कुछ सैनिकों के मारे जाने की बात कबूल की थी. यह 45 सालों में पहली बार था, जब एलएसी पर किसी झड़प में इतने सैनिकों की जान गई थी.

गलवान घाटी का रणनीतिक महत्व

गलवान घाटी का रणनीतिक महत्व इसके भौगोलिक स्थान और भारत की DSDBO रोड से इसकी निकटता में छिपा है. यह सड़क लद्दाख को सीधे कराकोरम दर्रे से जोड़ती है और LAC के पास भारतीय सेना के लिए ‘लाइफलाइन’ मानी जाती है. गलवान नदी घाटी अक्साई चिन की पहाड़ियों के बीच प्राकृतिक गलियारे का काम करती है. अगर चीन इस क्षेत्र पर नियंत्रण कर लेता है तो वह भारत की इस महत्वपूर्ण सड़क को अपनी तोपों की जद में ले सकता है और श्योक नदी के किनारे भारतीय सेना की गतिविधि पर भी नजर रख सकता है.

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Deepali Porwal

With more than 10 years of experience in journalism, I currently specialize in covering education and civil services. From interviewing IAS, IPS, IRS officers to exploring the evolving landscape of academic sys...और पढ़ें

First Published :

December 27, 2025, 15:58 IST

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