1KM के दायरे में कोई नहीं घुस पाएगा, बांग्‍लादेश से सटे मेघालय बॉर्डर पर हलचल

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Last Updated:November 25, 2025, 21:14 IST

मेघालय-बांग्लादेश बॉर्डर पर अचानक बढ़ी संदिग्ध गतिविधियों और घुसपैठ की आशंका के बीच प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से नाइट कर्फ्यू लागू कर दिया है. जीरो लाइन के पास बढ़ती मूवमेंट, तस्करी और प्रतिबंधित गुटों की सक्रियता को देखते हुए यह कदम बेहद अहम माना जा रहा है.

1KM के दायरे में कोई नहीं घुस पाएगा, बांग्‍लादेश से सटे मेघालय बॉर्डर पर हलचलमेघायल बॉर्डर पर अचानक नाइट कर्फ्यू लगा द‍िया गया है्

मेघालय-बांग्लादेश सीमा हमेशा से सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती रही है. नाइट कर्फ्यू एक तात्कालिक समाधान है, जो घुसपैठ और तस्करी को रोकने में मदद करेगा. सरकार के फैसले से अवैध घुसपैठ पर रोक लगेगी. तस्करी नेटवर्क टूटेंगे. सीमाई गांवों में स्थिरता आएगी. सुरक्षा एजेंसियों को बड़े ऑपरेशन में मदद मिलेगी. सरकार ने संकेत दिए हैं कि स्थिति सामान्य हुई तो कर्फ्यू की अवधि कम की जा सकती है.

एक ओर पाक‍िस्‍तान से सटे एलओसी पर फौज अलर्ट कर दी गई है तो दूसरी ओर मेघालय-बांग्लादेश बॉर्डर पर अचानक नाइट कर्फ्यू लगा द‍िया गया है. यह तुरंत प्रभाव से रात 8 बजे से सुबह 6 बजे तक अगले दो महीनों तक प्रभावी रहेगा. अब उस 1 किलोमीटर जोन में कोई भी नहीं घुस पाएगा जो ‘जीरो लाइन’ के बिलकुल नजदीक है. यह वह सीमा है, जहां भारत खत्म होता है और बांग्लादेश शुरू. आखिर इस इलाके में ऐसा क्या हुआ कि नाइट कर्फ्यू की जरूरत पड़ गई? इस बॉर्डर की रणनीतिक अहमियत क्या है?

ईस्ट खासी हिल्स की जिला मजिस्ट्रेट आरएम कुरबाह की ओर से जारी आदेश में साफ कहा गया है कि बॉर्डर के कुछ हिस्से बेहद पोरोस यानी छिद्रयुक्त और संवेदनशील हैं. इन इलाकों से गैरकानूनी घुसपैठ हो रही है. प्रतिबंधित आतंकी संगठनों के सदस्यों की आवाजाही दिखी है. तस्करों और संगठित अपराध गिरोहों की गतिविधियां बढ़ रही हैं. अधिकारियों का कहना है कि ऐसे तत्व अक्सर रात के अंधेरे का फायदा उठाते हैं. कई मामलों में सीमा के बिल्कुल पास बड़ी संख्या में लोगों की आवाजाही देखी गई है, जो न सिर्फ कानून व्यवस्था के लिए खतरा बन सकती है बल्कि सुरक्षा एजेंसियों को भी चुनौती दे सकती है.

क्‍यों लगाया लाइट कर्फ्यू
नाइट कर्फ्यू इसलिए लगाया गया है ताकि सीमा के पास अवैध आंदोलन पर रोक लगे. तस्करी, हथियारों की आवाजाही और अपराध नेटवर्क को नियंत्रित किया जा सके. किसी आतंकी या उग्रवादी समूह की गतिविधि रोकी जा सके. संवेदनशील गांवों में शांति और सुरक्षा बनी रहे.

कर्फ्यू में क्या-क्या प्रतिबंध?

जारी आदेश के तहत कई प्रतिबंध लागू किए गए हैं. भारत या बांग्लादेश की दिशा में कोई भी अवैध आवाजाही पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगी. द‍िन के वक्‍त भी पांच या उससे अधिक लोगों की अनधिकृत भीड़ पर रोक होगी. हथियार या हथियार जैसी किसी भी चीज को ले जाना मना रहेगा. गाय, ड्रग्स, सुपारी, पान, सूखी मछली, सिगरेट और चाय की तस्करी पर पूरी तरह नकेल होगी. रात के समय सीमा के पास किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत ऐक्शन ल‍िया जाएगा. यानी कर्फ्यू सिर्फ लोगों के चलने-फिरने पर रोक नहीं है, बल्कि पूरे क्रॉस-बॉर्डर क्राइम नेटवर्क को निशाने पर लेने वाला सुरक्षा कदम है.

यह इलाका इतना संवेदनशील क्यों?
यह सीमा काफी लंबी है और पहाड़ी ढलानों, नदी घाटियों और जंगलों से घिरी है. कई हिस्सों में बाड़ लगाना मुश्किल है. इस तरह का भूगोल घुसपैठियों को छिपने और निकलने के आसान रास्ते देता है. यह क्षेत्र लंबे समय से सुपारी की स्मगलिंग, पशुओं की तस्करी, कॉन्ट्राबैंड आइटम्स, हथियारों और नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार का रास्ता रहा है. मेघालय और बांग्लादेश सीमा के इलाकों में ऐतिहासिक रूप से कुछ उग्रवादी संगठन सुरक्षित पनाह लेते रहे हैं. कई प्रतिबंधित संगठनों ने इस इलाके का उपयोग हाइडआउट या ट्रांज‍िट रूट के रूप में किया है. बांग्लादेश की राजधानी ढाका यहां से करीब 200–250 किमी की दूरी पर है. चटगांव बंदरगाह और सिलहट क्षेत्र की निकटता इसे स्ट्रैटेजिकली बेहद संवेदनशील बनाती है.

क्यों यह सीमा भारत के लिए अहम है?

इसे पूर्वोत्तर भारत के लिए सुरक्षा शील्ड कहते हैं. पूर्वोत्तर भारत कई राज्यों से मिलकर बना है और यह बेहद संवेदनशील भौगोलिक क्षेत्र है. अगर घुसपैठ बढ़े या उग्रवादी समूहों को रास्ता मिल जाए, तो यह पूरे पूर्वोत्तर की सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है. यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार का कॉरिडोर है. भारत-बांग्लादेश व्यापार का बड़ा हिस्सा मेघालय सीमा से होकर गुजरता है. तस्करी बढ़ने से वैध व्यापार पर भी खतरा पैदा होता है. सीमा पर बसे भारतीय गांवों की सुरक्षा. सीमा के नजदीक छोटे-छोटे गांव बसे हैं जिनमें खासी और अन्य जनजातीय समुदाय रहते हैं. घुसपैठ और तस्करी के कारण इन गांवों में असुरक्षा की भावना बढ़ी है. हाल के महीनों में सुरक्षा एजेंसियों ने संगठित अपराध नेटवर्क और अवैध जमावड़ों को लेकर कई इनपुट दिए थे. इससे सरकार ने तुरंत कदम उठाने की जरूरत महसूस की.

Gyanendra Mishra

Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें

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First Published :

November 25, 2025, 21:13 IST

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