2022 के दौर से पहले क्यों लौटना चाहती है दुनिया? 2026 में AI पर आने वाला है तूफान !

1 hour ago

भारत समेत पूरी दुनिया एआई से प्रभावित है. न सिर्फ एल्गोरिदम बदला है बल्कि इंडस्ट्री में कामकाज भी 'AI - मय' हो चला है. इससे प्रभावित लोगों को समझ में नहीं आ रहा कि वह क्या करें. कुछ लोग तो इसका इस्तेमाल कर फायदा पा रहे है वहीं कंटेंट, म्यूजिक, कोडिंग, वीडियो, इमेजिंग, एनालिसिस जैसे तमाम सेक्टर में काम करने वाले लोग अपनी नौकरी खतरे में देख रहे हैं. अब एक विश्लेषण में यह देखा गया है कि बहुत जल्दी दुनिया एआई से ऊब चुकी है और वे नए साल 2026 में नवंबर 2022 के दौर में लौटने के लिए बेकरार दिख रहे हैं. CNN की सीनियर राइटर एलीसन मोरो ने 2025 के आखिर में एआई के असर को लेकर किए गए अपने विश्लेषण में भविष्यवाणी की है कि 2026 एंटी-एआई मार्केटिंग का साल हो सकता है.

वह लिखती हैं कि मोबाइल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बने बेकार के कंटेंट की भरमार है. हमारे साथियों की सोशल मीडिया फीड, न्यूज आउटलेट्स सब जगह एआई घुस गया है. उन्होंने घटिया, झूठे, सामान्य, कम गुणवत्ता वाले डिजिटल कंटेंट को स्लोप (Slop) कहकर संबोधित किया. इसमें टेक्स्ट, तस्वीरें और ऑडियो भी शामिल हैं. ये हर चीज में फैल रहा है. मेरियम-वेबस्टर डिक्शनरी के एडिटरों ने slop को 2025 word of the year के तौर पर चुना है. कीचड़ और गंदगी की तरह स्लोप में भी कुछ ऐसा गीला सा है जिसे आप छूना नहीं चाहेंगे. आगे मोरो कहती है कि साल के आखिर में मैं एक भविष्यवाणी करना चाहती हूं- 2026 का साल 100 प्रतिशत ह्यूमन मार्केटिंग का साल होगा. आगे उन्होंने कई केस की स्टडी साझा की है. 

AI स्लोप अक्सर हानिकारक चीजें दिखाता प्रतीत होता है और लोग इसे सच मानते जाते हैं. हालांकि आगे चलकर उन लोगों में भरोसे का संकट पैदा हो रहा है जो इंटरनेट के साथ बड़े हुए हैं और खुद को नकली चीजों को पहचानने में एक्सपर्ट या कम से कम ठीक-ठाक मानते हैं. हालांकि सामान्य निशान, अप्राकृतिक रोशनी, अजीब तरह से बनाए गए हाथ, बेमेल बैकग्राउंड इमेज ये सब काफी हद तक छिपा दिए जा रहे हैं. 

Add Zee News as a Preferred Source

केस 1 - झूठे वीडियो का छलावा

अब टिकटॉक पर यूं ही स्क्रॉल करना एक टेस्ट जैसा लगता है - क्या आपने नकली चीज को पहचाना? या बिना सोचे-समझे ट्रैंपोलिन पर उछलते हुए खरगोशों के उस वीडियो पर क्लिक कर दिया? अगर हां, तो आप अकेले नहीं हैं दुनियाभर में काफी लोग इस झांसे में आ चुके हैं. पहले आप वीडियो देखिए. 

Never knew how much I needed to see bunnies jumping on a trampoline pic.twitter.com/1zn7uaPSHD

— greg (@greg16676935420) July 28, 2025

वीडियो फिर से देख लीजिए और तब आपको पता चले कि ये फेक है. एआई टूल्स की मदद से बनाया गया है तो आप निश्चित ही खुद को ठगा या छला हुआ महसूस करेंगे. वास्तव में धोखा खाना एक बुरा एहसास है और इसका कुछ असर दिखना शुरू हो गया है. 

केस 2 - नो एआई कंटेंट

पिछले महीने रेडियो और पॉडकास्टिंग की बड़ी कंपनी iHeartMedia ने एक 'गारंटीड ह्यूमन' टैगलाइन लॉन्च की. कंपनी ने यूजर्स से वादा किया कि वह AI से बनाए गए पर्सनैलिटीज का इस्तेमाल नहीं करेगी या AI-जेनरेटेड म्यूजिक नहीं बजाएगी. सैन एंटोनियो (टेक्सस, अमेरिका) की इस ऑडियो कंपनी की अपनी रिसर्च में पता चला है कि उसके 90 प्रतिशत श्रोता चाहते हैं कि उनका मीडिया इंसानों द्वारा बनाया जाए. इसमें वे लोग भी शामिल हैं जो खुद AI टूल्स का इस्तेमाल करते हैं. 

iHeartMedia के CEO बॉब पिटमैन ने एक बयान में कहा, 'हमारे लिए मार्केटर के तौर पर, याद रखना जरूरी है कि हम अमेरिका और दुनियाभर में एक मुश्किल समय में और नाजुक स्थिति में हैं. ग्राहक सिर्फ सुविधा नहीं ढूंढ रहे, वे मतलब ढूंढ रहे हैं.' यह कंपनी अकेली नहीं है. 

केस 3- खबरों की दुनिया में तौबा

इस महीने की शुरुआत में कनाडा की एक इंडिपेंडेंट न्यूज साइट द टाई (The Tyee) के संपादकों ने एआई से तौबा कर ली. उन्होंने नो - AI पॉलिसी अपनाने का फैसला किया. उन्होंने यह जानकारी प्रकाशित की है कि वे AI की मदद से लिखे या बनाए गए किसी भी कंटेंट (पत्रकारिता) को पब्लिश नहीं करेंगे. वैसे, यह एक छोटा न्यूज रूम कहा जा सकता है लेकिन कुछ बड़े न्यूज आउटलेट्स ने भी ऐसे संकल्प की शुरुआत कर दी है. 

वास्तव में कई जाने-माने अखबारों ने AI को अपनाने में जल्दबाजी दिखाई थी और अब उसके नतीजों से जूझ रहे हैं. इसमें वाशिंगटन पोस्ट भी है जिसने हाल ही में एक बहुत आलोचना वाला और गलतियों से भरा पॉडकास्ट बॉट रिलीज किया था. 

केस 4- हॉलीवुड में भी गूंज रही आवाज

हॉलीवुड में AI को अक्सर एक बड़ा खतरा माना जाता है. कुछ क्रिएटर्स दर्शकों को यह बात समझा रहे हैं. 'ब्रेकिंग बैड' के क्रिएटर विंस गिलिगन की हिट Apple TV सीरीज़ 'प्लुरिबस' के क्रेडिट्स में लिखा गया- यह शो इंसानों ने बनाया है. वहीं, दूसरी तरफ कुछ लोग 'टिली नॉरवुड' के खिलाफ बोल रहे हैं, जो AI-जेनरेटेड एक्ट्रेस है. जब रीएक्शन तीखा मिलने लगा तो उसके क्रिएटर्स ने वादा किया कि टिली एक डिजिटल एक्सपेरिमेंट भर है और इंसानी एक्टर्स को बदलने की कोई कोशिश नहीं की जा रही. 

केस 5- एआई दोस्त नहीं है

Pinterest पर, कंपनी का AI को अपनाना उसके सबसे डेडिकेटेड यूजर्स को दूर कर रहा है. पिछले महीने एक रिपोर्ट में यह जानकारी पता चली थी. पूरे न्यूयॉर्क शहर में 'फ्रेंड' नाम के पहनने योग्य AI रिकॉर्डिंग डिवाइस के सबवे विज्ञापनों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है. ऐसे में आने जाने वाले लिख रहे हैं- AI तुम्हारा दोस्त नहीं है, पड़ोसी से बात करो. 

केस 6- एआई फिल्टर आ गया

हां, एक आर्टिस्ट इंटरनेट की गिरावट से इतना परेशान हो गया कि उसने स्लोप इवेडर ब्राउजर एक्सटेंशन तैयार कर दिया. यह वेब सर्च को फिल्टर करके सिर्फ नवंबर 2022 से पहले के नतीजे दिखाता है यानी ChatGPT के रिलीज होने से पहले के. साफ है दुनिया को उसके बाद इंटरनेट पर लाई जा रही सामग्री पर भरोसा नहीं जम रहा है. 

आखिर में एलिसन मोरो लिखती हैं कि फिलहाल AI का विरोध कॉर्पोरेट अमेरिका के उस बड़े हिस्से की तुलना में बहुत छोटा है जो आश्वस्त है कि यह पूरी अर्थव्यवस्था का भविष्य है. अब हमें देखना होगा कि एंटी-AI मार्केटिंग के प्रयोगों से कोई असली फायदा होता है या नहीं. फिर भी मुझे लगता है कि जितना ज्यादा AI की काबिलियत और प्रोडक्टिविटी, यहां तक कि क्रिएटिविटी बढ़ाने की असीमित क्षमता की बात की जाएगी, उतना ही ज्यादा लोग इसे एक जाल के रूप में देखेंगे. एक धोखा, छल, सच्चाई से कोसों दूर. अब तक चैटबॉट्स और इमेज जेनरेटर के साथ लोगों का अनुभव ऐसा ही मिलाजुला रहा है. गलत जानकारी ज्यादा तेजी से फैल रही है और लोगों का सच और झूठ में फर्क करना मुश्किल हो गया है. ग्राहक और क्रिएटिव्स शायद अब हार मानने लगे हैं. उम्मीद की जा रही है कि इंसानों के हाथों से बनी हुई चीजें देर से ही सही, ज्यादा पसंद की जाएंगी. 

Read Full Article at Source