Last Updated:April 09, 2025, 14:22 IST
Bihar Chunav News: बिहार के खेल मंत्री सुरेंद्र मेहता कंबल बांटने के कारण चर्चा में हैं. 2020 में बछवाड़ा सीट मामूली अंतर से जीतने वाले मेहता क्या 2025 के बिहार चुनाव में बीजेपी का 'ट्रप कार्ड' साबित होंगे?

कौन हैं सुरेंद्र मेहता, जो कंबल कांड के बाद अचानक चर्चा में आ गए हैं?
हाइलाइट्स
सुरेंद्र मेहता ने गर्मी में 700 कंबल बांटे.2020 में बछवाड़ा सीट से 484 वोट से जीते.धानुक समाज से आते हैं, बिहार के खेल मंत्री बने.पटना. बिहार सरकार के कैबिनेट मंत्री सुरेंद्र मेहता अचानक चर्चा का विषय बन गए हैं. सुरेंद्र मेहता अप्रैल की भीषण गर्मी में कंबल बांटते नजर आए, जिससे वे सुर्खियों में छा गए. क्या इस घटना ने उन्हें बीजेपी के धानुक समाज का बड़ा नेता बना दिया? सुरेंद्र मेहता की साल 2024 में मंत्री बनने के बाद जितनी चर्चा नहीं हुई, उससे कहीं अधिक चर्चा कंबल बांटने के बाद मीडिया में होने लगी. बेगूसराय में उन्हें एक कर्मठ नेता के रूप में जाना जाता है. 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बछवाड़ा विधानसभा सीट से सीपीआई उम्मीदवार अवधेश राय को मात्र 484 वोट से हराया था. ऐसे में क्या मामूली अंतर से जीतने वाले मेहता क्या 2025 के बिहार चुनाव में बीजेपी का ‘ट्रप कार्ड’ साबित होंगे?
भूमिहार बहुल बेगूसराय में सुरेंद्र मेहता का संघर्षपूर्ण सफर जिला बीजेपी अध्यक्ष से मंत्री बनने तक का रहा है. उनके इस सफर में उनकी जाति धानुक समाज का भी अहम योगदान रहा है. बेगूसराय में धानुक जाति का खासा प्रभाव है, जिससे उन्होंने अति पिछड़ा नेता के रूप में पहचान बनाई. 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी ने सुरेंद्र मेहता को मंत्री बनाया था. बिहार भाजपा के इतिहास में पहली बार धानुक समुदाय के किसी विधायक को मंत्री बनाया गया था. धानुक जाति की बिहार में 2.14 प्रतिशत आबादी है और करीब एक दर्जन विधानसभा सीटों पर इनकी महत्वपूर्ण उपस्थिति है. इसी कारण बीजेपी ने अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए मेहता को मंत्री बनाया.
सुरेंद्र मेहता जमीन पर कितने मजबूत?
बिहार के करीब एक दर्जन विधानसभा सीटों पर धानुक जाति की प्रभावशाली उपस्थिति है. अगर लोकसभा की बात करें तो बिहार के 7 लोकसभा सीट मुंगेर, बेगूसराय, अररिया, पूर्णिया, कटिहार, सुपौल, झंझारपुर के अलावा खगड़िया संसदीय सीट पर सवा लाख से लेकर ढाई लाख तक की आबादी है. इसके साथी धानुक जाति बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से तकरीबन 65 विधानसभा सीटों पर भूमिका निर्णायक रहती है. ऐसे में बीजेपी ने इस जाति पर अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए सुरेंद्र मेहता को मंत्री बनाया था.
गर्मी में सर्दी के कंबल बांटने के मायने?
बीजेपी के 46वें स्थापना दिवस के मौके पर मंसूरचक प्रखंड के गोविंदपुर पंचायत में मेहता ने 700 लोगों को कंबल वितरित किए, जिसकी गर्मी के मौसम में काफी चर्चा हुई. मेहता ने इस पर सफाई दी कि कंबल वितरण का कार्यक्रम पहले ही निर्धारित था, लेकिन किसी कारणवश टल गया था. जब कंबल खरीद लिए गए तो बांटने का निर्णय लिया गया. मेहता ने आगे कहा, ‘लाखों लोग ऐसे हैं जो आज भी पेड़ के नीचे रहकर अपना समय बिता रहे हैं. ऐसे में यदि उन्हें कंबल दे ही दिया तो इसमें हाय-तौबा क्यों मचाया जा रहा है?
बेगूसराय के लोग सुरेंद्र मेहता को एक अच्छा नेता मानते हैं. मीडिल क्लास से आने वाले मेहता का मंत्री बनने का सफर संघर्षपूर्ण रहा है. उनकी जड़ें ग्रामीण इलाकों में गहरी हैं. उन्होंने अपना राजनीतिक करियर सीपीआई से शुरू किया था, लेकिन 2005 में बीजेपी में शामिल होने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा. 2010 में वह बेगूसराय नगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और जीते. 2015 में हार गए, लेकिन 2020 में सीट बदलकर बछवाड़ा कर दी गई, जहां उन्होंने 484 वोट से जीत दर्ज की. कंबल कांड ने एक बार फिर सुरेंद्र मेहता को चर्चा में ला दिया है.
First Published :
April 09, 2025, 14:22 IST