Last Updated:October 26, 2025, 06:27 IST
ASTRA MK-3 Air-to-Air Missile: DRDO की ASTRA MK-3 ‘गांडीव’ मिसाइल 2028 से उत्पादन में आएगी. 350 किमी तक मारक क्षमता वाली इस मिसाइल को Su-30MKI फाइटर जेट में इंटीग्रेट करने की योजना है. बाद में इसे राफेल लड़ाकू विमान में भी फिट किया जाएगा.
Astra MK-3 मिसाइल को जल्द ही इंडियन एयरफोर्स के बेड़े में शामिल किए जाने की संभावना है. (सांकेतिक तस्वीर) ASTRA MK-3 Air-to-Air Missile: भारत की हवाई युद्ध क्षमता को अगले दशक में एक नई ऊंचाई मिलने जा रही है. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित देश की सबसे उन्नत बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल (BVRAAM) ASTRA MK-3 (जिसे आधिकारिक रूप से ‘गांडीव’ नाम दिया गया है) 2028 से बड़े पैमाने पर उत्पादन में प्रवेश करने जा रही है, जबकि शुरुआती 2030 के दशक में इसे भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल किए जाने की योजना है. यह मिसाइल महाभारत के महान धनुष ‘गांडीव’ के नाम पर रखी गई है. एक ऐसा नाम जो अपने आप में शक्ति, सटीकता और निर्णायक वार का प्रतीक है. DRDO के अनुसार, यह मिसाइल दुनिया की सबसे लंबी दूरी तक मार करने वाली एयर-टू-एयर मिसाइलों में शामिल हो जाएगी और भारत को सुपरपावर स्तर की हवाई लड़ाकू क्षमता प्रदान करेगी.
गांडीव की अधिकतम मारक क्षमता उच्च ऊंचाई (High Altitude) पर 340–350 किमी तक है, जबकि कम ऊंचाई (लगभग 8 किमी) पर 190 किमी तक दुश्मन विमान को ध्वस्त कर सकती है. यह क्षमता इसे चीन की PL-15 और अमेरिका की AIM-174 जैसी मिसाइल सिस्टम्स के समकक्ष और कई मामलों में उनसे आगे स्थापित करती है. इस मिसाइल में Solid Fuel Ducted Ramjet (SFDR) तकनीक वाला दोहरे ईंधन इंजन लगा है, जो इसे Mach 4.5 की सुपरसोनिक गति तक पहुंचने की शक्ति देता है. इसका मतलब यह हुआ कि अस्त्र एमके-3 मिसाइल 5500 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दुश्मन पर हमला कर सकती है. यह इंजन वायुमंडलीय ऑक्सीजन को ऑक्सिडाइज़र की तरह उपयोग करता है, जिससे मिसाइल हल्की, तेज और अधिक समय तक गति बनाए रखने वाली बनती है. सबसे महत्वपूर्ण इसकी थ्रॉटलेबल रैमजेट तकनीक मिसाइल को उड़ान के दौरान thrust हासिल करने की क्षमता देती है, जिसके चलते नो-एस्केप ज़ोन काफी बड़ा हो जाता है और तेज गति से बचने की कोशिश करने वाले दुश्मन विमान भी इसके दायरे में रह जाते हैं.
Astra MK-3 मिसाइल को Su-30MKI के साथ इंटीग्रेट करने की योजना पर काम चल रहा है. (फोटो: पीटीआई)
टारगेट का अंत तक करती है पीछा
गांडीव को किसी भी ऊंचाई से (समुद्र तल से लेकर 20 किमी तक ) लॉन्च किया जा सकता है. यह 20 डिग्री एंगल ऑफ अटैक के साथ बेहतरीन manoeuvrability रखती है और बदलते लक्ष्यों का पीछा कर सकती है. मिसाइल में अत्याधुनिक AESA (Active Electronically Scanned Array) सीकर का उपयोग किया जा रहा है, जो GaAs से GaN तकनीक की ओर बढ़ रहा है. इससे इसे इलेक्ट्रॉनिक जामिंग से बचाव और लक्ष्य लॉक करने की उत्कृष्ट क्षमता मिलती है. इसे विशेष रूप से दुश्मन के फाइटर जेट, बॉम्बर विमान, एरियल रिफ्यूलर और AWACS व एयर कमांड प्लेटफॉर्म को तबाह करने के लिए डिजाइन किया गया है. चीन के J-20 जैसे स्टील्थ लड़ाकू विमानों के खिलाफ यह मिसाइल महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली मानी जा रही है.
दुश्मनों के लिए काल
गांडीव का वजन लगभग 160 किलोग्राम है, जबकि इसकी लंबाई 3.8 मीटर और व्यास 178 मिमी है. इसमें ECCM (Electronic Counter-Counter Measures) सिस्टम शामिल है, जो इसे शत्रु के जामिंग प्रयासों के बावजूद सटीक लक्ष्य भेदन में सक्षम बनाता है. ‘इंडिया डिफेंस न्यूज’ की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 के मध्य तक मिसाइल ने कई ग्राउंड टेस्ट, लाइव-फायर ट्रायल, सुपरसोनिक फ्लाइट वैलिडेशन और सीमित उड़ान परिस्थितियों में व्यवहारिक परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे किए हैं. Su-30MKI लड़ाकू विमान पर इसके captive carriage परीक्षण जारी हैं और आगे चलकर इसे Rafale एवं AMCA जैसे भावी प्लेटफॉर्म पर भी इसे इंटीग्रेट करने की योजना है. अब तक भारत की स्पेस सिक्योरिटी ASTRA MK-1 और MK-2 पर निर्भर थी, जिनकी मारक क्षमता 100–160 किमी के बीच है. ऐसे में MK-3 का शामिल होना भारतीय वायुसेना को दोहरे स्तर का लाभ देगा.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
October 26, 2025, 06:24 IST

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