Bilaspur Train Accident:ट्रैक पर लगा ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्‍टम क्‍या है,जानें

4 hours ago

Last Updated:November 05, 2025, 10:25 IST

जहां पर हादसा हुआ है, वहां पर ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्‍टम लगा है. यह कैसे काम करता है, इसकी खसियत क्‍या है, कितने प्रकार के सिस्‍टम काम कर रहे हैं. बता रहे हैं रेलवे बोर्ड के रिटायर मेम्बर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदीप कुमार-

ट्रैक पर लगा ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्‍टम क्‍या है,जानेंरेस्‍क्‍यू ऑपरेशन पूरा हुआ.

नई दिल्‍ली. बिलासपुर और गतौरा स्टेशन के बीच हुए भीषण ट्रेन हादसे में अब तक लोको पायलट समेत 11 यात्रियों की मौत की आधिकारिक पुष्टि हो चुकी है और 20 के करीब घायल हैं. हादसे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूरी रात तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया. जहां पर हादसा हुआ है, वहां पर ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग (ABS) सिस्‍टम लगा था. यह कैसे काम करता है, बता रहे हैं रेलवे बोर्ड के रिटायर मेम्बर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदीप कुमार-

भारतीय रेलवे में ट्रेनों के बीच की दूरी तय करने के लिए दो तरह के सिस्‍टम काम कर रहे हैं. पहला एब्सोल्यूट ब्लॉक सिस्टम और दूसरा ऑटोमेटिक ब्‍लॉक सिग्‍नलिंग सिस्टम है. भारतीय रेलवे धीरे-धीरे ऑटोमैटिक सिग्‍नलिंग सिस्टम में शिफ्ट हो रहा है. एब्सोल्यूट ब्लॉक सिस्टम पुराना है. हालांकि अभी भी तमाम जगह चल रहा है.

क्‍या है एब्सोल्यूट ब्लॉक सिस्टम

एब्सोल्यूट ब्लॉक सिस्टम पुराना है. इसके तहत ट्रेनों के बीच की दूरी स्‍टेशनों के बीच की दूरी पर निर्भर करती है. उदाहरण के लिए जब एक ट्रेन अगले स्‍टेशन को पार कर जाती है तो पहले स्‍टेशन पर खड़ी ट्रेन को सिग्‍लन मिलता है और वो आगे बढ़ती है. इस सिस्‍टम में स्‍टेशनों के बीच दूरी चाहे एक किमी. हो या कई किमी., इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. इस तरह दो स्‍टेशनों के बीच एक भी ट्रेन नहीं होती है. इस सिस्‍टम में ट्रैक की क्षमता का बेहतर इस्‍तेमाल नहीं होता है. कम संख्‍या में ट्रेन चल जाती हैं.

क्‍या है ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्‍टम

इस सिस्‍टम के तहत दो स्‍टेशनों के बीच में भी कई सिग्‍नल लगे होते हैं. ये सिग्‍लन ऑटोमैटिक काम करते हैं. इनकी दूरी तय रहती है लेकिन अलग-अलग सेक्‍शन में जरूरत के अनुसार होती है. जहां पर ट्रेनों का ट्रैफिक अधिक है और किसी तरह की कोई तकनीकी समस्‍या नहीं है तो कम दूरी के गैप में सिग्‍लन लगे हैं और जहां ऐसी कोई समस्‍या है तो अधिक दूरी पर सिग्‍लन लगे हुए हैं. इसमें अधिक संख्‍या में ट्रेनों को चलाया जा सकता है. इस हादसे में ऑटोमेटिक ब्‍लॉक सिग्‍नल सिस्टम लगा था.

हादसे की वजह

एबीएस में अगर एक ट्रेन खड़ी है तो उसके पीछे का सिग्‍लन रेड होना चाहिए. इस हादसे में दो वजह से हादसा हो सकता है. पहला सिग्‍नल में कोई खराबी हो गयी हो या फिर लोको पायलट ने सिग्‍लन की अनदेखी की. फिलहाल मामले में जांच चल रही है.

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Location :

Bilaspur,Bilaspur,Chhattisgarh

First Published :

November 05, 2025, 10:25 IST

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