Bilaspur Train Accident: मेमू की 3 मिनट में कितनी स्‍पीड कि ब्रेक न लगी!

3 hours ago

Last Updated:November 05, 2025, 11:25 IST

Bilaspur MEMU Accident-बिलासपुर ट्रेन हादसे में कारण अभी पता नहीं चल पाया है. इसकी जांच चल रही है. पर लोगों के मन एक सवाल जरूर उठ रहा है कि जब मेमू तीन मिनट पहले चली थी तो कितनी स्‍पीड हो गयी कि लोको पायलट इमरजेंसी ब्रेक नहीं लगा पाया और ट्रेन हादसा हो गया.

 मेमू की 3 मिनट में कितनी स्‍पीड कि ब्रेक न लगी!स्‍टेशन से तीन मिनट पहले चली थी मेमू.

नई दिल्‍ली. बिलासपुर ट्रेन हादसे में लोको पायलट समेत 11 यात्रियों की मौत हुई और 20 के करीब घायल हुए हैं. मरने वाले मेमू ट्रेन में सवार थे. ट्रैक पर खड़ी मालगाड़ी के गार्ड ने कूदकर किसी तरह जान बचाई है. लोगों के मन एक सवाल जरूर उठ रहा है कि जब मेमू तीन मिनट पहले चली थी तो कितनी स्‍पीड हो गयी कि लोको पायलट इमरजेंसी ब्रेक नहीं लगा पाया और ट्रेन हादसा हो गया. एक्‍सपर्ट बता रहे हैं कि हादसे की वक्‍त मेमू की स्‍पीड कितनी होगी और कितनी दूरी पर ब्रेक लगाई जा सकती है.

भारतीय रेलवे के अनुसार मेमू 68733 गेवरा रोड से बिलासपुर के बीच चलती है. यह ट्रेन 3.50 बजे गटोरा स्‍टेशन से रवाना हुई, जो घटना स्‍थल से करीब 4 किमी. की दूरी पर है. ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (आईआरएलआरओ)के कार्यकारी अध्यक्ष संजय पांधी ने बताया कि अगर तीन मिनट में ट्रेन चार किमी. की दूरी तय करती है, इसका मतलब है कि ट्रेन की स्‍पीड 65 किमी. प्रति घंटे से ज्‍यादा रही होगी. इस स्‍पीड में ट्रेन तीन से चार किमी. की दूरी तय करती है. हादसा लालखदान, गटोरा-बिलासपुर के बीच में शाम 3.53 बजे हुआ है. इस स्‍पीड में इमरजेंसी ब्रेक लगाने के लिए करीब 100 मीटर की दूरी चाहिए होती है. इससे कम पूरी होने पर ट्रेन के पटरी से उतरने की आशंका रहती है.

सिग्‍लन की अनेदखी का मामला

हादसे की जांच हो रही है. लोको पायलट द्वारा सिग्‍लन की अनदेखी की बात कही जा रही है. फिलहाल मामले की जांच चल रही है. सिग्‍नल तीन तरह के होते हैं रेल, येलो और ग्रीन. जब किसी ट्रेन को लूप लाइन में भेजना होता है तो पीला सिग्‍लन होता है. इससे लोको पायलट समझ जाता है कि ट्रेन को लूप लाइन में लेना है और वो ट्रेन की स्‍पीड कम लेता है. लूप लाइन में जाते समय ट्रेन की स्‍पीड 30 किमी. प्रति घंटा होनी चाहिए. जिस ट्रेन को मेन लाइन से थ्रू ( सीधा) निकालना होता है, उसमें यह सुनिश्चित कर लिया जाता है, मेन लाइन से निकली ट्रेन अगले स्‍टेशन में पहुंच गई या नहीं. इसके बाद ग्रीन सिग्‍लन होता है. ग्रीन सिग्‍लन होते ही इंटरलाकिंग हो जाती है, जिससे ट्रेन सीधा निकल जाती है. इस हादसे में जांच रिपोर्ट आने के बार ही कारण पता चल पाएगा.

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First Published :

November 05, 2025, 11:23 IST

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