Budget 2025 Expectations: प्राइवेट और सरकारी जॉब करने वाले नौकरीपेशा को इस बार के बजट से बहुत उम्मीदें हैं. महंगाई की मार से बेजार और कम पगार में जीना अब मुश्किल होता जा रहा है. कर्मचारियों को इस बार के बजट में इनकम टैक्स स्लैब, छूट, दर और रिबेट में बदलाव की उम्मीद की जा रही है. सैलरी पर निर्भर इस बड़े वर्ग को बजट से 10 बड़ी उम्मीदें हैं.
News18 हिंदीLast Updated :January 30, 2025, 12:48 ISTWritten byPramod Kumar Tiwari
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आयकर दरें और स्लैब : वित्त मंत्री सीतारमण द्वारा बजट 2024 में घोषित नए आयकर स्लैब और दरें FY 2024-25 के लिए आम आदमी के टैक्स भार को कम करने के उद्देश्य से बनाई गई थीं. इसी को ध्यान में रखते हुए विशेषज्ञों को उम्मीद है कि आयकर स्लैब और दरों में और सुधार किया जाएगा. खासकर 30% कर स्लैब को वर्तमान में 15 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये से ऊपर करने की उम्मीद है.
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स्टैंडर्ड डिडक्शन : नई आयकर व्यवस्था में स्टैंडर्ड डिडक्शन को पिछले साल 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दिया गया था. विशेषज्ञों का मानना है कि नई कर व्यवस्था में प्रमुख कर छूट और कटौतियों की अनुपस्थिति में वित्तमंत्री सीतारमण को स्टैंडर्ड डिडक्शन कम से कम 1 लाख रुपये करना चाहिए, ताकि लोगों को नई व्यवस्था अपनाने के लिए और प्रोत्साहित किया जा सके.
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बेसिक टैक्स छूट : विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार के नए टैक्स सिस्टम को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करने के कारण पुरानी आयकर व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं हो सकता है. नए टैक्स सिस्टम में बेसिक छूट सीमा 3 लाख रुपये है. लिहाजा उम्मीद की जा रही है कि इस सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया जा सकता है, जिससे लोगों के पास खर्च या बचत के लिए अधिक पैसा होगा और इससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा.
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आयकर छूट : नई कर व्यवस्था में अभी 7 लाख रुपये तक की कमाई पर पूरी तरह से कर छूट मिलती है. इस वित्तीय वर्ष में छूट की सीमा को बढ़ाकर 10 लाख रुपये किए जाने की उम्मीद है. विशेषज्ञों का मानना है कि नई आयकर व्यवस्था के तहत इस तरह का संशोधन मध्यम आय वर्ग के करदाताओं को महत्वपूर्ण वित्तीय राहत प्रदान करेगा.
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80C में बदलाव : इस बार के बजट में विशेषज्ञों ने नई आयकर व्यवस्था के तहत धारा 80C की छूट को शामिल करने की सिफारिश की है, ताकि बचत को प्रोत्साहन मिल सके. वर्तमान में धारा 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक की छूट पुरानी आयकर व्यवस्था में ही उपलब्ध है.
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एनपीएस पर टैक्स छूट : टैक्स विशेषज्ञों का मानना है कि नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) को बढ़ावा देने के लिए सरकार को इसे ईईई उत्पाद (छूट-छूट-छूट) बनाने पर विचार करना चाहिए. इसके अलावा यह भी मानते हैं कि पुराने टैक्स सिस्टम में एनपीएस के तहत मिलने वाले अतिरिक्त 50,000 रुपये के टैक्स लाभ को नए टैक्स सिस्टम में भी शामिल किया जाना चाहिए.
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एचआरए का फायदा : हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) छूट की गणना में सुधार किया जाना चाहिए, ताकि प्रमुख टियर 2 शहरों को भी शामिल किया जा सके. विशेषज्ञों का कहना है कि हैदराबाद, पुणे, बैंगलोर, अहमदाबाद और गुरुग्राम जैसे शहरों में एचआरए छूट को वर्तमान 40% से बढ़ाकर 50% किया जाना चाहिए.
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बीमा पर छूट की सीमा : बढ़ती स्वास्थ्य देखभाल लागत के बीच स्वास्थ्य बीमा के महत्व की बात करते हुए, विशेषज्ञों का कहना है कि वित्तमंत्री सीतारमण को नई आयकर व्यवस्था के तहत स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम के लिए धारा 80डी छूट की अनुमति देनी चाहिए.
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दान पर छूट की सीमा : चैरिटी को बढ़ावा देने और बैंकों में बचत को प्रोत्साहित करने के इरादे से, टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को नई आयकर व्यवस्था के तहत धारा 80G और धारा 80TTA के तहत लाभों की अनुमति देनी चाहिए.
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होम लोन पर टैक्स छूट : टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार संपत्ति खरीदने वालों के लिए टैक्स लाभ बढ़ा सकती है. ऐसे लाभों में हाउसिंग लोन के ब्याज या मूल भुगतान पर अधिक कटौती शामिल हो सकती है. वर्तमान में व्यक्ति हाउस प्रॉपर्टी से होने वाली आय में सालाना केवल 2 लाख रुपये तक का नुकसान दावा कर सकते हैं. इस सीमा को संशोधित करने की आवश्यकता है और इसे 3 लाख रुपये प्रति वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, जिससे 'सभी के लिए आवास' कार्यक्रम को मजबूती मिलेगी.