DNA Analysis: ईरान की कोशिश थी कि वो इजरायल पर अपना परमाणु बम फोड़े लेकिन उससे पहले इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान के न्यूक्लियर अड्डों के साथ-साथ खलीफा के परमाणु बम वाले ख्याली गुब्बारे को फोड़ दिया. इसलिये अब ईरान के पास परमाणु बम के बजाय सिर्फ डर्टी बम फोड़ने का विकल्प बच गया है. यानी जवाबी हमले में ईरान इजरायल पर डर्टी बम फेंक सकता है. वैसे ये बम तबाही के मामले में मिनी परमाणु बम जैसे ही हैं.
आसान भाषा में कहें तो ये एक ऐसा पारंपरिक बम होता है जिसमें रेडियोएक्टिव मैटेरियल को डायनामाइट या दूसरे किसी विस्फोटक के साथ रखकर धमाका किया जाता है. इसमें ब्लास्ट से ज्यादा नुकसान नहीं होता लेकिन विस्फोट के साथ रेडियेशन का जहर हवा में फैल जाता है और नुकसान से ज्यादा लोगों में डर फैलता है. किसी मिसाइल या फाइटर जेट की मदद से डर्टी बम को एक बड़े शहर या इलाके पर गिराया जा सकता है. अगर ये धमाका इजरायल की राजधानी यरूशलम में हो तो शुरुआती 24 घंटों में वहां के करीब 10 लाख लोगों में लगभग 1 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित होंगे. यानी हर 10 में से एक व्यक्ति पर डर्टी बम का असर होगा. हालांकि ये संभावित आंकड़े हैं हकीकत में नुकसान इससे कहीं ज्यादा हो सकता है.
ऐसे धमाके के बाद रेडियोएक्टिव Materials की वजह से शहर की हवा, मिट्टी और पानी में भी रेडियेशन फैल जाएगा. पूरा इलाका इतना प्रदूषित हो जाएगा कि वहां अगले कई वर्षों या दशकों तक इंसानों का रहना मुश्किल होगा. अगर कोई इंसान ऐसे रेडियेशन के संपर्क में आयेगा तो उसे कैंसर सहित दूसरी गंभीर बीमारियों के होने का खतरा बना रहेगा. यानी ये बम जितना शरीर को नहीं मारता. उससे कहीं ज्यादा दिमाग में डर फैलाता है. ऐसा रेडिएशन फैलने के बाद उस इलाके की सफाई करने में वर्षों का समय लग सकता है जिसपर करोड़ों-अरबों रुपये का खर्च भी होगा.अगर ईरान ने कोई डर्टी बम गिराया तो मारने वाला नहीं बल्कि डराने वाला विस्फोट होगा.
इस समय परमाणु बम भले ही दुनिया का सबसे ताकतवर हथियार है लेकिन डर्टी बम भी उससे कुछ कम नहीं है. आप ये जानते होंगे कि दुनिया में अबतक सिर्फ दो बार परमाणु बम से हमला किया गया है. वर्ष 1945 में अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहर पर न्यूक्लियर अटैक किया था. हालांकि अबतक दुनिया के किसी भी देश ने सफलतापूर्वक डर्टी बम का इस्तेमाल नहीं किया है. लेकिन ईरान का मामला जरा दूजी किस्म का है. ये एक ऐसा देश है जो वर्षों से परमाणु बम बनाने के लिये यूरेनियम को प्रोसेस कर रहा है. अपने बम को बनाने की तैयारी कर रहा है.
यूएन की एक एजेंसी से आई रिपोर्ट के मुताबिक पिछले महीने तक ईरान के पास करीब 408 किलोग्राम यूरेनियम मौजूद था. जिसकी मदद से 9 परमाणु बम बनाये जा सकते हैं. तो क्या ईरान इस यूरेनियम का इस्तेमाल डर्टी बम बनाने के लिये करेगा? मिलिट्री एक्सपर्ट्स का दावा है कि यूरेनियम से डर्टी बम बनाना मुश्किल तो है लेकिन नामुमकिन नहीं. यानी ईरान के पास डर्टी बम बनाने का कच्चा माल मौजूद है. पर ईरान की चिंता ये है कि ऐसा कोई बम तैयार होने से पहले एक के बाद एक उसके मिलिट्री अड्डे बर्बाद हो रहे हैं. आशंका है कि ईरान की सरकार हताशा में आकर डर्टी बम का धमाका कर सकती है.
इस समय ईरान की सबसे बड़ी चिंता यही है कि क्या उसकी मिसाइलें इजरायल तक पहुंच पाएंगी. ये सवाल इसलिये उठ रहे हैं क्योंकि इजरायल का डिफेंस सिस्टम बहुत ताकतवर है. इससे पहले भी जब ईरान ने हमले किये तो ज्यादातर मिसाइलों को इजरायल ने हवा में ही नष्ट कर दिया था. हालांकि ये काम इजरायल अकेला नहीं कर रहा है..बल्कि इसमें उसे अपने दोस्तों के साथ सुपरपावर अमेरिका के हथियार, रडार और सैटेलाइट्स की मदद भी मिल रही है.
अमेरिकी मीडिया का दावा है कि इजरायली वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने पो-पोय मिसाइलों से ईरान के राडार पर सफल हमला किया है. इजरायल ने खुद ही इस मिसाइल को डेवलप किया है और ये आसमान से जमीन पर सटीक हमला करती है. ये मिसाइल किसी बंकर, एयरबेस, कमांड सेंटर या फिर रडार को ध्वस्त कर सकती है. जैसा कि आप अपनी स्क्रीन पर देख रहे हैं. बताया गया है कि भारतीय वायुसेना ने भी इस मिसाइल की मदद से पाकिस्तान के सुक्कुर में एक रडार को नष्ट किया था. यानी भारत और इजरायल के हमले में समानता दिख रही है.
जिस तरह से पिछले महीने भारतीय हवाई हमले के दौरान पाकिस्तान का चाइनीज एयर डिफेंस सिस्टम गहरी नींद में था. वो भारतीय मिसाइलों को रोक नहीं पाया था ठीक इसी तरह जब इजरायल ने ईरान पर हमला किया तो ईरान का एयर डिफेंस सिस्टम भी उसका मुकाबला नहीं कर पाया और दोनों हमलों का एक चाइनीज कनेक्शन भी है..पाकिस्तान की तरह ईरान में भी चीन की हार हुई है. अमेरिकी मीडिया का दावा है कि चीन ने हाल ही में ईरान को मिसाइलें बनाने के लिये इतना ज्यादा मैटेरियल भेजा है. जिससे 800 मिसाइलें बनाई जा सकती हैं और यही मिसाइलें इजरायल पर हमला नहीं कर पाई या उसका हमला रोक नहीं पाई. यानी कि आप कह सकते हैं कि पिछले करीब 1 महीने में चीन के हथियार जंग के मैदान में दो बार पिटे हैं.
| तबाही का खतरा..खलीफा 'डर्टी बम' फोड़ेगा? दुनिया को एटम बम नहीं 'डर्टी बम' की टेंशन! @RahulSinhaTV pic.twitter.com/moWSaJA9zz
— Zee News (@ZeeNews) June 13, 2025
पहली बार पाकिस्तान में और दूसरी बार ईरान-इजरायल जंग के दौरान अब आप सोच रहे होंगे कि ईरान और इजरायल के बीच कौन ज्यादा ताकतवर है? ताकत का संतुलन किसकी तरफ झुका हुआ है? तो इसका जवाब ध्यान से सुनिये.नहम आंकड़ों की मदद से आपको समझाएंगे.
इजरायल के पास 1 लाख 70 हजार सैनिक हैं और ईरान के पास इससे करीब तीन गुना यानी 6 लाख से ज्यादा की सेना है। यानी ईरान की सेना बड़ी है लेकिन इजरायल की आर्मी स्मार्ट है. इजरायल के पास 612 लड़ाकू विमान हैं, जो आधुनिक और पांचवीं पीढ़ी के लेटेस्ट फाइटर जेट्स हैं जबकि ईरान के पास सिर्फ 551 लड़ाकू विमान हैं और इनमें से ज्यादातर पुराने हैं.
नौसेना की बात करें तो आंकड़ों में ईरान आगे है पर इंटेलीजेंस में इजरायल के पास लीड है. दोनों देशों के पास लंबी दूरी की मिसाइलें हैं..लेकिन जब ईरान मिसाइलों की बारिश करता है तो इजरायल हर 10 में से 9 मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर देता है. ड्रोन की बात करें तो ईरान के पास बड़ी संख्या मौजूद है..लेकिन इजरायल के ड्रोन आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से लैस और खतरनाक हैं. साथ ही कई युद्धों में ये सटीक हमला कर चुके हैं. कुल मिलाकर हथियारों के मामले में ईरान के पास नंबर्स हैं जबकि इजरायल के पास ताकत और अपना लक्ष्य भेदने की क्षमता है. हमने आपको थोड़ी देर पहले बताया कि इजरायल ने ऑपरेशन RISING LION लॉन्च करके ईरान पर हमला किया. अब इस नाम का इजरायल से ऐतिहासिक कनेक्शन समझिये.
RISING LION का मतलब होता है उगता शेर असल में शेर प्राचीन काल से ही इजरायल के यहूदियों की सभ्यता और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है. इजरायल की एक प्राचीन जनजाति 'यहूदा' का प्रतीक चिन्ह भी शेर है. वर्ष 1950 में इजरायल ने शेर को अपने पवित्र शहर यरूशलेम का प्रतीक बनाया. इजरायल में शेर को गौरव, शक्ति और साहस से जोड़कर देखा जाता है. यहूदियों के धार्मिक इतिहास, जनजाति और राष्ट्रवादी भावना से जुड़े शेर के नाम पर ऑपरेशन का नामकरण किये जाने का एक मतलब ये भी है कि इजरायल एक बार फिर से शेर की तरह उठ खड़ा हो गया है और अपने दुश्मनों पर घातक हमले कर रहा है.
हमने आपको थोड़ी देर पहले बताया कि इजरायल ने ऑपरेशन RISING LION लॉन्च करके ईरान पर हमला किया. अब इस नाम का इजरायल से ऐतिहासिक कनेक्शन समझिये. RISING LION का मतलब होता है जागता शेर असल में शेर प्राचीन काल से ही इजरायल के यहूदियों की सभ्यता और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है. इजरायल की एक प्राचीन जनजाति 'यहूदा' का प्रतीक चिन्ह भी शेर है. वर्ष 1950 में इजरायल ने शेर को अपने पवित्र शहर यरूशलेम का प्रतीक बनाया. इजरायल में शेर को गौरव, शक्ति और साहस से जोड़कर देखा जाता है. यहूदियों के धार्मिक इतिहास, जनजाति और राष्ट्रवादी भावना से जुड़े शेर के नाम पर ऑपरेशन का नामकरण किये जाने का एक मतलब ये भी है कि इजरायल एक बार फिर से शेर की तरह उठ खड़ा हो गया है और अपने दुश्मनों पर घातक हमले कर रहा है.