DNA: खतरे की घंटी! हूती और हिजबुल्लाह को ईरान का समर्थन; क्यों किया जंग का एलान?

5 hours ago

DNA Anaysis: ईरान इस वक्त अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है जिसे जीतने के लिए उसे अपने सहयोगियों की मदद चाहिए. दुनिया में ईरान को सहयोग के नाम पर अब तक दूसरे मुल्कों ने सिर्फ आश्वासन दिए हैं  लेकिन ईरान के लिए अब राहत की खबर यमन और लेबनान से आई है. जहां पर उसके प्रॉक्सी संगठन हूती और हिजबुल्लाह ने खुलकर ईरान के सम​र्थन और इज़रायल के खिलाफ युद्ध का एलान कर दिया है. हिजबुल्लाह ने बयान जारी करके इज़रायल को धमकाया है, हिजबुल्लाह ने कहा हम ईरान के साथ पूरी ताकत से खड़े हैं और वही करेंगे जो हमें सही लगेगा. वहीं हूती ने भी ईरान के समर्थन में इज़रायल पर हमले का एलान ​कर दिया. 

आज आपको ईरान के दोनों प्रॉक्सी संगठनों के युद्ध में उतरने का मतलब भी समझना चाहिए, आपको ये भी जानना चाहिए हूती और हिजबुल्लाह इज़रायल के खिलाफ ईरान की मदद कैसे कर सकते हैं. हूती और​ हिजबुल्लाह के मैदान में उतरने से इज़रायल के खिलाफ मल्टी-फ्रंट वॉर शुरू हो जाएगी, जिसमें हिजबुल्लाह ज्यादा घातक साबित हो सकता है. लेबनान में मजबूत पकड़ रखने वाले शिया मुसलमानों के संगठन हिजबुल्लाह के पास 1 लाख 50 हजार से अधिक रॉकेट मौजूद हैं.

जो इजरायल के बड़े शहर तेल अवीव और हाइफा तक हमला कर सकते हैं. लेबनान की सीमा इज़रायल के साथ लगी हुई है. इससे इज़रायल पर ज़मीनी हमले का खतरा बढ़ सकता है, यानि जरूरत पड़ी तो हिजबुल्लाह के आतंकी इज़रायल पर सीधा अटैक कर सकते हैं. अगर हिजबुल्लाह इस युद्ध में एक्टिव हुआ तो उत्तरी सीमा पर इज़रायल को उलझा देगा. वहीं हूती विद्रोही भी पूरी दुनिया के लिए एक पहेली बने हुए हैं. बड़े बड़े देश भी इनसे निपट नहीं पा रहे अमेरिका को भी हूती से समझौता करना पड़ा था. क्योंकि हूती यमन से क्रूज़ मिसाइल और ड्रोन हमले मे माहिर हैं. जिसका निशाना मिडिल ईस्ट के कई देश बन चुके हैं.

हूती के पास कम लागत वाले आत्मघाती ड्रोन का बड़ा जखीरा मौजूद है जो उसे ईरान से ही मिला है. हूती अगर युद्ध में एक्टिव हुए तो दक्षिणी मोर्चे से इज़रायल पर बड़ा हमला संभव है. जिससे इज़रायल के लिए रेड सी और नेगेव इलाके में खतरा बढ़ जाएगा. हूती इज़रायल की व्यापारिक आपूर्ति लाइन भी बाधित कर सकते हैं. अगर हूती और हिजबुल्लाह एक साथ हमला करते हैं तो इजरायल की सेना दो भागों में बंट जाएगी और ईरान के हमलों का जवाब वो पूरी ताकत से नहीं दे पाएगा . इनके हमलों से अरब और मुस्लिम जनता में इज़रायल विरोधी भावनाएं और भड़क सकती हैं जिससे इज़रायल के साथ समझौते करने वाले अरब देशों पर दबाव भी बढ़ेगा.

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