Donald Trump China Tarrif: शांति का नोबेल नहीं मिलने के बाद ट्रंप ने पहला प्रतिशोध आखिर चीन से ही क्यों लिया है? क्या ट्रंप को नोबेल नहीं मिलने की वजह चीन है? क्या इस टैरिफ वॉर का असर भारत के शेयर बाजारों पर भी पड़ेगा? जब चीन सीधे नोबेल समिति से नहीं जुड़ाऔर आज से पहले कभी नोबेल पुरस्कारों में चीन के अड़ंगे की खबर भी नहीं आई तो फिर ट्रंप के खिलाफ चीन ऐसी चाल क्यों चलेगा?
ट्रंप को नोबेल नहीं मिलने का चीन पर टैरिफ लगाने से क्या संबंध हो सकता है. ये हम आपको बताएंगे लेकिन पहले जानिए ट्रंप ने चीन पर टैरिफ को लेकर कौन कौन से बड़े एलान किए.
चीन पर भारी-भरकम टैरिफ
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर 1 नवंबर से 100 प्रतिशत का भारी भरकम टैरिफ लगाने की घोषणा की है. यह टैरिफ चीन पर वर्तमान में लागू किसी भी दूसरे टैरिफ से अतिरिक्त होगा. इसके अलावा ट्रंप ने चीन को सभी महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का एलान भी किया है.
डॉनल्ड ट्रंप ने शी जिनपिंग के साथ होने वाली अपनी मुलाकात को भी कैंसिल कर दिया है. कुछ दिन पहले उन्होंने बहुत खुश होकर ये मुलाकात तय होने की जानकारी दी थी. लेकिन अब डॉनल्ड ट्रंप शी जिनपिंग से मिलना भी नहीं चाहते.
ट्रंप निकाल रहे गुस्सा
यानी जिस वक्त डॉनल्ड ट्रंप तमाम कोशिशों के बावजूद नोबेल पुरस्कार नहीं मिलने का मातम मना रहे थे. अपने गुस्से और खीज को कम करने के तरीके तलाश कर रहे थे. दुनिया को इस बात की जानकारी दे रहे थे कि नोबेल पुरस्कर जीतने वाली मारिया कोरिना मचाडो ने उनको फोन किया है और अपना नोबेल पुरस्कार ट्रंप को ही समर्पित कर दिया है. उसी वक्त अचानक उन्होंने अपने आफिस में बैठे बैठे चीन पर प्रतिबंध लगाने का एलान कर दिया. उस फाइल पर हस्ताक्षर कर दिया, जिसमें चीन पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की बात कही गई .
ट्रंप ने बताया है कि चीन पर पहले से लगे टैरिफ के अतिरिक्त 100 प्रतिशत टैरिफ लगेगा. यानी चीन पर कुल टैरिफ अब 130 प्रतिशत हो जाएगा. लेकिन क्या इसकी वजह नोबेल पुरस्कार नहीं मिलना है. ट्रंप ने सीधे सीधे चीन पर टैरिफ को नोबेल से नहीं जोड़ा है. ट्रंप ने चीन पर टैरिफ लगाने की दूसरी बड़ी वजह बताई है.
ट्रंप ने टैरिफ लगाने के बाद क्या बोला?
चीन से नाराजगी वाले ट्रंप के पूरे संदेश में क्या है, चलिए आपको बताते हैं. ट्रंप ने कहा है, 'चीन का बड़े पैमाने पर रेयर अर्थ उत्पाद पर निर्यात नियंत्रण का फैसला बिना किसी अपवाद के सभी देशों को प्रभावित करता है. अभी-अभी पता चला है कि चीन ने व्यापार के मामले में बेहद आक्रामक रुख अपनाया है और दुनिया को एक बेहद शत्रुतापूर्ण पत्र भेजा है, जिसमें कहा गया है कि वे 1 नवम्बर 2025 से अपने लगभग हर उत्पाद और कुछ ऐसे उत्पादों, जो उन्होंने बनाए ही नहीं है, पर बड़े पैमाने पर निर्यात नियंत्रण लागू करने जा रहे हैं. चीन का यह फैसला बिना किसी अपवाद के सभी देशों को प्रभावित करता है और यह योजना उन्होंने वर्षों पहले बना ली थी.
ट्रंप ने कहा है चीन रेयर अर्थ के निर्यात को रोककर दुनिया के देशों का अपमान कर रहा है. ट्रंप के इस बयान को पढ़कर आप समझ गए होंगे. ट्रंप कितने गुस्से मे हैं. यानी पहले नाराजगी नोबेल को लेकर थी और जिनपिंग के एलान ने गुस्से की आग में घी डाल दिया, जिससे ट्रंप का गुस्सा बेकाबू हो गया. वैसे ट्रंप को इसलिए भी गुस्सा आ रहा है क्योंकि चीन रेयल अर्थ मेटल को अब व्यापारिक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है.
चीन से रेयर अर्थ मेटल खरीदता है यूएस
रेयर अर्थ मिनरल्स की वैश्विक आपूर्ति का लगभग 70% चीन से आता है. ये खनिज ऑटोमोबाइल, रक्षा और उच्च तकनीकी वाले उद्योगों के लिए बहुत जरूरी हैं और अमेरिका भी चीन से रेयर अर्थ मेटल खरीदता है. लेकिन अब चीन इसके निर्यात पर रोक लगा रहा है तो अमेरिका के कई उद्योगों की टेंशन बढ़ जाएगी. लेकिन जिस तरह ट्रंप ने चीन पर 130 प्रतिशत टैरिफ लगाकर नई आर्थिक जंग शुरू की है. इसका असर भी पूरी दुनिया पर पड़ेगा.
ट्रंप के ऐलान के साथ दिखाई देना भी शुरू हो गया है. ट्रंप के चीन पर टैरिफ लगाने के एलान के बाद चीन ने जवाब देने की धमकी दी है, जिसका सीधा असर अमेरिकी शेयर बाजारों में शुक्रवार को भारी गिरावट के तौर पर दिखाई दिया. अमेरिकी इकोनॉमी की रीढ़ कहे जाने वाले टेक शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट देखी गई और अमेरिकी शेयर बाजार को 1.5 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है. यानि अमेरिका को एक दिन में इतना नुकसान हो गया जितनी दुनिया के कई देशों की इकोनॉमी नहीं है. क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में भी 19 बिलियन डॉलर की लिक्विडेशन हुई है, जो अब तक का सबसे बड़ा सिंगल-डे आंकड़ा है. अब दुनिया भर के निवेशक घबराहट के साथ सोमवार का इंतजार कर रहे हैं.
घबराए हुए हैं निवेशक
क्योंकि अमेरिकी बाजार में बड़े उलटफेर का सीधा असर भारत समेत दुनिया भर के बाजारों पर पड़ता है इसलिए अमेरिकी बाजार के हाल के बारे में भी जानना चाहिए. शुक्रवार को बाजार बंद होने पर नैस्डैक साढ़े तीन प्रतिशत से ज्यादा गिरकर 22,204 के स्तर पर बंद हुआ. डाउ जोंस में करीब दो प्रतिशत की गिरावट रही. ये 45,480 के स्तर पर आ गया. वहीं, S&P 500 में भी तीन प्रतिशत के करीब की गिरावट आई, ये 6,553 के स्तर पर बंद हुआ. इसके लगभग हर सात में से छह शेयर गिर गए.
जिन सेक्टर्स पर ट्रंप के नए टैरिफ एलान का सबसे ज्यादा असर हुआ है वो व्यापारिक तनाव के प्रति संवेदनशील टेक्नोलॉजी कंपनियां हैं. सेमीकंडक्टर और एआई से जुड़ी कंपनियां खास तौर से प्रभावित हुई हैं. एपल-एडविडिया के शेयर 5 प्रतिशत तक गिर गए हैं. इनके अलावा वित्तीय शेयरों में भी गिरावट आई है. उपभोक्ता-केंद्रित कंपनियों की बात करें तो यहां मिला-जुला असर दिखाई दिया है. खुदरा और उपभोक्ता वस्तुओं की कंपनियों में भी बिकवाली का दबाव देखा गया। ऊर्जा और औद्योगिक क्षेत्रों को भी इसका असर झेलना पड़ा.
नाजुक है मार्केट सेंटिमेंट
हालांकि अमेरिका की अलग से बात करें तो वहां सरकारी शटडाउन के कारण भी बाजार का सेंटिमेंट नाजुक बना हुआ है. अमेरिका और चीन दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं. दुनिया पहले से ही मुद्रास्फीति, यूक्रेन युद्ध और मध्य पूर्व संकट से जूझ रही है. यह घटना वैश्विक व्यापार को हिला सकती है, क्योंकि चीन दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक है. 100 पर्सेंट टैरिफ से चीनी निर्यात लगभग रुक सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि इससे सप्लाई चेन डिस्टर्ब हो सकती है और कीमतें बढ़ सकती हैं. दुनिया की इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो पार्ट्स, रिन्यूएबल एनर्जी से जुड़ी इंडस्ट्री बुरी तरह चीन पर निर्भर है. इन उद्योगों को 90 फीसदी रेयर अर्थ मटेरियल्स चीन से मिलता है.
टैरिफ पूरी तरह लागू हुआ तो क्या होगा?
1 नवंबर से अगर यह टैरिफ पूरी तरह लागू होता है, तो स्मार्टफोन, लैपटॉप और EV बैटरी जैसे उत्पादों की कीमतों में 20 से 40 प्रतिशत तक बढ़ोतरी संभव है, हालांकि यह एक आर्थिक अनुमान है. वास्तविक प्रभाव अन्य फैक्टर्स पर भी निर्भर करेगा, जहां तक भारत की बात है तो यहां सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव दिखाई दे सकते हैं
दुनिया की कंपनियां चीन के विकल्प के तौर पर अब भारत की ओर रुख कर सकती है. अमेरिका और सहयोगी देश पहले से ही चीन पर निर्भरता कम करने पर विचार कर रहे थे. अब रेयर अर्थ पर चीन के फैसले के बाद सप्लाई चेन चीन से भारत शिफ्ट हो सकता है. लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से इस टैरिफ वॉर से जो वैश्विक मंदी आएगी, उससे भारत का निर्यात प्रभावित हो सकता है. एक नुकसान ये भी होगा कि चीन से भारत आने वाला माल महंगा हो जाएगा, जो भारत की उत्पादन लागत बढ़ा देगा.
भारत को कहां होगा फायदा?
अब समझिए भारत को और कहां फायदा हो सकता है. 2025 में भारत ने अपने कुल निर्यात का 18 पर्सेंट सिर्फ अमेरिका को निर्यात किया है. चीन पर 130 प्रतिशत टैरिफ लगने के बाद भारत का ये निर्यात 10 से 15 पर्सेंट बढ़ सकता है. हालांकि भारत को EV और सेमीकंडक्टर में रेयर अर्थ मेटेरियल्स की कमी का सामना करना पड़ सकता है. यानी भारत के लिये ये ट्रेड वॉर अच्छी और बुरी दोनों खबरें लेकर आई है.
भारत इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और रक्षा उद्योग के लिए रेयर-अर्थ आधारित पुर्जों का आयात करता है. वैसे चीन की ओर से भारत पर यह दबाव आ सकता है कि चीन के रेयर अर्थ मैटेरियल्स से बने प्रोडक्ट्स अमेरिका को निर्यात न करे. इससे भारत का निर्यात प्रभावित हो सकता है.
कुल मिलाकर ट्रंप और जिनपिंग की इस टैरिफ वॉर से दुनिया भर में उथल पुथल मचनी तय है. यानी यहां पर कह सकते हैं नोबेल नहीं मिलने के सिर्फ एक दिन बाद ट्रंप ने वो फैसला कर डाला, जिसका खामियाजा पूरी दुनिया को भुगतना होगा.