Last Updated:November 19, 2025, 13:03 IST
BJP Leader and Deputy Leader: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में बीजेपी की प्रचंड जीत के बाद एक बार फिर से सम्राट चौधरी को विधायक दल का नेता और विजय कुमार सिन्हा को उपनेता चुना गया है. दोनों को क्यों दोबारा से उपमुख्यमंत्री बनाया जा रहा है? इस निर्णय के पीछे गृह मंत्री अमित शाह की क्या सोची-समझी रणनीति काम की?
क्यों चुने गए सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा बीजेपी विधायक दल के नेता और उपनेता?पटना. बिहार चुनाव 2025 में बीजेपी की जीत के बाद सम्राट चौधरी विधायक दल के नेता और विजय कुमार सिन्हा उपनेता चुने गए हैं. एक बार फिर से दोनों का नीतीश सरकार में डिप्टी सीएम बनने का रास्ता साफ हो गया है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर ईबीसी और राजपूत विधायकों की इतनी बड़ी संख्या में जीतकर आने के बाद भी कुशवाहा जाति से आने वाले सम्राट चौधरी और भूमिहार जाति से आने वाले विजय सिन्हा पर बीजेपी ने क्यों दांव खेला? बीजेपी ने क्यों अपनी पुरानी परंपरा को बिहार चुनाव में जबरदस्त जीत के बाद बदल दिया? इस फैसले के पीछे बीजेपी के किस नेता का दिमाग चला? क्या बीजेपी के चाणक्य औऱ देश देश के गृह मंत्री अमित शाह ने अहम रोल अदा किया या फिर बिहार की जटिल जातिगत समीकरण के चक्कर में ये फैसला लिया गया?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में बीजेपी को मिली बड़ी जीत के बाद पटना में हुई पार्टी विधायक दल की बैठक में सम्राट चौधरी को नेता और विजय कुमार सिन्हा को उपनेता चुना गया है. इस फैसले के साथ ही दोनों नेताओं के दोबारा उपमुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है. बीजेपी का यह फैसला न केवल पार्टी के आंतरिक संतुलन को दर्शाता है, बल्कि इसके पीछे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की एक गहरी और दूरगामी रणनीति काम कर रही है, जिसका लक्ष्य 2029 के चुनाव तक बिहार में पार्टी के आधार को मजबूत करना है.
किसका चला दिमाग? अमित शाह की रणनीतिक सोच
सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को बरकरार रखने का निर्णय पूरी तरह से बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व, खासकर अमित शाह की रणनीति का परिणाम माना जा रहा है. इसके पीछे का तर्क यह है कि निरंतरता बनाए रखना: सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा ने विपक्ष में रहते हुए और फिर एनडीए की सरकार में डिप्टी सीएम के रूप में पार्टी के लिए सफलतापूर्वक काम किया है. उनकी जोड़ी ने सफलतापूर्वक एनडीए को जीत दिलाई है. ऐसे में अमित शाह ने ‘विनिंग कॉम्बिनेशन’ को बदलने का जोखिम नहीं लिया, ताकि संगठन में किसी तरह की अस्थिरता पैदा न हो
जातिगत संतुलन का मास्टरस्ट्रोक
सम्राट चौधरी कुशवाहा समुदाय ओबीसी से आते हैं, जबकि विजय सिन्हा भूमिहार समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं. यह चयन बीजेपी के ‘सवर्ण प्लस ओबीसी’ फार्मूले को मजबूत करता है, जो पार्टी को सिर्फ एक जाति तक सीमित होने से रोकता है. बिहार में ईबीसी वर्ग को साधना बीजेपी की रणनीति का हिस्सा है, लेकिन उपमुख्यमंत्री पद पर इस बार भी ईबीसी के किसी नेता को सीधे तौर पर प्रमुखता नहीं मिली है. इसके पीछे भी ठोस राजनीतिक कारण हैं.
कोइरी-भूमिहार की जोड़ी होगी हिट?
सम्राट चौधरी को उपमुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने ने एक मजबूत ओबीसी नेता को आगे किया है. कुशवाहा जाति बिहार में यादवों के बाद सबसे बड़ी ओबीसी जातियों में से एक है, और यह वर्ग पारंपरिक रूप से नीतीश कुमार के वोटबैंक का हिस्सा रहा है. सम्राट को आगे रखकर बीजेपी इस वोटबैंक को स्थायी रूप से अपने साथ जोड़ना चाहती है. इससे EBC के बीच भी पार्टी का संदेश पहुंचता है कि ओबीसी वर्ग को उच्च प्रतिनिधित्व मिल रहा है.
वहीं, विजय सिन्हा को बनाए रखकर पार्टी ने अपने पारंपरिक सवर्ण वोटबैंक भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण को स्पष्ट संदेश दिया है कि उनका प्रतिनिधित्व शीर्ष पर बरकरार है. भूमिहार समुदाय ने बीजेपी के लिए हमेशा कठिन समय में भी मजबूत वोटिंग की है. दोनों नेताओं की संगठन पर मजबूत पकड़ है, जो अगले 5 साल के लिए एनडीए सरकार के लिए स्थिरता सुनिश्चित करेगी.
रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...
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First Published :
November 19, 2025, 13:03 IST

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