स्पेस डॉकिंग, बाहुबली रॉकेट की 100% सक्सेस… 2025 में इसरो के टॉप 10 कीर्तिमान

1 hour ago

नई दिल्ली: साल 2025 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और पूरे भारत के लिए उपलब्धियों का एक ऐसा साल साबित हुआ है, जिसे इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा. यह वह साल था जब भारत ने न केवल सपने देखे, बल्कि उन्हें हकीकत में बदल दिया. श्रीहरिकोटा के लॉन्च पैड से लेकर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) तक, हर जगह तिरंगा लहराया. कल ही इसरो के एलवीएम3-एम6 रॉकेट ने अमेरिकी कंपनी एएसटी स्पेसमोबाइल के सबसे भारी उपग्रह ‘ब्लू बर्ड’ को लॉन्च कर साल का शानदार समापन किया. इस एक लॉन्च ने पूरी दुनिया को बता दिया कि भारी उपग्रहों के बाजार में अब भारत का राज है. आइए नजर डालते हैं 2025 की उन ऐतिहासिक घटनाओं पर जिन्होंने भारत को अंतरिक्ष का सुपरपावर बना दिया.

1. स्पेस डॉकिंग

एलीट क्लब में भारत की धमाकेदार एंट्री साल की शुरुआत ही एक धमाके के साथ हुई. भारत ने अंतरिक्ष में वह कर दिखाया जो अब तक सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन कर पाए थे. हम बात कर रहे हैं ‘स्पेस डॉकिंग’ (Space Docking) की. यह तकनीक भविष्य के स्पेस स्टेशन और चंद्र मिशन की जान है.

30 दिसंबर 2024 को लॉन्च हुए ‘स्पैडेक्स मिशन’ (Spadex Mission) ने 16 जनवरी 2025 को इतिहास रच दिया. इस मिशन के तहत दो उपग्रहों (SDX-01 और SDX-02) को अंतरिक्ष में हजारों किलोमीटर की रफ्तार पर उड़ते हुए आपस में जोड़ा गया. यह सुई में धागा डालने जैसा मुश्किल काम था, जिसे इसरो ने पहली बार में ही कर दिखाया. इसके बाद दोनों उपग्रहों ने एक यूनिट की तरह काम किया. भारत अब दुनिया का चौथा देश बन गया है जिसके पास यह तकनीक है.

2. शुभांशु शुक्ला

अंतरिक्ष में भारत का नया चेहरा 2025 वह साल भी बना जब लंबे अर्से बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में पहुंचा. जून 2025 में ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने एक्सिऑम-4 (Axiom-4) मिशन के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए उड़ान भरी. वह 18 दिनों तक वहां रहे और कई महत्वपूर्ण प्रयोग किए.

राकेश शर्मा के बाद यह पल हर भारतीय के लिए गर्व का विषय था. बैकअप के तौर पर कैप्टन प्रसांत बालकृष्णन नायर भी तैयार थे. यह मिशन भारत के अपने मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ के लिए एक नेट-प्रैक्टिस जैसा था. वहां से मिले अनुभव का इस्तेमाल अब भारत अपने यात्रियों को स्पेस में भेजने के लिए करेगा.

भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला (AI Image)

3. बाहुबली रॉकेट LVM3

इसरो का सबसे भरोसेमंद घोड़ा इसरो का सबसे भारी रॉकेट LVM3 (जिसे पहले GSLV Mk-III कहा जाता था) 2025 में असली ‘गेम चेंजर’ साबित हुआ. इसने साबित कर दिया कि वह दुनिया के किसी भी भारी सैटेलाइट को ढोने में सक्षम है.

4. ब्लू बर्ड लॉन्च

24 दिसंबर 2025 को LVM3-एम6 ने अमेरिकी कंपनी के 6,100 किलोग्राम वजनी ‘ब्लू बर्ड ब्लॉक-2’ सैटेलाइट को लो अर्थ ऑर्बिट में पहुंचाकर रिकॉर्ड बना दिया. यह अब तक का सबसे बड़ा कमर्शियल कम्युनिकेशन सैटेलाइट है.

5. CMS-03

इससे पहले नवंबर में इसी रॉकेट ने भारत के सबसे भारी संचार उपग्रह CMS-03 (4,400 किलो) को लॉन्च किया था.

6. 100% सक्सेस रेट

LVM3 ने लगातार 8-9 सफल मिशन पूरे किए हैं. इस रॉकेट की सफलता ने ग्लोबल कमर्शियल मार्केट में भारत की साख मजबूत की है. अब दुनिया भर की कंपनियां अपने भारी सैटेलाइट्स के लिए एलन मस्क की स्पेस-एक्स के अलावा इसरो को एक मजबूत विकल्प मान रही हैं.

7. गगनयान

2027 में इतिहास रचने की तैयारी साल 2025 को इसरो ने आधिकारिक तौर पर ‘गगनयान ईयर’ घोषित किया था और यह सही भी साबित हुआ. भारत के पहले मानव मिशन का 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है. इस साल कई क्रिटिकल टेस्ट किए गए. पैराशूट की टेस्टिंग हो या क्रू मॉड्यूल का परीक्षण, सब कुछ सटीक रहा.

क्रायोजेनिक इंजन (CE-20) को मानव मिशन के लिए सर्टिफाई कर दिया गया है. अब लक्ष्य 2027 में भारतीयों को अपने रॉकेट से स्पेस में भेजने का है. इससे पहले 2025-26 में अनक्रूड (बिना इंसान के) टेस्ट फ्लाइट्स भेजी जाएंगी, जो अंतिम मुहर लगाएंगी.

8. निसार और 100वां लॉन्च

वैश्विक सहयोग और आत्मनिर्भरता जुलाई 2025 में नासा और इसरो का संयुक्त मिशन ‘निसार’ (NISAR) लॉन्च किया गया. यह दुनिया का सबसे एडवांस रडार सैटेलाइट है जो दिन-रात, बारिश-बादल हर मौसम में धरती की साफ तस्वीरें ले सकता है. यह जलवायु परिवर्तन और आपदाओं से निपटने में क्रांति लाएगा.

वहीं, 29 जनवरी 2025 को श्रीहरिकोटा से 100वीं लॉन्चिंग का जश्न मनाया गया. उस दिन NVS-02 सैटेलाइट लॉन्च हुआ जिसने भारत के अपने जीपीएस सिस्टम ‘नाविक’ (NavIC) को और मजबूत किया. अब भारत नेविगेशन के लिए भी विदेशी सैटेलाइट्स पर निर्भर नहीं है.

9. आदित्य-L1 और प्राइवेट सेक्टर का उदय

सूर्य पर नजर रख रहे भारत के पहले मिशन ‘आदित्य-L1’ ने भी 2025 में कई राज खोले. इसरो ने इस मिशन का डेटा पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों के लिए जारी किया, जिससे भारत की वैज्ञानिक क्षमता का लोहा माना गया.

10. अंतरिक्ष अब सिर्फ सरकार का खेल नहीं

2025 में भारत में 300 से ज्यादा स्पेस स्टार्टअप्स सक्रिय हुए. सरकार की 100% एफडीआई पॉलिसी और 1000 करोड़ के वेंचर फंड ने इस सेक्टर में जान फूंक दी है. स्काईरूट और अग्निकुल जैसी कंपनियां अब अपने रॉकेट बना रही हैं. लक्ष्य ग्लोबल स्पेस इकोनॉमी में भारत की हिस्सेदारी को 8-10% तक ले जाने का है.

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