Explainer: कितने काम के हैं इंडियन आर्मी के ये रोबोटिक डॉग?

4 days ago

Last Updated:January 26, 2025, 20:28 IST

गणतंत्र दिवस के मौके पर कलकत्ता में हुए परेड में खास तरह के रोबोटिक कुत्तों की एक टुकड़ी दिखाई दी. म्यूल नाम के ये रोबोटिक कुत्ते खास तौर से भारतीय सैनिकों की मदद के अलावा कई मामलों में उपयोगी साबित होंगे. ये र...और पढ़ें

 कितने काम के हैं इंडियन आर्मी के ये रोबोटिक डॉग?

म्यूल भारतीय सेना की बहुत सारी समस्याएं हल करने में मदद करेंगे. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

हाइलाइट्स

भारतीय सेना के रोबोटिक डॉग्स ने गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा लियाये रोबोटिक डॉग्स कठिन भूभागों में सेना की मदद के लिए डिज़ाइन किए गए हैंभारतीय सेना ने अब तक 100 रोबोटिक डॉग्स तैनात किए हैं

भारत के 76वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर कलकत्ता में हुए परेड में सैन्य ताकत के एक हिस्से की झलक देखने को मिली. इस एक चौंकाना वाला नजारा लोगे को तब देखने को मिला जब उन्होंने परेड के बीच कुछ कुत्ते जैसे ‘जीव’, कुछ जवानों से कदम ताल करते दिखे.  लेकिन जैसे ही वे  के पास के गुजरे और टीवी के एंकर ने उनके बारे में बताना शुरू किया, तब जाकर लोगों को समझ में आया कि ये कोई और नहीं भारतीय सेना के रोबोटिक डॉग्स, मल्टी यूटीलिटी लेगी इक्विपमेंट, (MULE) हैं.  आइए जानते हैं कि यह खास उपकरण क्या है और भारत के लिए कितने काम का  हो सकता है?

सबसे बड़ा उपयोग
म्यूल को खास सेना की मदद के लिए डिजाइन किया गया है. यह खास तरह का उपकरण डिजाइन किया गया है. जो ऐसी जगह पर काम कर सकता है, जहां मानवीय सैनिकों का काम करना मुश्किल होगा. इन रोबोट का सबसे बढ़िया इस्तेमाल हिमालय जैसे बहुत ही चुनौतीपूर्ण भूभागो में सेना की टुकड़ियों के लिए राशन, ईंधन, दवाएं, हथियार और अन्य जरूरी आपूर्ति कार्यों के लिए उपयोग में लाया जा सकता है.

खच्चर करते आ रहे थे ऐसे काम
दरअसल सेना में सामान ढोने का काम सदियों से ही चुनौतीपूर्ण रहा है. शुरू में यह काम खुद सैनिकों के ही जिम्मे होता था जिससे उनका काम बहुत ही मुश्किल हो जाता था. ऐसे में पर्वतीय इलाकों और खराब मौसम और जलवायु में यह काम परेशानी ज्यादा पैदा करता था. इसका एक हल खच्चर जैसे जानवरों ने बखूबी हल किया, जिन्हें अंग्रेजी में म्यूल कहते हैं.

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सेनाएं लंबे समय से सामान ढोने के लिए खच्चरों का इस्तेमाल करती आ रही हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)

खच्चर और रोबोट वाला म्यूल
रोचक बात ये है कि नए रोबोटिक डॉग का नाम भी इस तरह से रखा गया है कि उसका संक्षिप्त नाम म्यूल होता है. ये उपकरण खास तौर से इसलिए भी चर्चा में हैं कि चीन के पास पहले से ही इस तरह के रोबोटिक डॉग्स मौजूद हैं. ऐसे में इस तरह के रोबोट की जरूरत भी भारतीय सेना को थी. इतना ही नहीं खुद अमेरिकी सेना में भी इस तरह के कुत्ते नुमा उपकरण इस्तेमाल में लाए जाने लगे हैं.

खास तरह के हालात में ज्यादा काम के
भारतीय सेना का कहना है कि यह सीमा की सुरक्षा के अलावा, सम्पत्तियों की रक्षा, यहां तक कि रसायनिक- जैविक और परमाणु युद्ध को हालात में खास तौर से उपयोगी होगा, इसके अलावा  संजय नाम के रोबोट विस्फोटकों को  खोजने, खोजने के बाद उन्हें ठिकाने लगाने, इंटेलिजेंस और यहां तक कि केवल निगरानी जैसे कामों में इस्तेमाल किए जा सकते हैं.

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अभी तक भारतीय सेना में इस तरह के 100 MULE शामिल किए जा चुके हैं. (तस्वीर: ANI)

इंसानों जानवरों से ज्यादा कारगर क्यों?
इन रोबोटिक उपकरणों की खास बात यही है कि ना तो मानव सैनिकों या खच्चरों की तरह आसानी से चोटिल या घायल हो सकते हैं, ना ही बीमार पड़ सकते हैं. इसलिए ये -40 डिग्री सेल्सियल से लेकर 55 डिग्री सेल्सियस जैसे कठोर वातावरणों में भी उसी मुस्तैदी से काम कर सकते हैं जिसके लिए इन्हें डिजाइन किया गया है.

कठिन हालात में भी
इतना ही नहीं ये अपने साथ 15 किलो का सामान तक ढो सकते हैं. यहां ये खच्चरों के कमतर कहे जा सकते हैं. लेकिन यह भी इनके आकार को देखते हुए इनकी डिजाइन का हिस्सा ही है. ये भी खच्चर की तरह हर तरह के मौसम में काम करने के लिए तैयार किए गए हैं. ये खड़ी चढ़ाई, खड़ी सीढ़ियों सहित कठिन से कठिन भूभाग पर चढ़ सकते हैं और कठिन बाधाओं को भी पार कर सकते हैं.

स्वचलित भी कर सकते हैं काम
अधिकारियों का कहना है कि अभी तक भारतीय सेना ने कम से कम 100 ऐसे रोबोटिक कुत्ते तैनात किए जा चुके हैं. इन रोबोट्स को दिल्ली की एरोआर्क कंपनी ने विकसित किया है. 51 किलो के बार वाले ये रोबोट उपकरण एक बार में चार्ज होने के बाद  20 घंटे तक लगातार काम कर सकते हैं. इनमें NVIDIA के ग्राफिग कार्ड्स लगाए गए हैं. इन्हें रिमोट से तो ऑपरेट किया ही जा सकता है. ये ऑटोमैटिक रूप से भी काम करते हैं.

Location :

Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh

First Published :

January 26, 2025, 20:08 IST

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