युद्ध के 10 महीने से अधिक समय में इजरायल ने गाजा पट्टी में हमास के खिलाफ सैन्य रूप से वह सब कुछ प्राप्त कर लिया है जो वह हासिल कर सकता था और अब वह इससे अधिक कुछ नहीं कर सकता. न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से दावा किया गया है.
वाशिंगटन का मानना है कि तेल अवीव कभी भी हमास को पूरी तरह से खत्म नहीं कर पाएगा और अधिक बमबारी से केवल नागरिक हताहतों का खतरा बढ़ेगा.
रिपोर्ट में अमेरिकी सेंट्रल कमांड के पूर्व प्रमुख जनरल जोसेफ एल. वोटेल के हवाले से कहा गया, 'इजराइल हमास को बाधित करने, उनके कई नेताओं को मारने और 7 अक्टूबर से पहले मौजूद इजरायल के लिए खतरे को काफी हद तक कम करने में सक्षम रहा है.'
सीआईए के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमास इस क्षेत्र में काफी हद तक कमजो हो गया है, लेकिन अभी भी नक्शे से पूरी तरह से समाप्त होने के करीब नहीं है.
हालांकि, इजरायली पक्ष ने इन दावों का खंडन करते हुए कहा है कि गाजा में जमीनी स्तर पर अभी भी कुछ हासिल किया जाना बाकी है.
रिटायर्ड आईडीएफ मेजर जनरल याकोव अमिद्रोर ने कहा, 'अगर इजरायल अब अपनी सेना को हटाता है, तो एक साल के भीतर हमास फिर से मजबूत हो जाएगा.' उन्होंने कहा कि सेना को मध्य और दक्षिणी गाजा में दो से तीन महीने और चाहिए.
नेतन्याहू और गैलेंट के बीच बहस
विशेष रूप से, यह रिपोर्ट इजरायली मीडिया की उन खबरों के बाद आई है जिसमें बताया गया था कि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू रक्षा मंत्री योआव गैलेंट द्वारा हमास के खिलाफ 'पूर्ण विजय' हासिल करने के उनके लक्ष्य को 'बकवास' कहे जाने पर नाराज थे.
नेतन्याहू ने गैलेंट पर 'इजरायल विरोधी बयान' अपनाने का आरोप लगाया, जो सेना की गति और चल रही वार्ता को नुकसान पहुंचा रहा था.
इजरायली पीएमओ ने कहा, 'जब गैलेंट इजरायल विरोधी बयानद देते हैं, तो वह बंधक-मुक्ति समझौते तक पहुंचने की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाता है.'
गैलेंट ने एक निजी सुरक्षा ब्रीफिंग के दौरान सांसदों के सामने यह विद्रोही टिप्पणी की. गैलेंट ने कहा, 'मैंने सभी नायकों को युद्ध के ढोल, 'पूर्ण विजय' और इस तरह की बकवास करते हुए सुना है. मैंने उस साहस को तब देखा जब यह चर्चा में आया.'
गाजा पट्टी के अधिकांश हिस्से पर नियंत्रण हासिल करने के बावजूद, इजरायली सेना पिछले साल 7 अक्टूबर को अपहृत बंधकों को मुक्त नहीं कर पाई है. वाशिंगटन द्वारा प्रक्रिया को तेज करने के प्रयासों के बावजूद, बंधक-युद्धविराम वार्ता महीनों से गतिरोध में है. इस बीच, ईरान की ओर से जवाबी हमले का खतरा भी इजरायल पर मंडरा रहा है.