Last Updated:May 11, 2025, 10:41 IST
India-Pakistan ceasefire Uri Ground Report: भारत और पाकिस्तान में जंग जैसे बने हालात के बीच रियाज खान का परिवार उड़ी में गोलीबारी से बचने के लिए घर छोड़कर सड़क किनारे शरण लिए हुए था. उनके पास कुछ सामान और अनिश्...और पढ़ें

जंग जैसे हालात में बेघर हुआ रियाज का परिवार.
हाइलाइट्स
रियाज का परिवार उड़ी में गोलीबारी से बचने के लिए सड़क किनारे शरण लिए हुए है.बच्चों के सपने और घर सब अधर में लटक गए हैं.रियाज के बच्चे बार-बार पूछते हैं- अब्बू हम कब घर जाएंगे?India-Pakistan: जम्मू-कश्मीर के उड़ी में एक सड़क किनारे बारिश से भीगी जमीन पर यह रियाज खान का परिवार है. उनकी पत्नी और बच्चे सामान के साथ जमीन को ही बिस्तार बनाकर बैठे हैं. रियाज खुद खड़े हैं. रियाज की आंखों में चिंता की लकीरें साफ दिखती हैं. चेहरे पर एक मजबूती है. उनकी पत्नी भी चिंता में डूबी हुई हैं. ऐसा लग रहा है कि रियाज इस खुली सड़क पर अपने परिवार के लिए ढाल बनकर खड़े हैं.
रियाज की पत्नी नसीमा और तीन बच्चों- 12 साल की फातिमा, 10 साल की ज़ारा और 8 साल के जुनैद के लिए इस वक्त पूरी दुनिया वीरान है. उनके पास कुछ बोरे, प्लास्टिक बैग और एक गैस सिलेंडर है. वे जल्दबाजी में अपने घर से केवल ही ये ही समान उठा सके. वे यही चीजें लेकर अपने घर से भागे हैं. आसमान में बादल छाए हैं लेकिन उनके बीच से गोलों की बारिश हो रही थी. इस तस्वीर में जहां रियाज का परिवार खड़ा है उसके पीछे पीला रंग में रंगा दुकान का एक शटर दिख रहा है, जिस पर ‘PREMIUM COLOUR’ लिखा है.रियाज की जिंदगी भी आज इस शटर की तरह बंद है.
जंग की आहट और घर का उजड़ना
दरअसल, रियाज का परिवार उड़ी में रहता था. उनका घर भारत-पाकिस्तान सीमा के पास एक छोटे से गांव में है. नौ मई की रात अचानक पाकिस्तान की ओर से गोलीबारी शुरू हुई. घर की छत पर गोलियों की आवाज गूंजने लगी. जुनैद डर के मारे रोने लगा और फातिमा व जारा अपनी मां से लिपट गईं. रियाज और नसीमा ने फौरन फैसला किया कि उन्हें अपने बच्चों को लेकर सुरक्षित जगह पर जाना चाहिए. कुछ जरूरी सामान उठाया, बच्चों को जगाया और वे घर से निकल पड़े. पड़ोसी भी भाग रहे थे उस रात. उड़ी में हंसी-खुशी से भरे घर खाली हो रहे थे उस रात.
जुनैद अपनी पसंदीदा किताब और खिलौना कार साथ लाया था. सड़क किनारे बैठा वह खिलौनों से खेलने की कोशिश करता है, लेकिन उसकी आंखों में उदासी है. फातिमा जो डॉक्टर बनना चाहती है अब सोचती है कि क्या वह कभी स्कूल लौट पाएगी या नहीं. नसीमा अपने बच्चों को गले लगाकर दिलासा देती हैं कि हम सब साथ हैं यही सबसे बड़ी बात है. लेकिन उनकी आवाज में भी डर और अनिश्चितता है.
खोया हुआ घर और सपने
रियाज का घर कभी खुशियों से भरा था. बच्चों का जन्म, त्योहारों की रौनक और परिवार की हंसी-मजाक. वह घर उनकी जिंदगी का आधार था. लेकिन अब भारत-पाकिस्तान के बीच बने जंग जैसे हालात ने सब कुछ छीन लिया. रियाज सोचते हैं कि क्या उनका घर बचा होगा या तोपों के गोले उसे भी निगल जाएंगे. उनकी खेती, उनकी फसलें सब कुछ अधर में है. रियाज के बच्चे बार-बार पूछते हैं- अब्बू हम कब घर जाएंगे? दिलासा देने के लिए रियाज बस इतना ही कहते हैं- जल्दी ही, इंशाअल्लाह. लेकिन उनके दिल में वही एक सवाल है जो हमारे आपके दिल में है. यह हालात कब सुधरेंगे.
पहलगाम में आतंकवादी हमले और उसके जवाब में भारत की सेनाओं द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तान बौखला गया था. उसने अपने आतंकवादियों की मौत का बदला लेने के लिए सीमा पर बसे मासूमों पर कहर बरपाया. उसने एलओसी पर भारी गोलीबारी की और इसमें भारत के इलाके कई गांव तबाह हो गए. दसियों निर्दोषों की जान चली गई. बावजूद इस सबके रियाज और उनके बच्चों के एक ही सवाल उनका क्या कसूर?
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...
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