Marwan Barghouti: कौन है वो फिलिस्‍तीन का सबसे पॉपुलर लीडर जिसे इजरायल ने आजाद करने से किया इनकार?

11 hours ago

Israel refused to release Marwan Barghouti: इजराइल ने हमास के साथ हुए ताजा सीजफायर कैदी के एक्सचेंज वाले समझौते के तहत, सबसे पॉपुलर और एकजुट फिलिस्तीनी नेता, मारवान बरगौती को रिहा करने से इनकार कर दिया है. इस फैसले ने दुनिया का काफी ध्यान खींचा है क्योंकि बरगौती, जिनकी तुलना अक्सर नेल्सन मंडेला (Nelson Mandela) से की जाती है, इन्हें कई फिलिस्तीनी रेजिस्टेंस और नेशनल यूनिटी के सिंबल के तौर पर देखते हैं.

बरगौती को क्यों रिहा नहीं करना चाहता इजराइल?
फतह पार्टी के लीडर मारवान बरगौती फिलहाल 66 साल के हैं और वो 2002 से इजराइली जेल में बंद हैं और दूसरे इंतिफादा (Second Intifada)के दौरान 5 इजराइलियों की हत्या करने वाले हमलों में अपने कथित रोल के लिए कई सारे आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं. इसके बावजूद, वे टू-स्टेट सॉल्यूशन के प्रबल समर्थक बने हुए हैं और उन्हें एक भरोसेमंज नेता के तौर पर देखा जाता है जो पॉलिटिकल डिवीजन के बावजूद फिलिस्तीनियों को एकजुट करने में सक्षम हैं. हालांकि, इजराइल को डर है कि उनकी रिहाई फिलिस्तीनी राजनीति में नई जान फूंक सकती है और इजराइली दक्षिणपंथी एजेंडे और महमूद अब्बास के लीडरशिप, दोनों को चुनौती दे सकती है.
 

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250 फिलिस्तीनी कैदी होंगे रिहा
मौजूदा सीजफायर समझौते के तहत, हमास सोमवार 13 अक्टूबर 2025 तक तकरीबन 20 इजराइली बंधकों को रिहा करने वाला है, जबकि इजराइल लगभग 250 फिलिस्तीनी कैदियों और बिना किसी आरोप के गाजा से 1,700 बंदियों को रिहा करेगा. रिहा किए जा रहे ज्यातर लोगों को 2000 के दशक में हिंसक हमलों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. हालांकि, इजराइल ने बरघौती और दूसरे अहम लोगों को रिहा करने से इनकार कर दिया है, ये तर्क देते हुए कि याह्या सिनवार (Yahya Sinwar) जैसे सीनियर मिलिटेंट्स की पिछली रिहाई के कारण नए सिरे से संघर्ष छिड़ा.

मारवान बरगौती का इतिहास
मारवान बरगौती का जन्म 1959 में फिलिस्‍तीन के वेस्ट बैंक (West Bank) में हुआ था. बड़े होने पर एक स्टूडेंट एक्टिविस्ट के तौर पर उभरे और बाद में पहले और दूसरे फ़िलिस्तीनी विद्रोह में एक अहम फिगर बन गए. जेल में, वेोराजनीतिक रूप से एक्टिव रहे, भूख हड़तालों का आयोजन किया और फ़िलिस्तीनियों के बीच भरपूर सपोर्ट बनाए रखा. इंटरनेशनल एक्सपर्ट्स का मानना है कि इजराइल और अब्बास दोनों ही उनकी क्रेडिबिलिटी, ईमानदारी और जबरदस्त लोकप्रियता के कारण उन्हें एक राजनीतिक खतरा मानते हैं. बरघौती को कैद में रखकर, इजराइल का मकसद एक यूनिफाइड फिलिस्तीनी लीडरशिप के राइज को रोकना है, जो आजादी और अंतरराष्ट्रीय मान्यता के लिए और ज्यादा जोरदार ढंग से कोशिश कर सके.

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