नई दिल्ली (MBA vs PGDM Difference). किसी भी फील्ड में ग्रेजएशन करने के बाद एमबीए या पीजीडीएम कोर्स में एडमिशन लिया जा सकता है. हर साल बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स विभिन्न मैनेजमेंट कोर्स में एडमिशन लेते हैं. ज्यादातर लोगों को एमबीए और पीजीडीएम के बीच अंतर नहीं पता होते हैं. बता दें कि एमबीए और पीजीडीएम, दो अलग-अलग कोर्स हैं. दोनों की फीस भी अलग है और कोर्स खत्म होने के बाद प्लेसमेंट और सैलरी में भी फर्क रहता है.
एमबीए का फुल फॉर्म मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन और PGDM का पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन मैनेजमेंट है. एमबीए और पीजीडीएम के फुल फॉर्म से ही आप इनके बीच का एक बड़ा अंतर समझ सकते हैं. एमबीए एक डिग्री कोर्स है, जबकि पीजीडीएम डिप्लोमा कोर्स है (Difference between MBA and PGDM). एमबीए और पीजीडीएम कोर्स के बीच एक समानता भी है, दोनों ही मैनेजमेंट के क्षेत्र में पोस्ट-ग्रेजुएट डिग्री/डिप्लोमा कोर्स हैं. जानिए एमबीए और पीजीडीएम कोर्स के बीच 10 बड़े अंतर.
MBA Syllabus: एमबीए (मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन) क्या है?
एमबीए एक डिग्री कोर्स है. यह आमतौर पर दो सालों का होता है. एमबीए सिलेबस में व्यापक मैनेजमेंट एजुकेशन शामिल है. इसमें मैनेजमेंट और लीडरशिप के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताया जाता है. इसमें थीसिस/प्रोजेक्ट वर्क को काफी महत्व दिया जाता है. एमबीए में एक्सपर्टीज का विकल्प भी मिलता है. आप लास्ट सेमेस्टर में एमबीए इन फाइनेंस, एमबीए इन मार्केटिंग, एमबीए इन एचाआर जैसे ऑप्शन चुन सकते हैं. इस कोर्स को उच्च शिक्षा संस्थानों से मान्यता प्राप्त है.
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PGDM Course Details: पीजीडीएम (पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन मैनेजमेंट) कोर्स क्या है?
पीजीडीएम के फुल फॉर्म से ही पता चलता है कि यह मैनेजमेंट में डिप्लोमा कोर्स है. पीजीडीएम आमतौर पर 1 या 2 सालों का कोर्स होता है. पीजीडीएम सिलेबस में मैनेजमेंट के विशिष्ट क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है. इसमें थीसिस या प्रोजेक्ट वर्क को बहुत ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता है. एमबीए की तरह ही पीजीडीएम में भी स्टूडेंट्स को विशेषज्ञता के विकल्प (जैसे फाइनेंस, मार्केटिंग, एचआर) दिए जाते हैं. बड़ी यूनिवर्सिटी और प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट के पीजीडीएम कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं.
MBA vs PGDM Difference: एमबीए और पीजीडीएम में क्या अंतर है?
एमबीए और पीजीडीएम, दोनों ही मैनेजमेंट कोर्स हैं लेकिन इनमें कुछ बड़े अंतर भी हैं. एमबीए या पीजीडीएम में एडमिशन लेने से पहले जानिए इनके बारे में-
1. डिग्री बनाम डिप्लोमा: एमबीए एक डिग्री कोर्स है, जबकि पीजीडीएम एक डिप्लोमा कोर्स है.
2. कोर्स अवधि: एमबीए आमतौर पर 2 साल का कोर्स है, जबकि पीजीडीएम 1-2 साल का कोर्स है.
3. मैनेजमेंट कोर्स सिलेबस: एमबीए व्यापक मैनेजमेंट शिक्षा प्रदान करता है, जबकि पीजीडीएम विशिष्ट मैनेजमेंट क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित होता है.
4. थीसिस/प्रोजेक्ट वर्क: एमबीए में थीसिस/प्रोजेक्ट वर्क जरूरी है, जबकि पीजीडीएम में इसे कंपल्सरी नहीं किया गया है.
5. मान्यता: एमबीए को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने मान्यता दी है, जबकि पीजीडीएम कोर्स व्यावसायिक संस्थानों और विश्वविद्यालयों में होता है.
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6. विशेषज्ञता: एमबीए विभिन्न विशेषज्ञता विकल्प प्रदान करता है, जैसे फाइनेंस, मार्केटिंग, एचआर, जबकि पीजीडीएम में विशेषज्ञता विकल्प सीमित होते हैं.
7. प्रवेश मानदंड: एमबीए में एडमिशन के लिए जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र और अन्य दस्तावेज आवश्यक हैं, जबकि पीजीडीएम में प्रवेश मानदंड अलग-अलग संस्थानों पर निर्भर करते हैं.
8. फीस: एमबीए की फीस आमतौर पर पीजीडीएम की फीस से ज्यादा होती है.
9. करियर अवसर: एमबीए में करियर अवसरों की भरमार है, जबकि पीजीडीएम विशिष्ट उद्योगों या क्षेत्रों में करियर अवसर प्रदान करता है. एमबीए पासआउट को पीजीडीएम वालों की तुलना में ज्यादा सैलरी मिलती है.
10. वैश्विक मान्यता: एमबीए को वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त है, जबकि पीजीडीएम की मान्यता सीमित हो सकती है.
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FIRST PUBLISHED :
September 30, 2024, 09:28 IST