Last Updated:June 27, 2025, 19:39 IST
Indus Water Treaty: भारत ने सिंधु जल संधि पर कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन के फैसले को खारिज कर दिया है. विदेश मंत्रालय ने इसे 'पाकिस्तान की नौटंकी' करार दिया. भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि जब तक पाकिस्तान आतंकवा...और पढ़ें

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल समझौते को निलंबित रखने का फैसला किया था. (File Photo)
नई दिल्ली: पाकिस्तान ने एक बार फिर अपनी ‘औकात’ बता दी. आतंकवाद फैलाने वाला मुल्क अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ झूठी कहानियों का नाटक कर रहा है. इस बार उसने सिंधु जल संधि के नाम पर नया ड्रामा रचा है. लेकिन भारत ने इस पर दो टूक जवाब दिया है. विदेश मंत्रालय ने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन की राय को गैरकानूनी, अवैध और शून्य घोषित कर खारिज कर दिया है. दरअसल, कथित ‘कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन’ ने किशनगंगा और रतले जलविद्युत परियोजनाओं पर एक ‘पूरक राय’ (Supplemental Award) जारी की है. ये वही दो प्रोजेक्ट हैं जिन पर पाकिस्तान कई सालों से आपत्ति जताता रहा है, हालांकि हर बार उसकी दलीलों को तकनीकी और कानूनी रूप से खारिज किया गया है. अब एक बार फिर पाकिस्तान ने अपनी नौटंकी दोहराई है और उस कोर्ट से राय मांगी है, जिसका भारत के मुताबिक कोई कानूनी अस्तित्व ही नहीं है.
भारत ने साफ-साफ क्या कहा?
भारत के विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि यह ‘कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन’ अवैध रूप से गठित किया गया है और इसका अस्तित्व ही 1960 की सिंधु जल संधि का उल्लंघन है. भारत ने कभी भी इस कोर्ट को मान्यता नहीं दी और न ही इसके किसी निर्णय को स्वीकार किया है. पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को स्थगित करने का फैसला किया है, जो कि अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत एक संप्रभु राष्ट्र का अधिकार है. जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से खत्म नहीं करता, तब तक भारत इस संधि से जुड़े किसी भी दायित्व को नहीं मानेगा. कोई भी अदालत, खासकर यह अवैध मंच, भारत के संप्रभु अधिकारों की समीक्षा करने का हकदार नहीं है.
पाकिस्तान का झूठा एजेंडा
भारत ने पाकिस्तान को बेनकाब करते हुए कहा कि वह अपने ऊपर लगे ‘आतंकवाद के अड्डे’ के टैग से ध्यान भटकाने के लिए इस तरह की झूठी और भ्रामक कार्रवाइयों का सहारा लेता है. कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन जैसी नौटंकी उसी रणनीति का हिस्सा है, जिसमें पाकिस्तान खुद को पीड़ित और मासूम दिखाने की कोशिश करता है.
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने किसी अंतरराष्ट्रीय मंच का दुरुपयोग करने की कोशिश की है. पहले भी FATF से लेकर ICJ तक, उसने दुनिया को गुमराह करने की कोशिश की. लेकिन हर बार उसे शर्मिंदगी ही हाथ लगी है.
क्या है सिंधु जल संधि?
1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में सिंधु जल संधि हुई थी. इसके तहत भारत को तीन पूर्वी नदियों (रावी, सतलुज, ब्यास) का और पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चेनाब) का पानी मिला. भारत को पश्चिमी नदियों पर सीमित उपयोग का अधिकार था जैसे सिंचाई, हाइड्रोपावर आदि.
अब भारत इस संधि को आतंकवाद के खिलाफ ‘स्ट्रैटेजिक लीवर’ की तरह इस्तेमाल कर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही कह चुके हैं कि ‘खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते’. यानी जब तक पाकिस्तान खून बहाने (आतंकवाद) से बाज नहीं आता, भारत पानी बहाने (सिंधु संधि) की जिम्मेदारी क्यों निभाए?
भारत अब तीनों पश्चिमी नदियों के जल संसाधनों को अपने हित में उपयोग करने की रणनीति बना रहा है. छोटे-बड़े बांध, जल संग्रहण, हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स जैसे कई कदम तेजी से आगे बढ़ाए जा रहे हैं. मध्यकालिक और दीर्घकालिक योजनाओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है ताकि पाकिस्तान की ‘पानी पर राजनीति’ को स्थायी रूप से जवाब दिया जा सके.
Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें
Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...
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New Delhi,Delhi