Last Updated:June 27, 2025, 20:57 IST
Bone Cancer Detection Test: IIT-BHU के वैज्ञानिकों ने एक छोटा और ऑटोमेटिक डिवाइस डेवलप किया है जो सिर्फ एक बूंद खून से हड्डी के कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) का पता लगा सकता है.

IIT-BHU की बड़ी खोज: अब शुरुआती हड्डी कैंसर का पता लगाएगा पोर्टेबल 'ग्लूकोज मीटर जैसा' डिवाइस. (Photo : NCBI)
नई दिल्ली: कैंसर की शुरुआती पहचान में अब तकनीक क्रांति ला रही है. इसकी अगुवाई कर रहा है IIT-BHU. यहां के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा डिवाइस विकसित किया है जो सिर्फ खून की एक बूंद से हड्डी के कैंसर की सटीक जांच कुछ ही मिनटों में कर सकता है. यह डिवाइस खास तौर पर ग्रामीण इलाकों के लिए वरदान साबित हो सकता है, जहां आधुनिक लैब सुविधाएं पहुंच से दूर हैं.
बोन कैंसर टेस्ट: कैसे करता है काम?
IIT-BHU के स्कूल ऑफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर डॉ. प्रांजल चंद्रा के नेतृत्व में बनी यह डिवाइस एक पोर्टेबल सेंसर है, जो ऑस्टियोपॉन्टिन (OPN) नामक बायोमार्कर को पहचानती है. OPN हड्डी के कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) से जुड़ा एक प्रमुख संकेतक है, जो खासकर बच्चों और किशोरों में देखा जाता है.
इस डिवाइस में किसी भी प्रकार के रसायन (chemical reagent) की जरूरत नहीं होती. यह सोने और रेडॉक्स-एक्टिव नैनोमैटेरियल की मदद से OPN को पहचानता है. इसका डिजाइन इतना सरल और मजबूत है कि यह किसी भी ग्रामीण क्लिनिक या स्वास्थ्य केंद्र में आसानी से इस्तेमाल हो सकता है. इसकी कार्यशैली बिल्कुल ग्लूकोज मीटर जैसी है, यानी खून की एक बूंद लो और मिनटों में रिपोर्ट पाओ.
क्यों है ये डिवाइस खास?
तेज और सटीक: पारंपरिक जांच विधियों के मुकाबले यह डिवाइस बहुत तेजी से नतीजे देती है.
सस्ता और पोर्टेबल: कम लागत पर तैयार यह डिवाइस आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जा सकता है.
बिना रसायन के: इसमें किसी भी तरह के महंगे टेस्टिंग केमिकल्स की जरूरत नहीं पड़ती.
मौके पर जांच: मरीज को कहीं रेफर करने या रिपोर्ट का इंतजार करने की जरूरत नहीं. जांच वहीं की वहीं हो जाती है.
ग्रामीण भारत के लिए वरदान
भारत जैसे देश में, जहां आज भी बड़ी आबादी गांवों में रहती है और प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं बेहद सीमित हैं, वहां कैंसर जैसे गंभीर रोग की शुरुआती पहचान बेहद कठिन होती है. यह डिवाइस उस खाई को भरने का काम कर सकता है. अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी कैंसर की जांच उसी सटीकता से हो सकेगी जैसी किसी बड़े अस्पताल में होती है.
क्या कहा निदेशक ने?
IIT-BHU के निदेशक प्रो. अमित पात्रा ने इस इनोवेशन को “आम आदमी के लिए विज्ञान” का बेहतरीन उदाहरण बताया. उन्होंने कहा कि यह खोज न सिर्फ मेडिकल क्षेत्र में योगदान देगी बल्कि यह ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्टार्टअप इंडिया’ जैसे सरकारी अभियानों को भी मजबूती देगी.
डिवाइस के पेटेंट के लिए आवेदन किया जा चुका है. साथ ही रिसर्चर्स की टीम अब इस सेंसर को स्मार्टफोन के साथ कनेक्ट करने वाली डायग्नोस्टिक किट में बदलने की दिशा में काम कर रही है. इसका मतलब यह है कि आने वाले समय में सिर्फ मोबाइल और इस डिवाइस की मदद से कोई भी कैंसर की जांच कर सकेगा.
Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें
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New Delhi,Delhi